जम्मू कश्मीर में तेंदुओं की होगी जनगणना, शहरी क्षेत्रों में तेंदुओं की अचानक वृद्धि के कारणों का पता लगाया जाएगा

जम्मू कश्मीर वन्य जीव विभाग ने पिछले साल 319 तेंदुओं को पकड़ा था। इनमें से 12 जम्मू में और 312 कश्मीर में पकड़े गए थे। यह आबादी वाले इलाकों में घुस आए थे। बाद में इन्हेंं जंगलों मे छोड़ा गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:07 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:07 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में तेंदुओं की होगी जनगणना, शहरी क्षेत्रों में तेंदुओं की अचानक वृद्धि के कारणों का पता लगाया जाएगा
जम्मू संभाग के कुछ हिस्सों में तेंदुओं की आबादी का पता लगाने के लिए सर्वे शुरू किया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रदेश में तेंदुओं की सही संख्या का पता लगाने के लिए गणना का फैसला किया है। सिर्फ यही नहीं शहरी इलाकों में तेंदुओं की आमद में अचानक वृद्धि के कारणों का भी पता लगाया जाएगा। वन्य जीव विभाग प्रशिक्षित वन्यकॢमयों और वन्य जीवों पर शोध कर रहे छात्रों और विशेषज्ञों की सेवाएं भी लेगा।

गौरतलब है कि बीते दिनों श्रीनगर शहर में तीन जगहों पर तेंदुओं को देखा गया। तीन जून को बडग़ाम में तेंदुए ने एक बच्ची को उसके घर के आंगन से उठा लिया और बाद में बच्ची का क्षत-विक्षत शव निकटवर्ती नर्सरी में मिला था। 16 जून को बडग़ाम में तेंदुए के तीन शावक मिले हैं।

प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि हमने अभी तक अधिकारिक स्तर पर तेंदुओं की गिनती के लिए कभी कोई सर्वे नहीं किया है। कभी यह जानवर यहां लुप्त होने की कगार पर था। कुछ वर्षों से इसकी आबादी लगातार बढ़ रही है। अब इसकी आबादी कितनी है, इसका कोई ब्योरा हमारे पास नहीं है। हमने जम्मू संभाग के कुछ हिस्सों में तेंदुओं की आबादी का पता लगाने के लिए सर्वे शुरू किया है, इसे जल्द ही पूरे प्रदेश में विस्तार दिया जाएगा।

पिछले साल 319 तेंदुओं को पकड़ा : जम्मू कश्मीर वन्य जीव विभाग ने पिछले साल 319 तेंदुओं को पकड़ा था। इनमें से 12 जम्मू में और 312 कश्मीर में पकड़े गए थे। यह आबादी वाले इलाकों में घुस आए थे। बाद में इन्हेंं जंगलों मे छोड़ा गया था। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन सुरेश कुमार गुप्ता ने बताया कि तेंदुओं को कुछ महीने से प्रदेश के लगभग हर जिले में घनी आबादी वाले इलाकों में देखा जा रहा है। कुछ समय पहले जम्मू के पॉश कहे जाने वाले ग्रीन बेल्ट पार्क में तेंदुए ने आतंक मचाया था। सांबा, राजौरी, सिदड़ा, कठुआ के ऊपरी हिस्सों में आए दिन तेंदुए द्वारा भेड़-बकरियों पर हमले की शिकायतें मिलती हैं। कश्मीर में आए दिन तेंदुए को शहरी इलाकों में देखा जा रहा है। इसकी आबादी बढऩे के कई कारण हैं। शिकार पर पाबंदी हो चुकी है। जंगल लगातार घट रह हैं। तेंदुए भोजन की तलाश में अक्सर जंगल के सथ सटे इलाकों में दाखिल हो जाते हैं।

आबादी से सटे जंगलों में तेंदुओं की संख्या अधिक : तेंदु़ओं पर शोध की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि तेंदुए अकसर आबादी से दूर जंगलों में रहते थे,लेकिन कश्मीर में हमने देखा है कि तेंदुए उन्हीं जंगलों में ज्यादा हैं जो आबादी से सटे हैं। इससे आप कह सकते हैं उन्होंने अपनी जिंदगी का तरीका कुछ बदला है। अब हम यहां उनकी गणना करने जा रहे हैं। हम उनकी आवाजाही के पैटर्न, उनकी आदतों को भी समझने का प्रयास करेंगे। जम्मू कश्मीर में यह अपनी तरह का पहला सर्वे होगा।

32 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं: सुरेश कुमार गुप्ता के अनुसार, वादी में लावारिस कुत्ते तेंदुए के आसान शिकार होते हैं। यह कुत्ते आबादी वाले इलाकों में ही हैंं। वर्ष 2017 से प्रदेश में तेंदुए और भालू के हमलों में 32 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 500 अन्य जख्मी हुए हैं। 

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