Jammu Municipal Corporation: ढाबों, रेस्टोरेंटों में लकड़ी व कोयले से भोजन पकाने पर रोक

जम्मू नगर निगम म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 2000 की धारा 302 व 303 के तहत जम्मू नगर निगम यह कार्रवाई करने जा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 03 Jan 2020 01:06 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jan 2020 01:06 PM (IST)
Jammu Municipal Corporation: ढाबों, रेस्टोरेंटों में लकड़ी व कोयले से भोजन पकाने पर रोक
Jammu Municipal Corporation: ढाबों, रेस्टोरेंटों में लकड़ी व कोयले से भोजन पकाने पर रोक

जम्मू, अंचल सिंह। शहर में कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल कर खाना बनाने वाले ढाबों, रेस्टोरेंट, भोजनालयों व अन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ जम्मू नगर निगम कार्रवाई करने जा रहा है। निगम ने ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को पंद्रह दिन में इनका इस्तेमाल बंद करने को कहा है। इसके बाद कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल कर भोजन बनाने वाले ऐसे सभी प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

निगम ने यह कार्रवाई एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग कमेटी के निर्देशों के बाद करने की तैयारी शुरू की है। जुर्माने और सीलिंग की प्रक्रिया से पहले निगम सभी ढाबों, रेस्टोरेंट वालों को पंद्रह दिन का समय दिया है। इस दौरान वे खाना बनाने के अन्य तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। एलपीसी गैस का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए नगर निगम ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है। निगम ने ऐसे सभी ढाबों, रेस्टोरेंट की सूची बनानी शुरू कर दी है जो कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल करते हुए खाना बनाते हैं।

जम्मू नगर निगम म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 2000 की धारा 302 व 303 के तहत जम्मू नगर निगम यह कार्रवाई करने जा रहा है। पहले सभी भोजनालयों, रेस्टोरेंट व ढाबा मालिकों को चेताया जा रहा है। इसके बाद सख्ती की जाएगी। जम्मू शहर में करीब 500 ढाबे, 200 रेस्टोरेंट, 300 भोजनालय होंगे। सभी में कोयले व लकड़ी से तंदूर जलाए जाते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। ऐसा न करने पर कार्रवाई होगी।

कोयला और लकड़ी से ही जलता है तंदूर, बंद हआ तो होंगे हजारों बेरोजगार : ढाबा यूनियन जम्मू के उपप्रधान मुरारी लाल बलगोत्र का कहना है कि कोयला और लकड़ी से तंदूर जलाए जाते हैं। इन्हें बंद करने से पहले कोई सही विकल्प मौजूद होना चाहिए। ऐसा कोई विकल्प फिलहाल मौजूद नहीं। ऐसा होने से जम्मू-कश्मीर में हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे। पहले ही मजदूरों की कमी के चलते ढाबे कम होते जा रहे हैं। प्रशासन को इस दिशा में कोई कदम उठाने से पहले बैठकें करनी चाहिए। ऐसे किसी आदेश को माना नहीं जा सकता, जब तक कोई सही विकल्प मौजूद न हो। इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। नगर निगम को नियम को लागू करते समय इन सभी तथ्यों पर विचार करना चाहिए।

तंदूरी रोटी, पराठे हो जाएंगे बीते कल की बात: अगर यह आदेश सख्ती से लागू हो जाता है तो फिर तंदूरी रोटी और लच्छेदार पराठों का स्वाद बीते कल की बात हो जाएगी। फिलहाल हर रेस्टोरेंट, ढाबे, भोजनालय में तंदूर लगे हुए। इनमें कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल होता है। रसोई गैस के इस्तेमाल से तवा रोटी तो बन जाएगी, लेकिन तंदूरी नहीं। निगम का यह आदेश ढाबे, रेस्टोरेंट, भोजनालय मालिकों के गले की फांस तो बनेगा ही, आम लोग भी प्रभावित होंगे।

कमेटी के निर्देशों पर अमल: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 18 अगस्त 2018 के आदेश पर जम्मू और श्रीनगर नगर निगम के अधीन शहरों में प्रदूषण को रोकने के लिए एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने 10 दिसंबर को जम्मू व श्रीनगर निगम को निर्देश दिए कि वह शहर में ढाबों, रेस्टोरेंट, भोजनालयों में रसोई एलपीसी और अन्य खाना बनाने के साधनों को शुरू करवाएं। जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 11 मार्च 2019 को आदेश भी जारी किया था। कोयला व लकड़ी का इस्तेमाल करते हुए खाना बनाने वाले सभी ढाबों, रेस्टोरेंट व भोजनालयों को इनका इस्तेमाल बंद करने को कहा गया है। पंद्रह दिन का समय दे रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण को मद्देनजर रखते हुए जारी आदेश के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। प्रतिष्ठान मालिक स्वयं ही कोई अन्य विकल्प लें और कार्रवाई से बचें तथा जम्मू नगर निगम का सहयोग करें। - पंकज मगोत्र, म्यूनिसिपल कमिश्नर, जम्मू 

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