Jammu Kashmir All Party Meet: सर्वदलीय बैठक में पनुन कश्मीर को निमंत्रण न मिलने पर निराशा जतायी
Jammu Kashmir All Party meet पनुन कश्मीर ने पूछा है कि क्या उन्होंने निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं को इग्नोर कर उन्हें गुपकार संगठन के नेताओं और उनकी राजनीतिक पार्टियों को ही भविष्य में सौंपने का सन्देश नहीं दिया है। इसका उन्होंने विरोध किया है।
जागरण संवाददाता, जम्मू : दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वीरवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक में लाखों निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं की प्रतिनिधि आवाज़ पनुन कश्मीर को निमंत्रण न मिलने पर कश्मीरी पंडित संगठनों ने आश्चर्य व्यक्त किया है।संयोजक पनुन कश्मीर डा. अग्निशेखर ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखकर अपनी बात रखी है।
डा. अग्निशेखर ने कहा कि बैठक में कश्मीर से उन सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को बुलाया है जो भारत की एकता-अखंडता के लिए खतरा हैं और कश्मीर की तथाकथित विशिष्ट संस्कृति, अनुच्छेद 370 और 35-ए के नाम पर अर्ध अलगाववाद की राजनीति करती आई हैं।नेकां स्वायत्तता, पीडीपी सेल्फ रूल, परवेज मुशर्रफ ऐजेंडे पर काम करती रही है।
उन्होंने ध्यान दिलवाया कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने उन्हें तीन-तीन गोलमेज़ कान्फ्रेंसेस में बुलाकर उनकी राय को समादृत किया था। परिणाम चाहे कुछ न निकला हो।यही नहीं, पनुन कश्मीर के संयोजक के नाते वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी विजपेयी से पांच बार शिष्टमंडल मंडल लेकर गए थे।चर्चित आगरा शिखर सम्मेलन के अवसर पर लाखों निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं की ओर से प्रतिनिधित्व करने हेतु वाजपेयी जी ने पनुन कश्मीर के कन्वीनर के नाते उन्हें बाज़ाप्ता आमंत्रित किया था।
उन्हें इस बात पर निराशा व्यक्त की कि विगत सात वर्ष में उन्हें एक बार भी भेंट करने का अवसर नहीं दिया।डा. अग्निशेखर ने कहा कि उन्हें इस बहुदलीय बैठक में न बुलाकर कश्मीर की मुस्लिम साम्प्रदायिकता की अलगाववादी राजनीति करने वाली ताकतों को वर्तमान केंद्र सरकार ने क्या संदेश दिया है, वो जगज़ाहिर है।लेकिन कश्मीर में भारतीय सभ्यतागत संस्कृति और हज़ारों वर्ष की निरन्तरता को मटियामेट करने वालों के साथ समझौता नहीं करने वाले लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को क्या हिकारत भरा संदेश दिया वो हमारे लिए ही नहीं, पूरे देशवासियों के लिए भी साफ है।क्या आपने ऐसा करके उन्हें यह संदेश नहीं दिया कि कश्मीर एक मुस्लिम अधिकार क्षेत्र है अर्थात् उन्हें अंततः उन्हीं को सौंपने जा रहे हैं।जिनके हाथ हमारे जीनोसाइड से रंगे हैं।जो हमारी सामूहिक जिलावतनी के ज़िम्मेदार हैं।
ये वे ही राजनेता हैं जिन्हें कल तक आपकी पार्टी और संघ-परिवार के लोग अर्ध अलगाववादी कहते नहीं थकते थे। इन पार्टियों के नवनिर्मित गुपकार गठबंधन को क्या आपकी सत्तारूढ भाजपा और गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर गत वर्ष गुपकार गैंग कह कर तन्ज़ कसा था।जम्मू से आमंत्रित पांच नेताओं में से दो को गुप्कार गंठबंधन के नेताओं के ही पिछलग्गू रहे हैं।
आपने देशभक्त डोगरा समाज की जेनुइन आवाज़ इकजुट जम्मू को भी अनदेखा और अनसुना कर दिया। जम्मू की देशभक्त जनता भी हमारी ही तरह आपके इस विवादित फैसले से आहत है।पनुन कश्मीर ने पूछा है कि क्या उन्होंने निर्वासित कश्मीरी हिन्दुओं को इग्नोर कर उन्हें गुपकार संगठन के नेताओं और उनकी राजनीतिक पार्टियों को ही भविष्य में सौंपने का सन्देश नहीं दिया है। इसका उन्होंने विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में तमाम कश्मीरी हिन्दुओं के लिए अलग से एक होमलैंड पनुन कश्मीर बनाए जाने की मांग करते हैं तो वह दूसरे शब्दों में यह कह रहे हैं कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 और 35-ए निरस्त किए जाने के डेढ वर्ष बाद आज की तारीख में भी वहां न तो न इस देश का कोई भू-राजनीतिक और भू-सामरिक धरातल विवजीवसक है और न ही वह वहां जाकर पुनः उखड़ने के लिए जाएंगे। क्योंकि यह उनका सातवां बड़ा सामूहिक निर्वासन है।
उन्होंने मांग की है कि तमाम जलावतन कश्मीरी हिन्दुओं को पनुन कश्मीर के ऐतिहासिक मार्गदर्शन प्रस्ताव के अनुसार बसाया जाना अनिवार्यता है।और वह क्षेत्र एक यूटी घोषित किया जाए।जीनोसाइड कानून बनने के बाद कश्मीर में उनकी मनोवांछित वापसी भी सम्भव होगी।उन्होंने साफ किया कि भाजपा इस बैठक में हमारी प्रवक्ता नहीं है। वह कोई मूक-बधिर लोग नहीं हैं।