World Pharmacists Day 2021 : जम्मू-कश्मीर में फार्मासिस्ट कर रहे नियमों के बदलने का इंतजार

सुशील सूदन ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में फार्मासिस्ट जिन मांगों को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं वे जल्दी ही पूरा हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया से लेकर ड्रग कंट्रोलर जम्मू-कश्मीर तक में उन्होंने कई बार इन मुद्दों को उठाया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 11:43 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 11:43 AM (IST)
World Pharmacists Day 2021 : जम्मू-कश्मीर में फार्मासिस्ट कर रहे नियमों के बदलने का इंतजार
फार्मेसी के कोर्स फार्मेसी काउंसिल के पास ही होने चाहिए।

जम्मू, रोहित जंडियाल : दो साल पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद बहुत कुछ बदल गया है। लेकिन कुछ नियम अभी भी नहीं बदले हैं। इन्हें बदलवाने के लिए संबंधित लोग संघर्ष कर रहे हैं। इन्हीं में जम्मू-कश्मीर के फार्मासिस्ट भी शामिल हैं। न तो अभी तक यहां पर दवाइयों की दुकानें खाेलने के नियम बदले हैं और न ही फार्मेसी काउंसिल के तहत आने वाले कोर्स चलाने के दिशा निर्देश। सब कुछ पहले की तरह ही चल रहा है।

देश के अन्य भागों में बी-फार्मेसी, डी-फार्मेसी सहित फार्मेसी के सभी कोर्स फार्मेसी काउंसिल ही चलाती है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह कोर्स जेएंडके पैरामेडिकल काउंसिल चला रही है। यहां पर फार्मेसी काउंसिल का प्रधान भी अलग नहीं है। यहां पर ड्रग कंट्रोलर को ही फार्मेसी काउंसिल का प्रधान बनाया गया है। इसीलिए सभी फार्मासिस्ट यहीं से अपना पंजीकरण करवाते हैं। हैरानगी की बात तो यह है कि यहां पर पहले कई फार्मासिस्टों का पंजीकरण ही नहीं हुआ था।

न तो कभी ड्रग कंट्रोल विभाग ने पंजीकरण करवाने के लिए जोर दिया और न ही कभी सभी सरकारी फार्मासिस्टों ने पंजीकरण करवाया था। जम्मू-कश्मीर में इस समय नौ हजार के करीब सरकारी फार्मासिस्ट हैं। इनमें से अधिकांश ने गत दो सालों में ही पंजीकरण करवाया है। अभी भी पंजीकरण प्रक्रिया जारी है।

जम्मू-कश्मीर इकलौता ऐसा प्रदेश है जहां पर दवाइयों की दुकान खोलने के लिए मेडिकल असिस्टेंट के अलावा सिर्फ दवाइयों की दुकानों में काम करने वालों को अनुभव के आधार पर लाइसेंस दे दिया जाता था। दो साल पहले जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाई गई तो यह आशंका जताई जाने लगी कि दवाइयों की दुकानों के लाइसेंस सिर्फ फार्मासिस्ट को ही मिलेंगे लेकिन अभी तक स्थिति साफ नहीं हुई है। अब 2019 तक कोर्स करने वालों के लाइसेंस बनाने पर सहमति हुई लेकिन अभी भी नियमों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अभी तक ब्लाक या जिला स्तर पर फार्मेसी अधिकारियों के पद भी सृजित नहीं हुए हैं। अन्य प्रदेशों में फार्मासिस्टों की पदोन्न्ति कर उन्हें ब्लाक और जिला फार्मेसी अधिकारी बनाया जाता है लेकिन यहां पर ऐसा नहीं है। जम्मू-कश्मीर फार्मासिस्ट एसोसिएशन कई वर्ष से इसकी मांग भी करती आई। लंबे समय तक आंदोलन करने वाले जरनैल सिंह का कहना है कि फार्मेसी अधिकारियों के पद होने चाहिए। इसके लिए हम लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं।

वहीं फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य सुशील सूदन ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में फार्मासिस्ट जिन मांगों को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं, वे जल्दी ही पूरा हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया से लेकर ड्रग कंट्रोलर जम्मू-कश्मीर तक में उन्होंने कई बार इन मुद्दों को उठाया है। जल्दी ही फार्मेसी के सभी पद फार्मेसी काउंसिल के अधीन आ जाएंगे। जेएंडके पैरामेडिकल काउंसिल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने भी माना कि फार्मेसी के कोर्स फार्मेसी काउंसिल के पास ही होने चाहिए।

chat bot
आपका साथी