Jammu Kashmir: एंटी करप्शन ब्यूरों ने कसा शिकंजा, अब तक 56 सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज
प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट कानून 1983 में संशोधन के कारण एंटी करप्शन आग्रेनाइजेश का दोबार स्टेट विजिलेंस आग्रेनाइजेशन नाम दिया गया।इस एक्ट के अर्तगत ही हरेक व्यक्ति चाहे वो सरकारी मुलाजिम हो उसे अपने चल अचल संपत्ति बतानी होती है। इस कानून में विधायकों मंत्रियों को भी लाया गया है।
जम्मू, अवधेश चौहान: जम्मू-कश्मीर के पुर्नगठन के बाद एंटी करप्शन ब्यूरों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए है। बीते एक वर्ष के दौरान ब्यूरों ने 56 कर्मचारियों जिनमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है, के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। ब्यूरों के आकंड़ों के मुताबिक सरकारी मुलाजिमों जिनमें बैंकर्स,पुलिसकर्मी, बिजली विभाग, जल शक्ति और राजस्व विभाग के अधिकारियों सहित अन्य अधिकारीगण शामिल हैं।
ब्यूरों के डायरेक्टर आनंद जैन का कहना है कि यहां तक भ्रष्टाचार का सवाल है किसी भी अधिकारी को बख्शा नही जाएगा चाहे वे किसी भी औहदे पर आसीन क्यों न हो।बात बीते वर्ष 2019 की करें तो सरकारी मुलाजिमों पर 73 प्राथमिकियां दर्ज दर्ज हुई थीं।ब्यूरों के अधिकारियों का कहना है। इस वर्ष अभी तक 56 अधिकारियों को बुक किया गया है। यह वे मामले हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप है और इन आरोपों गहनता से जांच जारी है। अधिकतर मामालें भ्रष्टाचार, पद का दुरूपयोग, वित्तीय घोटाले, गबन आदि शामिल है।जम्मू संभाग में कुल 26 एफआइआर और कश्मीर में 30 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं।अभी एंटी करप्शन ब्यूरों के पास दो महीनों से भी अधिक का समय बचा है।राजस्व और पुलिस महकमें में रिश्वत मांगने के आरोपों के अलावा वित्तीय प्रतिष्ठानों जिनमें बैंक आदि शामिल हैं, में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है।
उपभोक्ता एवं जन वितरण विभाग में विभाग में 260 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।केंद्र प्रायोजित सौभाग्य सहज बिजली घर योजना, जमींन के दाखिल खारिज करवाने में रिश्वत मांगने, फर्जी जमींनों के दस्तावेज तैयार करने आदि जैसे कई मामले दर्ज हुए हैं।डायरेक्टर एंटी करप्शन ब्यूरों आनंद जैन का कहना है कि मामालों की जांच को सुचारू बनाने के लिए दो पुलिस स्टेशन बनाए गए है। जिनमें एक जम्मू में और दूसरा श्रीनगर में हैं।इन पुलिस स्टेशनों में भ्रष्टाचार संबधि मामले दर्ज करवा सकते है।सोशल मीडिया, व्हाट्सएप, हेल्पलाइन के अलावा टोल फ्री नंबरों से भी भ्रष्टाचार मामालों की कोई भी शिकायत करवा सकता है। समय के साथ कुछ कानून और कानून बनाए गए है ताकि भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जा सके।
प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट कानून 1983 में संशोधन के कारण एंटी करप्शन आग्रेनाइजेश का दोबार स्टेट विजिलेंस आग्रेनाइजेशन नाम दिया गया।इस एक्ट के अर्तगत ही हरेक व्यक्ति चाहे वो सरकारी मुलाजिम हो उसे अपने चल अचल संपत्ति बतानी होती है। इस कानून में विधायकों, मंत्रियों को भी लाया गया है। इन नेताओं को इंकम टैक्स रिर्टन भरने के दौरान संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य होता है।