Kashmir...यह जिहाद नहीं जहालत है, शोपियां मुठभेड़ में मारा गया माजिद खुद नहीं बल्कि बहकावे में आकर बना था आतंकी
Militancy In Kashmir 30 वर्षीय माजिद इकबाल बट इसी साल 25 मई को आतंकी बना था। आतंकी बनने से पूर्व वह लोड कैरियर चलाता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी उसका छह वर्षीय बेटा अयान माजिद और तीन साल की बेटी है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: यह जिहाद नहीं, जहालत है। अगर माजिद को जिहाद के मायने पता होते तो आज उसके बच्चे यूं यतीम नहीं होते, उसकी बीबी बेवा नहीं होती। यह बात चक सदीक खान से चंद किलोमीटर दूरी पर बसे मेलीबाग (शोपियां) में एक बुजुर्ग ने माजिद के घर से बाहर निकलते हुए कही। माजिद गत रविवार की रात को चक सदीक खान में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों में शामिल है। दूसरा आतंकी 10 लाख का इनामी इश्फाक अहमद डार था, जो वर्ष 2017 से सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना हुआ था। इश्फाक पुलिस की नौकरी छोड़ आतंकी बना था।
30 वर्षीय माजिद इकबाल बट इसी साल 25 मई को आतंकी बना था। आतंकी बनने से पूर्व वह लोड कैरियर चलाता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी, उसका छह वर्षीय बेटा अयान माजिद और तीन साल की बेटी है। बुजुर्ग माता-पिता के अलावा उसका 13 साल का भाई और एक बहन भी है। उसके घर से लापता होने पर उसकी बीबी ने इंटरनेट मीडिया पर उससे लौटने की अपील की थी। वह नहीं लौटा, सिर्फ एक संदेश आया कि वह अब लश्कर का आतंकी बन चुका है।
बस बहकाया ही, किसी ने नहीं समझाया: माजिद के एक पड़ोसी ने कहा कि वही एक अपने परिवार में कमाने वाला था। वह कुछ पुराने आतंकियों को जानता था। उन्होंने उसे बहकाया कि जिहाद के रास्ते पर जाकर उसकी गरीबी छूट जाएगी और घर की जिम्मेदारियों से बच जाएगा। इसके बाद वह लश्कर का आतंकी बन गया, लेकिन उसे किसी ने नहीं समझाया कि जिहाद तो परिवार को अच्छी जिंदगी देना है, बच्चों को अच्छी तालीम देना है, मां-बाप के प्रति फर्ज पूरे करना है। माजिद ने एक तरह से अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए खुदकशी का रास्ता चुना था, जो जहालत और गुनाह है। अगर उसे किसी ने सही तरीके से इस्लाम और जिहाद के बारे में समझाया होता तो आज उसके घर में मातम नहीं होता, उसके बच्चे यतीम नहीं होते।
पुलिस में प्रशिक्षण के बाद बन गया आतंकी: माजिद के साथ मारे गए लश्कर कमांडर इश्फाक अहमद डार 2017 में जम्मू कश्मीर पुलिस में भर्ती हुआ था। कठुआ प्रशिक्षण शिविर से वापस घर लौटते हुए 14 अक्टूबर, 2017 में वह अचानक लापता हो गया। उसे 24 अक्टूबर को वापस प्रशिक्षण शिविर में रिपोर्ट करना था, लेकिन कुछ दिन बाद उसका उसकी एक फोटो वायरल हुई। इसमें इश्फाक काले रंग की टोपी पहने एके-47 राइफल पकड़े हुए था। लिखा था-इश्फाक उर्फ अबू अकरम लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया है। आतंकी बनने के बाद उसने न सिर्फ लश्कर के स्थानीय आतंकियों को प्रशिक्षित किया, बल्कि कई आतंकी वारदातें भी कीं। वह करीब तीन दर्जन से ज्यादा आतंकी वारदातों में वांछित था। उसने शोपियां, कुलगाम और पुलवामा में मुख्याधरा की राजनीति से जुड़े लोगों के घरों पर हमले, सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमलों और उनके काफिलों पर फायरिंग की विभिन्न वारदातों को भी अंजाम दिया।
सरेंडर करने को कहा फिर भी नहीं माने: आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने बताया कि इश्फाक और माजिद रविवार की रात को जब घेरबंदी में फंसे तो दोनों को सरेंडर का पूरा मौका दिया गया था। वह सरेंडर के लिए राजी नहीं हुए और गोली चलाते रहे। इसके बाद दोनों मारे गए। उनके पास से दो एसाल्ट राइफलें व अन्य साजो सामान भी मिला था।