Jammu Kashmir: विधानसभा चुनाव से पहले सिख संगठन हुए सक्रिय, राजनीतिक आरक्षण का मुद्दा उठाया
आल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना का कहना है कि जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय को हमेशा ही नजरअंदाज किया जाता रहा है। पूर्व जम्मू कश्मीर में पूर्व सरकारों ने सिख समुदाय की मांगों को कभी पूरा नहीं किया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले सिख संगठनों ने सिख समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण की मांग को उठाना शुरू किया है। जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव करवाने की विपक्ष की मांग के बीच सक्रिय हुए सिख संगठनों ने कहा कि आबादी के लिहाज से जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय के लिए विधानसभा में दो सीटें आरक्षित की जाएं। इस समय जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हुई है और परिसीमन के बाद केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव करवाएगा।
कोरोना से उपजे हालात के कारण करीब डेढ़ साल प्रभावित रही राजनीतिक गतिविधियां फिर से शुरू हो रही है। कोरोना के कारण जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के चुनाव भी लटक चुके है। हालात सामान्य होते देख सिख संगठनों ने केंद्र सरकार पर जोर देना शुरू किया है कि चूंकि जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय बिखरा हुआ है इसलिए वे अपना प्रतिनिधि चुनने में असमर्थ है इसलिए राजनीतिक आरक्षण दिया जाए। नेशनल सिख फ्रन्ट के चेयरमैन वीरेंद्र जीत सिंह ने कहा है कि विधानसभा में सिख समुदाय की समस्याएं सही तरीके से उजागर नहीं हो पाती है।
कश्मीर के गांवों से लेकर जम्मू संभाग के हर जिले में सिख समुदाय रहता है। अगर विधानसभा में चुन कर सिख प्रतिनिधि आएंगे तो वे सही तरीके से समुदाय की समस्याओं को उजागर कर सकते है। हमारी मांग है कि कम से कम दो सीटें सिखों के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
आल पार्टीज सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना का कहना है कि जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय को हमेशा ही नजरअंदाज किया जाता रहा है। पूर्व जम्मू कश्मीर में पूर्व सरकारों ने सिख समुदाय की मांगों को कभी पूरा नहीं किया। सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते रहे है। कश्मीर के गांवों से लेकर शहरों में सिख समुदाय के लोग रहते है जो हालात खराब होने के बावजूद वहां पर ही रहें। हम चाहते है कि सिखों को राजनीतिक आरक्षण देकर इंसाफ किया जाए। अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिए जाने की मांग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी पूरी नहीं हुई है।
सिख नेता सुरजीत सिंह का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सिख समुदाय की समस्याओं का समाधान होना चाहिए था लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। राजनीतिक आरक्षण से सिख समुदाय को सशक्त बनाया जा सकता है।