Jammu : खुशबीर सिंह शाद के कविता संग्रह ‘शाह खसनास ताम’ का विमोचन

जम्मू यूनिवर्सिटी के प्रो. ज्ञान चंद जैन सेमीनार हाल में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में वाइस चांसलर प्रो. मनोज के धर मुख्य अतिथि थे।उन्होंने कहा कि साहित्य का एक भाषा से दूसरी भारूाा में अनुवादित होना सराहनीय कार्य है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 01:30 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 01:30 PM (IST)
Jammu : खुशबीर सिंह शाद के कविता संग्रह ‘शाह खसनास ताम’ का विमोचन
गुलज़ार द्वारा डोगरी से उर्दू में अनुवादित एक कविता भी पढ़ी थी।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग, इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स के सहयोग से खुशबीर सिंह शाद के उर्दू कविता संग्रह के कश्मीरी अनुवाद ‘शाह खसनास ताम’ का विमोचन किया गया।इस पुस्तक का कश्मीरी अनुवाद डा. शाहिद शबनम ने किया है।

जम्मू यूनिवर्सिटी के प्रो. ज्ञान चंद जैन सेमीनार हाल में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में वाइस चांसलर प्रो. मनोज के धर मुख्य अतिथि थे।उन्होंने कहा कि साहित्य का एक भाषा से दूसरी भारूाा में अनुवादित होना सराहनीय कार्य है। ऐसे प्रयासों से ही एक भाषा में लिखा या रहा दूसरी भााा के साहित्यकारों तक पहुंचाना संभव है। प्रो. धर ने अनुवाद की चुनौती लेने के लिए डा. शाहिदा शबनम को भी बधाई दी और आगे कहा कि पुस्तक का शीर्षक बहुत प्रभावशाली और सार्थक है। इस अवसर पर कुलपति ने गुलज़ार के नवीनतम संग्रह को याद किया। जिसमें उन्होंने पद्मा सचदेव की एक डोगरी कविता का उर्दू में अनुवाद किया था।गुलज़ार द्वारा डोगरी से उर्दू में अनुवादित एक कविता भी पढ़ी थी।

पांजाबी लेखक खालिद हुसैन ने इस अवसर पर जोर दिया कि क्षेत्रीय भाषाओं में अधिक से अधिक उर्दू पुस्तकों का अनुवाद किया जाना चाहिए। जिसमें डोगरी और पंजाबी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कराची विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों में से एक ने बाबा बुल्ले शाह की कविता का उर्दू में अनुवाद किया। जिसकी बहुत सराहना की गई। शाहिदा शबनम की तारीफ करते हुए खालिद हुसैन ने उन्हें एक प्रतिभाशाली लेखक के रूप में वर्णित किया। जिन्होंने कश्मीरी भाषा में कई किताबें लिखी थीं। वह कश्मीरी भाषा और साहित्य के उत्थान के लिए जबरदस्त काम कर रही हैं।

खुशबीर सिंह शाद ने दर्शकों के साथ बातचीत की और उर्दू भाषा के साथ अपनी रुचि पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने 40 साल की उम्र में उर्दू सीखी। उनके अब तक उर्दू में लगभग 15 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न छात्रों ने उनके काव्य संग्रह पर एमफिल की उपाधि प्राप्त की है। खुशबीर सिंह शाद ने भी अपनी उर्दू शायरी का पाठ किया। प्रो. मोहम्मद रियाज अहमद, एचओडी उर्दू, जम्मू विश्वविद्यालय ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।प्रिंसिपल इम्फा प्रो. शोहाब इनायत मलिक ने कार्यक्रम की कार्यवाही का संचालन किया।

अन्य प्रसिद्ध उर्दू कवि प्रेमी रोमानी, डा. चमन लाल, डा. एआर मन्हास, डा. दीपाली वट्टल, सूरज सिंह, राकेश कुमार, डा. फरहत शमीम, जम्मू विश्वविद्यालय के स्टाफ सदस्य, उर्दू विभाग के छात्र, विद्वान और संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में इस अवसर पर सिविल सोसायटी के सदस्य भी मौजूद थे। 

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