जानें कश्मीर घाटी में अर्धसैनिक बलों की बढ़ती तैनाती का कारण, राजनीतिक दल क्यों हैं इसको लेकर चिंतित

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संग मुलाकात और उससे पूर्व अचानक ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यसचिव पद पर फेरबदल के बीच प्रदेश में अर्धसैनिक बलोें की बीते एक सप्ताह से लगातार बढ़ रही तैनाती से अफवाहों का बाजार फिर गर्म हो गया है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 05:57 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 08:06 PM (IST)
जानें कश्मीर घाटी में अर्धसैनिक बलों की बढ़ती तैनाती का कारण, राजनीतिक दल क्यों हैं इसको लेकर चिंतित
अर्धसैनिक बलों की 70 कंपनियां बीते चंद दिनों में तैनात की गई हैं।

श्रीनगर। जागरण ब्यूरो। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संग मुलाकात और उससे पूर्व अचानक ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यसचिव पद पर फेरबदल के बीच प्रदेश में अर्धसैनिक बलोें की बीते एक सप्ताह से लगातार बढ़ रही तैनाती से अफवाहों का बाजार फिर गर्म हो गया है। लोगों में कयास लगाया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही कुछ बड़ा होने जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी इस पर चिंता जताते हुए केंद्र व प्रदेश सरकार से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है।

प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विशेषकर उत्तरी कश्मीर और जम्मू प्रांत के किश्तवाड़, डोडा व पुंछ जैसे इलाकों में बीते एक सप्ताह के दौरान अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया गया है। कंगन और गांदरबल में भी अर्धसैनिक बलों की तीन कंपनियां नयी तैनात हुई हैं। संबंधित सूत्रों के मुताबिक, अर्धसैनिक बलों की 70 कंपनियां बीते चंद दिनों में तैनात की गई हैं।

इस तरह अचानक ही अर्धसैनिक बलों की तैनाती की प्रक्रिया 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने से करीब 10 दिन पहले शुरु हुई थी। इसलिए अब जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। गली मोहल्लों से लेकर इंटरनेट मीडिया पर सुरक्षाबलाें की तैनाती काे लेकर हरेक अपना दावा कर रहा है। कुछ कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को अब दो अलग राज्यों में बांटा जा रहा है तो कई जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किए जाने पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं। कई के मुताबिक, कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में एक अलग होमलैंड दिया जा रहा है। कई दावा कर रहे हैं कि डोडा-रामबन और पुंछ राजौरी के साथ दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्से जोड़ नई प्रांतीय इकाईयां तैयार की जा रही हैं।

आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किए जाने से फैली अफवाहों को निराधार बताते हुए कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को गत अक्तूबर से फरवरी तक वादी के अलावा जम्मू प्रांत के कुछेक हिस्सों से हटाकर देश के अन्य भागों में चुनाव, कुंभ व अन्य गतिविधियों के लिए तैनाती के लिए भेजा गया था। अब यह लाैट रहे हैं और इन्हें विभिन्न हिस्सों में तैनात किया जा रहा है।

पुलिस सूत्रों की मानें तो करीब 300 कंपनियों को बीते एक साल के दौरान कश्मीर में हालात सामान्य होने के आधार पर हटाकर देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया है। अब यह लौट रही हैं।

पुलिस के स्पष्टीकरण की बात स्थानीय लोगों के गले से नहीं उतर रही । वह कह रहे हैं कि इस तरह के स्पष्टीकरण 5 अगस्त 2019 से पहले भी खूब दिए गए थे। कई राजनीतिक नेताओं को लगता है कि उनकी गिरफ्तारी का दौर फिर शुरु होने वाला है। नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता तनवीर सादिक ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, वादी में अफवाहें बड़ी तेजी से फैल रही हैं, क्या हमेें एमएलए हॉस्टल में दूसरे सत्र के लिए तैयार रहना चाहिए? तनवीर सादिक को भी पांच अगस्त 2019 को बंधक बनाया गया था और उन्होंने भी एक लंबा समय पूरक जेल बनाए गए एमएलए हॉस्टल में बिताया था।

पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। हमें तो अब अफवाहों में भी यकीन आने लगा है। पिछले कुछ समय से हमने यहां अफवाहों और साजिशों का दौर देखा है। पहले वह कहते हैं कि अफवाहों पर यकीन न करो और फिर बाद में क्या हाेता है, सभी जानते हैं।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सोफी यूसुफ ने कहा कि यहां कु़छ लोगाें का काम ही अफवाहें फैला माहौल खराब करना है। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा और इसके बारे में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री भी कई बार कह चुके हैं। यह तभी होगा, जब यहां हालात पूरी तरह से सामान्य हाेंगे।  

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