Kashmiri Pandit: कश्मीरी पंडितों ने सरकार से कहा-घाटी के मंदिरों के संरक्षण के लिए बनाएं कानून
Kashmiri Pandit 1990 में आतंकवाद के दौर के कारण कश्मीर के अनेकों मंदिरों को जलाया गया और वहां तोड़फोड़ की गई। आज यह मंदिर खाली हैं और शरारती तत्व मंदिरों की भूमि पर कब्जा करने में जुटे हुए हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता: आतंकवाद के दौर में घाटी के मंदिरों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। रखरखाव नही होने से अधिकांश मंदिरों की हालत बिगड़ती जा रही है। वहीं मंदिरों की भूमि पर अब अतिक्रमण का क्रम जारी है। इन सब बातों से कश्मीरी पंडित खफा है और सरकार पर लगातार दवाब बना रहा है कि कश्मीर मंदिरों का संरक्षण किया जाए। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने की जरूरत है।
पंडित प्रेमनाथ भट्ट मेमोरियल ट्रस्ट के महासचिव शादी लाल कौल ने कहा कि कश्मीर घाटी में स्थित मंदिर और हिंदुओं के दूसरे धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए अब मंदिर बिल लाया जाना जरूरी है। इससे अतिक्रमण पर रोक तो लगेगी ही वहीं मंदिरों का रख रखाव भी होगी व मंदिरों की मरम्मत का काम भी आरंभ होगा। 1990 में आतंकवाद के दौर के कारण कश्मीर के अनेकों मंदिरों को जलाया गया और वहां तोड़फोड़ की गई।
आज यह मंदिर खाली हैं और शरारती तत्व मंदिरों की भूमि पर कब्जा करने में जुटे हुए हैं। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों के आस्था के केंद्र ही नही बल्कि पूरे हिंदू समाज के आस्था के केंद्र हैं। इन्ही से कश्मीरी पंडितों की संस्कृति भी जुड़ी हुई है। अधिकांश मंदिर बहुत पुराने समय के हैं और इनकी ऐतिहासिक महत्ता भी है। केंद्र सरकार मंदिरों के संरक्षण के लिए बातें तो करती है मगर अभी तक हकीकत में कोई बड़े कदम नही उठाए जा सके हैं। इसलिए अब केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन से गुजारिश है कि घाटी के मंदिरों व हिंदुओं के दूसरे धार्मिक स्थलों को सुरक्षित करने के लिए मंदिर बिल लाया जाए।
वहीं मांग की गई कि कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर भी सरकार गंभीरता से कदम उठाए। कश्मीरी पंडित सम्मान के साथ घाटी वापसी चाहता है और इस दिशा में केंद्र सरकार को प्रयास करने चाहिए।