Karwa Chauth 2020: बुधवार को है करवाचौथ, कर सकते हैं मोख

व्रती सुबह जल्दी उठ कर शुद्ध जल से स्नान करें। घर में पूजा स्थान या घर में कोई पवित्र स्थान में गंगाजल का अभिषेक कर के शुद्ध आसन पर बैठ कर आत्म पूजा कर यह संकल्प करें।इस दिन सुबह उषाकाल पूजन कर सबसे पहले कुछ खाना तथा पीना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:16 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:16 PM (IST)
Karwa Chauth 2020: बुधवार को है करवाचौथ, कर सकते हैं मोख
आज कल मार्किट से भी चित्र मिलते हैं।

जागरण संवाददाता, जम्मू : इस वर्ष करवाचौथ का व्रत 04 नवंबर बुधवार को है। करवाचौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। सनातन धर्म में व्रत, पर्वों एवं त्योहारों की मान्यता बहुत अधिक है।करवाचौथ का उपवास सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। उनका गृहस्थ जीवन सुखद रहे। इसके लिए व्रत करती हैं। पूरे भारत में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है।चांद देखने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं और जिनकी सगाई हो गई हो।

इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सुहागिन महिलायें अपने सुहाग की रक्षा के लिए उपवास रखने के बाद आसमान के चमकते चांद का दिदार कर अपने पति के हाथों से निवाला खाकर अपना उपवास खोलती हैं। करवाचौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है।इस दिन श्री गणेश भगवान शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है।

करवाचौथ व्रत की कथा सुनी जाती है। सामान्यत: विवाह के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं।अपने पति की लंबी उम्र के लिए इससे श्रेष्ठ कोई उपवास अथवा व्रत आदि नहीं है। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करके पूजा करने जाती हैं और फिर आकर घर के बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं।महिलाओं में ये त्योहार बहुत ही प्रचलित होता है।

करवाचौथ पूजन का शुभ मुहूर्त: बुधवार 4 नवंबर शाम 6.10 बजे से उसी शाम 7.15 बजे के बीच करवाचौथ का पूजन करना सबसे कल्याणकारी होगा।चंद्र दर्शन का समय जम्मू में 04 नवंबर को चंद्र दर्शन रात करीब 8.12 बजे पर होंगे।

करवाचौथ व्रत कैसे शुरू करें: करवा चौथ व्रत के दिन व्रती सुबह जल्दी उठ कर शुद्ध जल से स्नान करें। घर में पूजा स्थान या घर में कोई पवित्र स्थान में गंगाजल का अभिषेक कर के शुद्ध आसन पर बैठ कर आत्म पूजा कर, यह संकल्प करें।इस दिन सुबह उषाकाल पूजन कर सबसे पहले कुछ खाना तथा पीना चाहिए। जम्मू कश्मीर में उषाकाल से पहले सरगी में फैनी, कतलमे, नारियल, दूध, रबड़ी, मीठी कचौरी खाने का प्रचलन है। इस मिश्रण के सेवन से पूरे दिन बिना पानी पीये रहने में मदद मिलती है।

करवाचौथ पूजन व्रत विधि: 4 नवंबर शाम 6.10 बजे से 7.15 बजे के बीच दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। नहीं तो आज कल मार्किट से भी चित्र मिलते हैं। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठा और साथ में अलग-अलग तरह के पकवान बनाये। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं, बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी मैया का श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। श्री गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव और चित्रित करवा की विधि अनुसार पूजा करें। 

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