Jammu Kashmir: आरक्षित नियम तय होने के बाद राजनीतिक पार्टियों की नजरें चुनाव आयोग पर

Jammu Kashmir DDC Chairman भारतीय संविधान के 73 वे और 74 वे संशोधन में इस तरह का ही प्रावधान शामिल किया गया है। चेयरपर्सन के पद के आरक्षित होने के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों की हलचल बढ़ जाएगी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 12:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 12:06 PM (IST)
Jammu Kashmir: आरक्षित नियम तय होने के बाद राजनीतिक पार्टियों की नजरें चुनाव आयोग पर
चेयरपर्सन के बीस में से छह पद महिलाओं को मिल सकते है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जिला विकास परिषद के चेयरपर्सन के पदों के लिए आरक्षण नियम तय हो जाने के बाद अब सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें चुनाव आयोग पर लग गई हैं। जिला विकास परिषद चुनाव के बाद हाल ही में ग्रामीण विकास और पंचायत मामलों के विभाग ने चेयरपर्सन की सीटों को आरक्षित करने के लिए नियम जारी कर दिए है और दो तीन दिन में राज्य चुनाव आयोग नियमों के तहत सीटें आरक्षित कर देगा।

सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें इस समय चुनाव आयोग की अधिसूचना पर लगी हुई हैं कि कौन कौन से सीट महिलाओं के लिए और कौन सी सीट अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षित होगी। नियमों के तहत एक तिहाई चेयरपर्सन के पद महिलाओं के लिए आरक्षित होनी है। जम्मू कश्मीर में कुल बीस जिले है और बीस ही चेयरपर्सन बनने है। इसलिए महिलाओं के लिए छह या सात सीटें आरक्षित हो सकती है। अगर नियमों के तहत तीन प्वाइंट के रोस्टर पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि ओपन, ओपन और आरक्षित होंगे। इसलिए चेयरपर्सन के बीस में से छह पद महिलाओं को मिल सकते है।

आरक्षित नियमों के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति को उनकी जम्मू कश्मीर में जनसंख्या के हिसाब से सीटें मिलेगी। इसका फैसला भी चुनाव आयोग ने ही करना है। अनुसूचित जाति को दो और अनुसूचित जनजाति को तीन सीटें मिल सकती है। जिला विकास परिषदों के चेयरपर्सन के कुल बीस पदों में से नौ पद ओपन में रह सकते है। चुनाव आयोग की तरफ से सीटों को आरक्षित किए जाने की अधिसूचना जारी करने के बाद बीस दिनों के भीतर चुनाव करवाने होंगे।

जैसे ही चेयरपर्सन अपना कार्यभार संभाल लेंगे तो जम्मू कश्मीर में पंचायतों का थ्री टियर सिस्टम लागू हो जाएगा। पंचायतों के प्रतिनिधि पहले ही चुने जा चुके है, पिछले साल ब्लाक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव हुए थे और तीसरे चरण में चेयरपर्सन चुने जाने है। भारतीय संविधान के 73 वे और 74 वे संशोधन में इस तरह का ही प्रावधान शामिल किया गया है। चेयरपर्सन के पद के आरक्षित होने के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों की हलचल बढ़ जाएगी। बैठकों का दौर होगा और विजयी उम्मीदवारों के बीच चेयरपर्सन के लिए उम्मीदवार तय किए जाएंगे।

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