Jammu Kashmir : जम्मू कश्मीर के पूर्व स्पीकर निर्मल सिंह का बंगला गिराने के नोटिस पर रोक

डा. निर्मल सिंह ने कहा कि मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। मैंने नियमों के तहत ही घर बनाया है उसका नक्शा भी अनुमोदित है और बैंक से कर्ज लिया गया है। जिस समय मैंने मकान बनाया तब वह इलाका जेडीए के अधीन नहीं था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 07:34 AM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 07:34 AM (IST)
Jammu Kashmir : जम्मू कश्मीर के पूर्व स्पीकर निर्मल सिंह का बंगला गिराने के नोटिस पर रोक
नगरोटा में डा. निर्मल ङ्क्षसह का बंगला उनकी पत्नी ममता सिंह के नाम पर है।

जम्मू, जेएनएफ : जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल ने पूर्व स्पीकर व पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह को राहत प्रदान करते हुए उनका बंगला गिराने के जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) के नोटिस पर कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने जेडीए को सात दिसंबर तक यथास्थिति कायम रखने के निर्देश देते हुए अपना पक्ष रखने को भी कहा है।

जेडीए की ओर से आठ नवंबर को जारी नोटिस में डा. निर्मल सिंह के जम्मू के नगरोटा क्षेत्र के बन गांव में बने उनके बंगले को अवैध निर्माण बताते हुए उन्हें पांच दिन में इसे गिराने को कहा था। नोटिस में यह भी कहा गया था कि ऐसा न होने की सूरत में जेडीए स्वयं निर्माण गिराएगा और उसका खर्च भी निर्मल ङ्क्षसह व उनकी पत्नी को देना पड़ेगा।

जेडीए के इस नोटिस को डा. निर्मल सिंह ने जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। शुक्रवार को ट्रिब्यूनल ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आठ नवंबर को जारी नोटिस पर स्टे लगाते हुए जेडीए को सात दिसंबर 2021 तक मौके पर यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया।

नगरोटा में डा. निर्मल ङ्क्षसह का बंगला उनकी पत्नी ममता सिंह के नाम पर है। लिहाजा ममता सिंह के माध्यम से ट्रिब्यूनल में यह याचिका दायर की गई थी। उनकी ओर से सीनियर एडवोकेट आरके गुप्ता, एडवोकेट जुगल किशोर गुप्ता व एडवोकेट राहुल सदोत्रा ट्रिब्यूनल के सामने पेश हुए।

यह दी गई दलील : स्पेशल ट्रिब्यूनल के समक्ष दलील दी गई कि याची का नगरोटा के बन गांव के खसरा नंबर 441 में चार कनाल का रिहायशी प्लाट था, जो उन्होंने 20 मई 2014 को खरीदा था। उन्होंने प्लाट की सेल-डीड भी ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र किसी भी विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में नहीं आता और 2017 की शुरुआत तक याची ने यहां बंगले का निर्माण पूरा कर लिया था। उन्होंने कहा कि याची अपने परिवार के साथ 2017 से उस घर में रह रही थी और तब किसी ने निर्माण पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने कहा कि तीन मार्च 2017 को जम्मू मास्टर प्लान 2032 की अधिसूचना जारी हुई, जिसके तहत 103 गांव जेडीए के अधीन लाए गए। इनमें बन गांव भी एक था। अब चार साल बाद जेडीए ने इस निर्माण को अवैध करार देते हुए नोटिस जारी किया है। इस पर सुनवाई करते हुए स्पेशल ट्रिब्यूनल ने नोटिस पर फिलहाल कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा : निर्मल सिंह

डा. निर्मल सिंह ने कहा कि मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। मैंने नियमों के तहत ही घर बनाया है, उसका नक्शा भी अनुमोदित है और बैंक से कर्ज लिया गया है। जिस समय मैंने मकान बनाया, तब वह इलाका जेडीए के अधीन नहीं था। मुझे समझ में नहीं आता कि जम्मू शहर के विभिन्न हिस्सों में अवैध निर्माण है, एक समुदाय विशेष ने जंगल साफ कर कालोनियां बना दी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। मैंने नियमों के मुताबिक मकान बनाया और उसे लेकर विवाद पैदा किए जा रहे हैं। मैं कानून का पालन करने वाला एक नागरिक हूं। मैं कानून के मुताबिक ही चलूंगा। जेडीए के नोटिस के खिलाफ मैंने ट्रिब्यूनल का सहारा लिया है। ट्रिब्यूनल ने मेरे पक्ष को सही ठहराते हुए जेडीए को नोटिस जारी कर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। 

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