जम्मू वासियों के दिलों में हमेशा रहेंगे जगमोहन, दूसरी बार राज्यपाल बनने पर मनाई दी दीपावली
दो बार जम्मू कश्मीर से भाजपा के विधायक व एक बार एमएालसी रहे अशोक खजूरिया का कहना है कि ज्गमोहन एक विकास पुरुष थे उन्होंने जम्मू संभाग में विकास के बड़े प्रोजेक्ट फ्लाइओवर अस्पताल आदि बनाने की शुरूआत की थी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: कश्मीर केंद्रित सरकारों की अनदेखी के कारण नजरअंदाज होते आए जम्मू संभाग में विकास की शुरूआत करवाने वाले पूर्व राज्यपाल क्षेत्र के लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।
प्रदेश के इतिहास में अब तक सिर्फ जगमोहन ही ऐसे राज्यपाल रहे हैं जिन्हें दूसरी बार जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाने पर जम्मू वासियों ने दिवाली मनाते हुए अपने घरों में दिए जलाए थे। वर्ष 1984 से 1989 तक राज्यपाल रहे जगमोहन को दूसरी बार 1990 में जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था। सामान विकास क्या होता है, जम्मू वासियों को यह अंदाजा राज्यपाल शासन के दौरान हुआ था। इस दौरान जम्मू शहर में फ्लाईओवर बनाने के साथ विकास को तेजी देने के प्रोजेक्ट बने।
दो बार जम्मू कश्मीर से भाजपा के विधायक व एक बार एमएालसी रहे अशोक खजूरिया का कहना है कि ज्गमोहन एक विकास पुरुष थे, उन्होंने जम्मू संभाग में विकास के बड़े प्रोजेक्ट, फ्लाइओवर, अस्पताल आदि बनाने की शुरूआत की थी। जम्मू शहर में फलाइओवर बनाने के साथ उनकी कोशिश थी कि जम्मू शहर के बीसी रोड से फ्लाइओवर का विस्तार कर इसे मांडा तक पहुंचाया जाए। ऐसा संभव नही हो पाया।
खजूरिया का कहना है कि जगमोहन ने श्री माता वैष्णो देवी स्थापना स्थापना बोर्ड बनाकर माता के भक्तों पर एहसान किया था। उन्ही की प्रयासों की बदौलत ही आज श्री माता वैष्णो देवी धार्मिक स्थल पर यात्रियों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं हैं। यह कारण हैं कि विकास की उम्मीदें रखने वाले जम्मू वासियों को जब पता लगा कि जगमोहन फिर से राज्यपाल बन रहे हैं तो उन्होंने खुशी का इजहार करने के लिए अपने घरों के बाहर दिए जलाए थे।
वहीं सूचना विभाग से असिस्टेंट इन्फारमेशन आफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए महेश शर्मा ने पूर्व राज्यपाल जगमोहन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, उस दौरान उन्हें भी उनके साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर जम्मू और श्रीनगर के समान विकास को महेशा तरजीह दी। उनके कार्यकाल के दौरान जम्मू व कश्मीर में सम्मान विकास हुआ। यही वजह है कि जम्मू व कश्मीर संभाग के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
कश्मीर घाटी में आतंकवाद की कमर तोड़ने में उनकी भूमिका अहम रही। उनके सख्त कदमों ने ही जेकेएलएफ की जड़ों को कश्मीर घाटी में कमजोर किया। उनके प्रयासों से ही मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी को आतंकवादियों से रिहा किया गया। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन, माैलाना आजाद रोड, जम्मू व कश्मीर फ्लाइओवर जैसे की महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट स्वर्गीय जगमोहन जी की ही देन है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर दो बार अपनी सेवाएं दे चुके स्वर्गीय जगमोहन जी ने अपनी पुस्तक फायर में जम्मू-कश्मीर के हालात को बयां किया है। उनकी यह पुस्तक काफी पसंद की गई।
यही वजह है कि सूचना विभाग के जेपी गंडोत्रा ने उनकी अंग्रेजी पुस्तक फायर काे उर्दू में अनुवाद किया जिसका नाम आतिश था। वह भी काफी पसंद की गई। अंत में महेश शर्मा जी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के प्रति उनकी सोच व यहां के लोगों के लिए उनके दिल में जो प्रेम रहा है, वह उन्हें हमेशा यहां के लोगों के बीच जिंदा रखेगी।