Coronavirus in Jammu Kashmir: मरीजों के ऑक्सीजन प्रबंधन में आयुर्वेद डाक्टरों की भी मदद ली जाएगी

Coronavirus in Jammu Kashmir अब मेडिकल कालेज की ओपीडी पूरी तरह से बंद करने के बाद इसे सरवाल अस्पताल में ही शुरू किया जाएगा। कोविड अस्पतालों की जरूरत के अनुसार सुरक्षा भी बढ़ाई जाएगी। वही अब एक और अहम फैसला हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 08:35 AM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 09:42 AM (IST)
Coronavirus in Jammu Kashmir: मरीजों के ऑक्सीजन प्रबंधन में आयुर्वेद डाक्टरों की भी मदद ली जाएगी
गांधीनगर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने पर भी समति हुई।

जम्मू, रोहित जंडियाल: कोविड 19 के मरीजों को सप्लाई की ता रही आक्सीजन के प्रबंधन में तकनीकी स्टाफ की कमी से जूझ रहे राजकीय मेडिकल कालेज व सहायक अस्पतालों ने अब इसमें आयुर्वेद डाक्टरों की मदद लेने का भी फैसला किया है। इससे आक्सीजन को जाया होने से भी बचाया जा सकेगा। यही नहीं सीडी अस्पताल के वाडों में भर्ती कोविड के मरीजों के लिए दस से पंद्रह लीटर की क्षामता साले आक्सीजन कंसनट्रेटर लगाने पर भी सहमति बनी है।

कोविड के मरीजों के कारण राजकीय मेडिकल कालेज व सहायक अस्पतालों के बिस्तर लगातार भरे जाने के बाद स्थानीय प्रशासन से लेकर जीएमसी प्रशासन हर दिन नई नीतियां बना रहा है। उसी के तहत यह कदम भी उठाए जा रहे हैं। जीएमसी में तकनीकी स्टाफ की कमी का जिक्र बीते कुछ दिनों में कई बार हो चुका है। जीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार डिवीजनल कमिश्नर जम्मू डा. राघव लंगर के दोरे के बाद जम्मू के डिप्टी कमिश्नर अंशु गर्ग और मिशन निदेशक नेशनल हेल्थ मिशन मोहम्मद यासीन ने जीएमसी प्रशासन तथा विभिन्न विभागों के एचओडी के साथ बैठक कर कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इसमें यह भी तस हुआ कि संक्रमण काे रोकने ओर मरीजों की देखभाल के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है। संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित किए गए वार्ड और अन्य मरीजों के लिए रखे वार्ड काे अलग-अलग किया जाए ताकि गलती से भी एक जगह से दूसरी जगी न जाए।

आक्सीजन का सही उपयोग किया जाए। अगर कहीं पर से किसी भी कारण से आक्सीजन लीक हो रही है तो उसे भी रोका जाए। वहीं मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के बायो मेडिकल इंजीनियरों और सुपरवाइजर की टीमें भी गठित की गई हैं। यह आक्सीजन के प्रेशर और इसकी खपत की निगरानी करेंगी। मेडहिकल कालेज और सहायक अस्पतालों के मेडहकल सुपरिटेंडेंट अपने अपने स्तर पर आकसीजन सप्लाई की समीक्षा करेंगे।

अगर कोई मरीज लेवल एक अस्पताल में भर्ती है और वह गंभीर अवस्था से सामान्य हुआ है तो उसे तुरंत लेवल दो में लाया जाए। इससे आक्सीजन को बचाया जा सकता है। मरीजों को लेवल एक के अस्पताल में रेफर करने के लिए कारण बताना होगा। वहीं गांधीनगर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने पर भी समति हुई।

वहीं अब मेडिकल कालेज की ओपीडी पूरी तरह से बंद करने के बाद इसे सरवाल अस्पताल में ही शुरू किया जाएगा। कोविड अस्पतालों की जरूरत के अनुसार सुरक्षा भी बढ़ाई जाएगी। वही अब एक और अहम फैसला हुआ है। इसमें जीएमसी व सहायक अस्पतालों में मरीजों की भीड़ को देखते हुए ईएसआईसी बडी ब्राह्मणा, जीबीत पंत अस्पताल सतवारी, कंपोजिट अस्पताल बनतालाब और पुलिस अस्पताल गांधीनगर की सेवाओं को भी लिया जाएगा। पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान भी इन अस्पतालों की सेवाओं का इस्तेमाल किया गया था।

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