Jammu Kashmir : हथकरघा विभाग न रेडिमेड कपड़े बेचेगा, न सिलाई केंद्र चलाएगा
Jammu Kashmir Handloom Department जिन गतिविधियों और केंद्रों को बंद किया गया है वह विभागीय नीतियों के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा जिस उद्देश्य के लिए यह विभाग है उसमें भी यह सही नहीं है। हमने सरकार की सहमति से ही यह कदम उठाया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग अब न रेडिमेड कपड़े बेचेगा और न सिलाई कढ़ाई केंद्र चलाएगा। खिलौने और गुडिय़ा बनाने व उनके बिक्री केंद्र भी नहीं चलाएगा। इन सभी को बंद करने का आदेश बुधवार को हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग के निदेशक महमूद अहमद शाह ने जारी कर दिया।
इस संदर्भ में निदेशक महमूद शाह से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि यह कदम विभागीय कामकाज मेें सुधार की प्रक्रिया के तहत उठाया गया है। उन्होंने कहा कि जिन गतिविधियों और केंद्रों को बंद किया गया है, वह विभागीय नीतियों के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा जिस उद्देश्य के लिए यह विभाग है, उसमें भी यह सही नहीं है।
हमने सरकार की सहमति से ही यह कदम उठाया है। अब इनके स्थान पर हम हाथ से धागा कातने, पश्मीना की हाथ से बुनाई के प्रशिक्षण केंद्र शुरू करेंगे। हम यहां पट्टू और टवीड का काम सिखाएंगे, जो हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग का काम है। इसके अलावा हम कलमकारी, चांदी के बर्तन तैयार करने, फिलगरी की कारीगरी को भी संरक्षित करने पर भी ध्यान दे रहे हैं।
आपको बता दें कि इसी साल जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर के हस्तकला व हथकर्घा उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर का बाजार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर समेत देश के बड़े शहरों में इन उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला भी लिया था, उस पर भी तेजी से काम चल रहा है। विभाग का मकसद जम्मू-कश्मीर की इस कला को जिंदा रखना, नई पीढ़ी को इससे जोड़ना और लोगों को इस तक पहुंचाना है।
डायरेक्ट मार्केटिंग असिस्टेंट की इस योजना के तहत विभाग जम्मू-कश्मीर के इन कारीगरों को सीधा बाजार उपलब्ध करवाएगा जहां ये अपने उत्पादों को बेच सकेंगे। विभाग का कहना है कि ऐसा करने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और भविष्य के लिए भी इन कारीगरों को उनके उत्पादों के लिए विक्रेता मिलते रहेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि मुनाफा भी अच्छा-खासा मिलेगा। अगले एक साल में विभिन्न जगहों पर आयोजित होने वाली इन प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए कारीगरों को विभाग के पास आवेदन करना होगा। इसके बाद जहां-जहां विभाग इस तरह की प्रदर्शनी आयोजित करेगा, कारीगरों को उसमें शामिल होने का मौका मिलेगा।
यही नहीं हथकर्घा व हस्तकला कारीगरों के अलावा कारीगरों के समूह, उत्पादन करने वाली इकाईयां व कोआपरेटिव सोसायटीज भी इन प्रदर्शनियों में हिस्सा ले सकती है। शर्त यह है कि ये संस्थाएं भी पहले से ही विभाग के पास पंजीकृत होनी चाहिए। विभाग ने जम्मू-कश्मीर समेत देश के अन्य कुछ शहरों में अगले एक साल के लिए शोरूम बनाए है जिनमें इन उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री होगी।