Jammu Kashmir: कोर्ट ने नियमों के अनुरूप क्रशर्स और मिक्सिंग प्लांट्स को चलने की अनुमति दी
Crushers And Mixing Plants In Jammu अतिरिक्त महाधवक्ता एफए नतनू ने जम्मू के डिस्ट्रिक्ट मिनरल आफिसर को भी कोर्ट से यह निर्देश जारी करने की गुहार लगाई कि विभाग ने दोषी यूनिट मालिकों को जुर्माना किया हैउसे वह कोर्ट में चुनौती दे सके।
जम्मू, जेएनएफ: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए है कि नियम 2021 के अनुरूप प्रदेश में चल रहे स्टोन क्रशर्स और हॉट एडं वेट मिक्सिंग प्लांट्स को चलने दिया जाए।इस निर्देश के साथ ही जस्टिस संजीव कुमार ने याचिकाओं का निबटारा करते हुए ज्यूलॉजि एडं माइनिंग डिपार्टमेंट को निर्देश दिए कि पट्टे पर प्रतिवादियों के स्टोन क्रशर्स और मिक्सिंग प्लांट्स को चलने की अनुमति दी जाए।
सरकार ने 23 फरवरी, 2021 में आदेश जारी कर स्टोन क्रशर्स और मिक्सिंग प्लांट्स को चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन 5 मार्च, 21 को सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग ने इन यूनिटों को अस्थायी तौर पर चलाने का आदेश जारी किया।जिसमें कहा गया कि यूनिटों के मालिकों को हर छह माह बाद स्टोन क्रशर्स और मिक्सिंग प्लांट्स चलाने के लिए जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।
जस्टिस संजीव कुमार ने कहा कि स्टोन क्रशर्स और मिक्सिंग प्लांट्स के मालिकों जिन्हें रॉयल्टी और जुर्माने भरने के निर्देश दिए गए है,वे इस संबध में अलग से कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं या फिर जियोलॉजि एडं माइनिंग के डायरेक्टर से इस बारे छूट की अपील कर सकते हैं।
अतिरिक्त महाधवक्ता एफए नतनू ने जम्मू के डिस्ट्रिक्ट मिनरल आफिसर को भी कोर्ट से यह निर्देश जारी करने की गुहार लगाई कि विभाग ने दोषी यूनिट मालिकों को जुर्माना किया है,उसे वह कोर्ट में चुनौती दे सके। यूनिट मालिक भी भ्रम की स्थित में न रहे कि इस याचिका के साथ उन पर हुए जुर्माने को भी कोर्ट ने माफ कर दिया है। जस्टिस संजीव कुमार ने याचिकाकार्ताओं से कहा कि वे डिस्ट्रक्टि मिनरल आफिसर के नाम औपचारिक रूप से अर्जी दे जिसमें बताया जाए कि स्टोन क्रशर्स मालिक यूनिटों को चलाने के लिए रॉ मैटीरियल वैध रूप से मंगवा रहे हैं।
यह भी उल्लेख किया जाए कि तवी नदी से न तो पत्थर और बजरी का खनन किया जाएगा। इसका भी लिखित उल्लेख किया जाए।जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच के आदेशों का अनुपालन हो इसका पूरा ख्याल रखा जाए।
अगर इसका उल्लघंन होता है तो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कानून के मुताबिक यूनिट की बिजली काट दी जाए। संबधित विभाग दोषियों के खिलाफ कोर्ट की अवहेलना का मुकदमा भी चला सकते हैं।नियमों पर खरा उतरने वाले यूनिट मालिकों की काटी गई बिजली कनेक्शनों को दोबारा सुचारू करने के कोर्ट ने निर्देष दिए।