सुनिये वित्त मंत्री जी: जम्मू-कश्मीर में व्यापार को भी मिले प्रोत्साहन पैकेज तो बने बात, बजट में रखना चाहिए प्रस्ताव

जम्मू-कश्मीर को देश का प्रमुख औद्यागिक केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 28400 करोड़ रुपये की उद्योग नीति तो घोषित कर दी है लेकिन जब तक सरकार स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष पैकेज घोषित नहीं करती

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 02:49 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 02:51 PM (IST)
सुनिये वित्त मंत्री जी: जम्मू-कश्मीर में व्यापार को भी मिले प्रोत्साहन पैकेज तो बने बात, बजट में रखना चाहिए प्रस्ताव
व्यापार ही ऐसा क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार उपलक्ष्य होता है

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर को देश का प्रमुख औद्यागिक केंद्र बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 28,400 करोड़ रुपये की उद्योग नीति तो घोषित कर दी है लेकिन जब तक सरकार स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष पैकेज घोषित नहीं करती, तब तक सरकार का जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास सफल नहीं होंगे। सरकारी नौकरियों के बाद व्यापार ही ऐसा क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार उपलक्ष्य होता है और ऐसे में इस क्षेत्र की लगातार अनदेखी व्यापारियों को रास नहीं आ रही है और व्यापार जगत का मानना है कि इस क्षेत्र की अनदेखी करके सरकार कहीं न कहीं जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ने से रोक रही है। ऐसे में जरूरी है कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने उद्योग के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है, उसी तरह आगामी बजट में जम्मू-कश्मीर के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज घोषित किया जाए।

केंद्र सरकार की ओर से घोषित औद्योगिक पैकेज का हम स्वागत करते हैं लेकिन ट्रेड की अनदेखी सहीं नही। ट्रेडर्स लाखों लोगों को रोजगार देते हैं। लाखों घरों का चूल्हा कारोबार पर निर्भर है। इतने बड़े सेक्टर की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार ने उद्योग के साथ सर्विस सेक्टर को भी पैकेज के अधीन लाया है। अब सिर्फ ट्रेड सेक्टर ही रह गया है। सरकार को इस बजट में ट्रेड सेक्टर के लिए विशेष पैकेज घोषित करना चाहिए। हम ट्रेडर्स तो सिर्फ जीएसटी की कागजी कार्रवाई में ही फंस कर रह गए है। बार-बार आग्रह करने पर भी जीएसटी प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए जिस तरह से इंडस्ट्री पालिसी बनाई है, उसी तरह ट्रेड पालिसी भी बननी चाहिए। मुझे तो हैरानी होती है कि आज तक जम्मू-कश्मीर या केंद्र सरकार ने सबसे बड़े रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने वाले इस सेक्टर के लिए कोई ट्रेड पालिसी ही नहीं बनाई, इससे बड़ी अनदेखी और क्या हो सकती है।

-दीपक गुप्ता, महासचिव ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाऊस-नेहरू मार्केट

ट्रेड पालिसी आज जम्मू-कश्मीर में समय की मांग है। केंद्र सरकार की ओर से घोषित इंडस्ट्री पालिसी स्वागत योग्य है। प्रदेश का सर्विस सेक्टर भी इसमें कवर हो गया। अब केवल हमीं व्यापारी बचे हैं, हमारे लिए भी सरकार काे कुछ सोचना चाहिए। अखिरकार सरकार के बाद हमीं लोग है जो बिना सरकार से कोई मदद लिए लाखों लोगों को रोजगार देते हैं। हमारा व्यापारी खुद के पैसे लगाकर काम करता है और सरकार को टैक्स देता है। हमने पिछले बजट से पूर्व भी व्यापारियों के लिए बीमा व पेंशन योजना लाने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने इस पर घोषणा भी की लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। सरकार को ट्रेड के लिए कुछ करना होगा, नहीं तो ट्रेड आने वाले दिनों में खत्म हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि वित्त मंत्री जी इस बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए स्पेशल ट्रेड पालिसी घोषित करें।

-नीरज आनंद, प्रधान चैंबर आफ ट्रेडर्स फेडरेशन

वित्त मंत्री जी को चाहिए कि जम्मू-कश्मीर के लिए जो बजट तैयार करें, उसमें यहां के ट्रेडर्स के लिए खास पैकेज हो। उद्योग को बैंकों से कर्ज लेने पर ब्याज में छूट मिलती है। जीएसटी में छूट है। जमीन लेने पर सस्ती दरों पर अदायगी करते हैं। व्यापारियों को क्या मिलता है? कुछ नहीं। हम लोग अपनी जेब से पैसा लगाकर कारोबार करते हैं। दूसरों को रोजगार देते हैं। सरकार कहती है खुद का कारोबार करों और दूसरों को रोजगार दो। बदले में हमारी सामाजिक सुरक्षा का क्या? नुकसान हो तो भी कोई भरपाई नहीं। वास्तव में जम्मू-कश्मीर में ट्रेड सेक्टर को लेकर सरकार के पास कोई योजना ही नहीं। बातें-बातें बड़ी-बड़ी होती है लेकिन किसी सरकार ने आज तक ट्रेड पालिसी ही नहीं बनाई। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में वेयर हाऊसिंग को लेकर भी सरकार के पास कोई योजना नहीं।

-मुनीष महाजन, उपाध्यक्ष ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाऊस-नेहरू मार्केट

देश की वित्त मंत्री जी को इस बजट में जम्मू-कश्मीर के लिए स्पेशल ट्रेड पालिसी लानी चाहिए या उद्योग के लिए जो पालिसी लाई है, उसमें ट्रेडर्स को भी शामिल करना चाहिए। सर्विस सेक्टर को सरकार ने इस पैकेज में शामिल कर लिया है। अब केवल ट्रेड सेक्टर ही बचा है। अगर सरकार ट्रेड सेक्टर को पालिसी का हिस्सा बनाती है तो कम से कम ट्रेडर्स को बैंक कर्जों के ब्याज में ही कुछ राहत मिलेगी। जीएसटी में राहत मिलेगी। आज हालात एेसे है कि जिस तरह से बिना सरकारी सहयोग के उद्योग नहीं चल सकता, बिना सरकारी सहयोग के कारोबार भी आगे नहीं बढ़ सकता। उद्याेग को बढ़ावा देना अच्छी बात है लेकिन ट्रेड सेक्टर की लगातार अनदेखी इस सेक्टर को समाप्त कर देगी। सरकार को इसी बजट में इसके बारे में सोचना चाहिए।

-विशाल गुप्ता, कोषाध्यक्ष ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाऊस-नेहरू मार्केट

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