Jammu Kashmir: ...तो इस बार भी मरीजों को खलेगी विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी, स्टाफ की नियुक्ति भी नहीं हो पाई

राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल जम्मू का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसी अस्पताल में कोविड के मरीज सबसे अधिक संख्या में भर्ती होते हैं। जीएमसी में अब नई इमरजेंसी के 100 बेड जुडऩे के बाद एक हजार बेड की क्षमता हो गई लेकिन यहां पर पर्याप्त डाक्टर नहीं हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 09:26 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 09:26 AM (IST)
Jammu Kashmir: ...तो इस बार भी मरीजों को खलेगी विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी, स्टाफ की नियुक्ति भी नहीं हो पाई
एंडोक्रेनालोजी विभाग में भी इस समय एक ही स्थायी फैकल्टी सदस्य काम कर रहा है।

जम्मू, रोहित जंडियाल: कोरोना की अगर तीसरी लहर आती है तो मरीजों को एक बार फिर से विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी खलेगी। अस्पतालों में खाली पदों को भरने के सरकार के तमाम प्रयास विफल दिख रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने के लिए डाक्टर भी कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। इस कारण पद भरने में भी परेशानी हो रही है। अस्पतालों में बेड बढऩे के अनुपात में डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई। कई पदों पर अकादमिक प्रबंधन के तहत नियुक्तियां कर काम चलाया जा रहा है।

जीएमसी और सहायक अस्पतालों में कुछ महीने पूर्व फैकल्टी के 150 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन इनमें डाक्टरों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। इन पदों के लिए 50 फीसद डाक्टरों ने ही आवेदन किया। अभी प्रशासन को यह संदेह है कि 50 फीसद पद भी भर पाएंगे या नहीं। जीएमसी के एक वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य का कहना है कि जिन 75 डाक्टरों ने आवेदन किया है, उनमें से भी 40 ही ज्वाइन करेंगे।

राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल जम्मू का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसी अस्पताल में कोविड के मरीज सबसे अधिक संख्या में भर्ती होते हैं। जीएमसी में अब नई इमरजेंसी के 100 बेड जुडऩे के बाद एक हजार बेड की क्षमता हो गई, लेकिन यहां पर पर्याप्त डाक्टर नहीं हैं। कोविड के मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी संभालने वाले मेडिसिन विभाग में फैकल्टी के 18 पद खाली हैं। इस समय विभाग में 11 ही फैकल्टी सदस्य काम कर रहे हैं। इसी तरह सर्जरी विभाग में 14 और आर्थाेपैडिक्स विभाग में सात पद खाली पड़े हुए हैं। एनेस्थीसिया, गायनाकोलाजी, माइक्रोबायालोजी, पेडियाट्रिक्स, पैथालाजी, रेडियो डायग्नोसिस विभाग में भी फैकल्टी सदस्यों के पद खाली हैं।

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी स्थिति जुदा नहीं: सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी कमोवेश स्थिति ऐसी ही है। किडनी रोग विभाग में एक भी स्थायी फैकल्टी सदस्य नहीं है। स्वास्थ्य विभाग से डेपुटेशन पर डाक्टरों को नियुक्त किया गया है। क्लीनिकल हेमाटालोजी और मेडिकल गैस्ट्रो में एक भी डाक्टर नहीं है। एंडोक्रेनालोजी विभाग में भी इस समय एक ही स्थायी फैकल्टी सदस्य काम कर रहा है।

नान गजटेड के पद भी खाली: स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के भी सैकड़ों पद खाली पड़े हुए हैं। हालांकि, विभाग ने नेशनल हेल्थ मिशन और एसआरओ 364 के तहत नियुक्तियां कीं। जीएमसी और सहायक अस्पतालों में कुछ महीनों में पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के 300 पदों पर नियुक्तियां करने का जीएमसी प्रशासन ने दावा किया है। अभी 1450 पदों पर और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन अभी भी राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में नान गजटेड के सौ से अधिक पद खाली हैं। सीडी अस्पताल में 133 मंजूर पदों में से 72 पर ही काम हो रहा है। इन अस्पतालों में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पद भी खाली हैं।

भर्ती प्रक्रिया में खामी भी वजह: जीएमसी जम्मू में नौकरी नहीं करने के पीछे कई डाक्टर यहां की भर्ती प्रक्रिया को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि अब सभी कालेजों में लेक्चरर के पद को खत्म कर दिया गया है। सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही नियुक्ति होती है। जम्मू कश्मीर में जो नए मेडिकल कालेज खुले हैं, वहां पर भी लेक्चरर का पद नहीं है, लेकिन जीएमसी जम्मू में अभी भी लेक्चरर की नियुक्ति होती है। इस कारण यहां पर बहुत से डाक्टर आवेदन ही नहीं करते हैं। 

chat bot
आपका साथी