JMC: रोजाना 50 टिप्पर मलबा निकाल बरसात से निपटने में जुटा नगर निगम
Jammu Municipal Corporation जम्मू नगर निगम ने बरसात से निपटने के लिए पूरी मशीनरी नालों की सफाई में लगा दी है। शहर में सफाई व्यवस्था के साथ नालों से निकलने वाले मलबे को ठिकाने लगाया जा रहा है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: बरसात में लोगों को नुकसान से बचाने के लिए जम्मू नगर निगम ने कमर कस ली है। रोजाना 50 से 60 टिप्पर मलबा नालों से निकाला जा रहा है। शहर के सभी बड़े नालों की सफाई के लिए मशीनरी और कर्मचारी मुस्तैद हैं।
निगम ने शहर के ओल्ड डीली, पूरन नगर, नानक नगर, त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन, शिवा जी चौक, कृष्णा नगर, दुर्गा नगर, सब्जी मंडी जानीपुर, शक्ति नगर, टाली मोड दूरदर्शन लेन, ज्यूल चौक में नालों की सफाई का काम जारी रखा हुआ है। मार्च माह के पहले हफ्ते से निगम की टीमों ने यह प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि अभी बहुत से नालों में कई स्थान बाकी हैं जहां सफाई की जानी है। निगम पहले उन स्थानों को चिन्हित कर काम कर रहा है जहां से जलभराव का ज्यादा खतरा रहता है।
पूरी मशीनरी के साथ संभाला है मोर्चा: जम्मू नगर निगम ने बरसात से निपटने के लिए पूरी मशीनरी नालों की सफाई में लगा दी है। शहर में सफाई व्यवस्था के साथ नालों से निकलने वाले मलबे को ठिकाने लगाया जा रहा है। निगम ने नालों की सफाई के लिए छह जेसीबी मशीनों के साथ 9 टिप्पर विशेष रूप से तैनात किए हैं। इतना ही नहीं नालों में सफाई के लिए 15 लोगों वाली तीन टीमें भी बना रखी हैं जो अलग-अलग स्थानों पर भेजी जा रही हैं। नालों के अलावा मुहल्लों में गहरी नालियों को साफ करने के लिए निगम ने रोस्टर के हिसाब से 110 कर्मचारियों को भी तैनात किया है जो कॉरपोरेटरों के निर्देशों और प्राथमिकता के आधार पर गहरी नालियों को साफ कर रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी: नगर निगम में नालों की सफाई और गाड़ियों के अमलों की देखरेख करने वाले चीफ ट्रांसपोर्ट आफिसर स. हरविंद्र सिंह का कहना है कि युद्धस्तर पर नालों का काम जारी है। बरसात से पहले सभी नालों को साफ करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए करीब डेढ़ सौ कर्मचारियों के साथ मशीनरी को तैनात किया गया है। सुबह से शाम तक काम देखा जाता है। रोजाना पचास-साठ गाड़ियां मलबा निकाला जा रहा है जिसके बाद में कोट भलवाल में डंपिंग साइट पर ठिकाने लगाया जा रहा है। उनका कहना है कि लोग सहयोग करें। नालों-नालियों में गंदगी, मलबे को न फेंके। तभी आगामी बरसात में जलभराव जैसी समस्या से बचा जा सकता है।