Mushroom Farming In Jammu : पाश्चराइज्ड कंपोस्ट ने आसान बनाई मशरूम की खेती
Mushroom Farming In Jammu वहीं बाहरी राज्यों से भी खूब कंपोस्ट इन दिनों आ रहा है। ऐसे में किसानों को चार सप्ताह का समय व्यर्थ करने की जरूरत नही। एक लिफाफा कंपोस्ट तकरीबन 100 रुपये में उपलब्ध हो रहा है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : पाश्चराइज्ड कंपोस्ट के आने से किसानों का रुझान मशरूम की खेती ओर बढ़ा है। इसके चलते जम्मू संभाग में मशरूम उत्पादकों किसानों की संख्या बढ़कर 11 सौ हो गई है। इस साल 200 नए किसान इस खेती से जुड़े।
दरअसल पाश्चराइज्ड कंपोस्ट आधुनिक तकनीक से मशीनों के जरिए तैयार होता है। इसमें मशरूम के विकास के सभी तथ्यों का बारीकी से ध्यान रखा जाता है । यह कंपोस्ट तकरीबन रोगमुक्त होता है और सामान्य कंपोस्ट के मुकाबले में दोगुनी, तिगुनी फसल देता है।
इससे पहले देसी तरीके से किसानों को कंपोस्ट बनाने की 28 दिन लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। लेकिन अब यह समय व्यर्थ गंवाने की जरूरत नही। मशीनी कंपोस्ट आसानी से उपलब्ध हाे रहा है। जहां कृषि विभाग तो मशीनी कंपोस्ट तैयार कर ही रहा है, वहीं प्राइवेट सेक्टर में किसान भी कंपोस्ट बनाने लगे हैं।
वहीं बाहरी राज्यों से भी खूब कंपोस्ट इन दिनों आ रहा है। ऐसे में किसानों को चार सप्ताह का समय व्यर्थ करने की जरूरत नही। एक लिफाफा कंपोस्ट तकरीबन 100 रुपये में उपलब्ध हो रहा है।
किसानों का कहना है कि मशरूम की खेती अब आसान हो गई है। समय की बचत हो जाने से अब किसान दोहरी फसल लेने लगे हैं। पहली फसल सितंबर से दिसंबर व दूसरी जनवरी से अप्रैल तक मिल जाती है। यह सब पाश्चराइज्ड कंपोस्ट से ही संभव हुआ है। कृषि विभाग के स्पान डेवलपमेंट आफिसर अमन ज्योति शर्मा का कहना है कि मशरूम की खेती अब बदल गई है।
पाश्चराइज्ड कंपोस्ट की उपलब्धता से और ज्यादा किसान इस खेती में आए हैं। अब मशरूम के कंपोस्ट का लिफाफा तैयार मिलता है जिसे किसानों ने अपने शेड में रखना है और चंद दिनों में ही मशरूम निकलने लगती है। इस साल किसानों को अच्छे दाम मिले और वहीं जम्मू में फसल भी बंपर है। इससे किसानों को अच्छा लाभ हो रहा है।