Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडित 31 साल बाद भी झेल रहे निर्वासन का दंश

1990 में पाक समर्थित आतंकवादियों ने घाटी में ऐसा माहौल बनाया था कि कश्मीरी पंडितों को अपनी हिफाजत के कारण घाटी छोड़ कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। खोसा ने कहा कि अब तो अनुच्छेद 370 व 35ए भी हट चुका है।

By Edited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 06:47 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 07:59 AM (IST)
Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडित 31 साल बाद भी झेल रहे निर्वासन का दंश
कश्मीरी पंडित अपनी मातृ भूमि पर जाना चाहता है। अपनी संस्कृति से जुड़ना चाहता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: निर्वासन के 31 साल बाद भी कश्मीरी पंडितों की कश्मीर घाटी में वापसी नहीं हो पाने को लेकर कश्मीरी पंडित सभा ने केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ अपना कड़ा रोष जताया है। यहां सोमवार को हुई बैठक में सभा के सदस्यों ने कहा कि न ही केंद्र सरकार और न ही जम्मू कश्मीर प्रशासन कश्मीरी पंडितों के मसलों को हल करने के लिए गंभीर है।

बैठक में कहा गया कि वर्ष 1990 का वह पीड़ादायक दौर याद है जब कश्मीरी पंडितों को घाटी में अपने घर, जायदाद को छोड़कर पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उसके बाद घाटी में बसाने के लिए आश्वासन ही मिले, लेकिन कश्मीरी पंडितों की आज तक वापसी नहीं हो पाई। प्रधान केके खोसा की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान कश्मीरी पंडितों की दिक्कतों पर खुलकर चर्चा हुई। कहा गया कि विस्थापित शिविरों में रह रहे कश्मीरी पंडितों की समस्याओं को हल करने की दिशा में कोई गंभीर नहीं दिख रहा।

1990 में पाक समर्थित आतंकवादियों ने घाटी में ऐसा माहौल बनाया था कि कश्मीरी पंडितों को अपनी हिफाजत के कारण घाटी छोड़ कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। खोसा ने कहा कि अब तो अनुच्छेद 370 व 35ए भी हट चुका है। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। इन हालातों में भी अगर कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी नही हुई तो कब होगी। सरकार को इस बारे में बार-बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित अपनी मातृ भूमि पर जाना चाहता है। अपनी संस्कृति से जुड़ना चाहता है।

केंद्र सरकार को इसके लिए रास्ता बनाना चाहिए। राहत राशि बढ़ाई जाए कश्मीरी पंडित सभा ने कश्मीरी पंडितों को मिलने वाली राहत राशि को बढ़ाने व प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कश्मीरी पंडित युवाओं को नौकरियां देने की मांग की। बैठक में अश्वनी कौल, एसएल भगती, बीएल टिक्कू, सुभाष धर, जितेंद्र परिमू, डा. उषा टिक्कू, विनोद भट्ट, आशा किचलू आदि उपस्थित थे।

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