कश्मीर में आल्टरनेरिया के कहर की आशंका से डरे सेब उत्पादक, जून-जुलाई में बारिश से फंगस की आशंका

शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववद्यालय के सीनियर पैथोलोजिस्ट डा. तारिक रसूल ने बताया कि आल्टरनेरिया फंगस बारिश थमने के लगभग 48 से 72 घंटे बाद पेड़ों पर पनपने लगती है। इससे पेड़ पर सभी हरे पत्ते सूखने लगते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:36 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:36 AM (IST)
कश्मीर में आल्टरनेरिया के कहर की आशंका से डरे सेब उत्पादक, जून-जुलाई में बारिश से फंगस की आशंका
अब सेब की फसल पर उम्मीद टिकी हुई है, जिस तरह से मौसम रंग दिखा रहा है, हालात अच्छे नहीं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में बढ़ते तापमान के बीच आए दिन होने वाली बारिश ने स्थानीय सेब उत्पादकों को डरा दिया है। उन्हेंं फिर से अपनी फसल की बर्बादी और पेड़ों को नुकसान पहुंचने की आशंका सताने लगी है। जून-जुलाई में बारिश सेब के पेड़ों पर आल्टरनेरिया का कहर गिरा सकती है। आल्टरनेरिया एक फंगस है जो अक्सर ज्यादा तापमान के बाद होने वाली बारिश के के बाद पेड़ों पर फैलती है।

श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर दूर छत्तरगाम में एक सेब उत्पादक ताहिर अब्बास ने कहा कि इस बार चेरी और आलु बुखारा की फसल पहले ही तबाह हो चुकी है। अब सेब की फसल पर उम्मीद टिकी हुई है, लेकिन जिस तरह से मौसम रंग दिखा रहा है, हालात अच्छे नहीं।

बीते दिनों यहां तापमान लगातान बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही बीच-बीच में अक्सर बारिश भी हो रही हे। इससे तापमान अचानक नीचे चला जाता है। पेड़ों पर नमी चढ़ जाती है। मौसम विभाग ने अगले सप्ताह और जुलाई में बारिश का दावा किया है। यह सेब के लिए सही नहीं है। यह आल्टरनेरिया फंगस पेड़ को तबाह कर देता है। कुछ वर्षों से स्कैब और आल्टरनेरिया का कहर लगातार बढ़ रहा है।

शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववद्यालय के सीनियर पैथोलोजिस्ट डा. तारिक रसूल ने बताया कि आल्टरनेरिया फंगस बारिश थमने के लगभग 48 से 72 घंटे बाद पेड़ों पर पनपने लगती है। इससे पेड़ पर सभी हरे पत्ते सूखने लगते हैं और उनका रंग कत्थई हो जाता है या फिर उन पर भूरे रंग के धब्बे पैदा होने लगते हैं। कुछ ही दिनों में यह पत्ते गिर जाते हैं। इससे न सिर्फ पेड़ का विकास रुक जाता है बल्कि फल की पैदावार, गुणवत्ता, स्वाद और रंग प्रभावित होते हैं। पेड़ पर पत्ते न होने से फोटोसिथेसिस की प्रक्रिया प्रभावित होती है,जो पेड़ों के लिए बहुत जरूरी है। इससे बचाव के लिए पेड़ों पर बारिश से पहले दवा का छिडकाव जरुरी है।

आल्टरनेरिया फंगस जब पेड़ पर आए तो दवा छिड़काव का भी कोई असर नहीं होगा। अगर बारिश के बाद छिड़काव किया जाए तो यह आल्टरनेरिया और स्कैब के पेड़ पर फैलने में मदद करेगी। इसलिए ध्यान रहे कि दवा का छिड़काव बारिश से पहले ही हो। हां, एक बात और ध्यान रखनी चाहिए कि जब किसी पेड पर आल्टरनेरिया आ जाए और जब उसका असर खत्म हो जाए तो छिडकाव करने पर पेड़ भविष्य मे इससे बच सकता है। 

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