Mangala Gauri Vrat 2021 : अखंड सौभाग्य के लिए रखें मंगलागौरी का व्रत, जानिए क्या है पूजा की विधि!

अगर मंगल दोष समस्या दे रहा हो तो सावन के मंगलवार की पूजा करना शुभ रहता है। इस बार श्रावण चांद्रमास में चार मंगलवार पड़ रहे हैं। पहला मंगलवार 27 जुलाई को दूसरा 03 अगस्त तीसरा 10 अगस्त को और अंतिम और चौथा 17 जुलाई को पड़ रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 02:18 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 02:18 PM (IST)
Mangala Gauri Vrat 2021 : अखंड सौभाग्य के लिए रखें मंगलागौरी का व्रत, जानिए क्या है पूजा की विधि!
यह व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति एवं उनकी मंगलकामना के लिए भी करती हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता: श्रावण चांद्रमास 25 जुलाई रविवार से शुरू हो रहा है।जिस तरह भगवान शिव को सावन के सोमवार प्रिय हैं।उसी तरह माता पार्वती को सावन माह के मंगलवार बहुत प्रिय हैं। मंगलागौरी व्रत पूजन से व्रती का सौभाग्य अखंड होता है।

वैवाहिक जीवन की हर समस्या दूर होती है।जिन युवतियों को विवाह में देरी हो रही हो या कोई बाधाएं आ रही हो तो सावन मास के मंगलवार के दिन मां मंगलागौरी का व्रत रखने से उनकी विशेष विधि से पूजा उपासना करने से विवाह में आ रही बाधा शीघ्र ही दूर हो जाती है।यह व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति एवं उनकी मंगलकामना के लिए भी करती हैं।

विशेषकर अगर मंगल दोष समस्या दे रहा हो तो सावन के मंगलवार की पूजा करना शुभ रहता है। इस बार श्रावण चांद्रमास में चार मंगलवार पड़ रहे हैं। पहला मंगलवार 27 जुलाई को, दूसरा 03 अगस्त, तीसरा 10 अगस्त को और अंतिम और चौथा 17 जुलाई को पड़ रहा है।

श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने व्रत विधि के बारे में बताया कि सूर्य उगने से पहले व्रती उठें स्नान कर पूजा स्थान में एक लकड़ी के तख्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर गणेश जी, मां मंगला गौरी यानी मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र रखें, आत्म पूजा कर व्रत का संकल्प लें, मंगलागौरी का पूजन करें।

पूजा में मां गौरी को वस्त्र, सुहाग की सामग्री, 16 श्रृंगार की वस्तुएं, 16 चूडियां, नारियल, फल, इलाइची, लौंग, सुपारी मिठाई और सूखे मेवे 16 जगह बनाकर अर्पित करना चाहिए। पूजा के बाद माता रानी की आरती करें एवं कथा सुने उसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें और जरूरतमंद लोगों को धन-अनाज का दान करें। ध्यान रखें लगातार पांच साल तक मंगला गौरी पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष में सावन माह के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। 

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