Jammu Kashmir: मासिक राहत शुरू कराने के लिए एकजुट होने लगे कश्मीरी पंडित

पनुन कश्मीर के प्रधान वीरेंद्र रैना ने कहा कि हमें 1990 के कठिन दिनों को समझना चाहिए। कश्मीरी पंडितों की सारी संपत्ति घाटी में छूट गई। ऐसे हालात बने कि इन लोगों को विस्थापित शिविरों में रहना पड़ रहा है। पिछले माह की राहत राशि लोगों को नही मिली है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 12:47 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 12:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: मासिक राहत शुरू कराने के लिए एकजुट होने लगे कश्मीरी पंडित
वितस्ता जयंती पर पूजा अर्चना करती कश्मीरी पंडित महिलाएं।

जम्मू, जागरण संवाददाता । विस्थापित कश्मीरी पंडिताें की थमी मासिक राहत राशि को शुरू कराने के लिए कश्मीरी पंडित एकजुट होने लगे हैं। इन संगठनों का कहना है कि कठिन दौर से गुजर रहे विस्थापित कश्मीरी पंडित पहले से ही परेशान हैं। अगर इन लोगों की राहत फिर शुरू न की गई तो देश भर में कश्मीरी पंडित आंदोलन की राह में उतर आएंगे।

1990 में कश्मीर से पलायन कर विस्थापित बने कश्मीरी पंडित के परिवार को 13 हजार रुपये प्रति माह राहत के तौर पर प्राप्त होते रहे हैं। हालांकि रिलीफ कमिश्नर माईग्रांट अशोक पंडित ने स्पष्ट किया कोर्ट के निर्देशों के कारण एकाउंट हेड सील हुआ है। इसे जल्दी ही खुलवाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। लेकिन कश्मीरी पंडित इस पूरे मामले को बड़ी संजीदगी से ले रहे हैं। उनका कहना है कि कहीं यह राहत राशि बंद करने की योजना तो नही।

पनुन कश्मीर के प्रधान वीरेंद्र रैना ने कहा कि हमें 1990 के कठिन दिनों को समझना चाहिए। कश्मीरी पंडितों की सारी संपत्ति घाटी में छूट गई। ऐसे हालात बने कि इन लोगों को विस्थापित शिविरों में रहना पड़ रहा है। पिछले माह की राहत राशि लोगों को नही मिली है। ऐसे में इन लोगों का गुजारा करना जटिल बन गया है। जो भी अड़चन हो, सरकार उसे तुरंत दूर करे और राहत राशि का वितरण शुरू कराए।

जगटी टेनिमेंट कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि हमें सरकार की मंशा पर शक हो रहा है। जो काम सरकार स्वयं न कर पाए, वो किसी दूसरे तरीके से करा सकती है। हम तो राहत बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन यहां तो राहत ही बंद हो गई। सरकार अपनी मंशा को स्पष्ट करे। एपीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता किंग सी भारती का कहना है कि मामला कुछ भी हो, विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत तुरंत शुरू होनी चाहिए। नही हो पूरा कश्मीरी पंडित समाज आंदोलन पर हैं।

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