Jammu Farmers : एकीकृत खेती कर किसान बना सकते हैं नियमित आमदनी, जानें इसके फायदे

अगर आपके पास सात-आठ कनाल भूमि एक साथ है तो आप दो तीन कनाल भूमि पर धान गेहूं मक्की या सब्जियों की खेती कर सकते हैं। ऐसे में कुछ हद तक हरा पशुचारा व सूखा चारा आपकी खेती से पनप आएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 09:43 AM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 10:22 AM (IST)
Jammu Farmers : एकीकृत खेती कर किसान बना सकते हैं नियमित आमदनी, जानें इसके फायदे
हाईब्रीड फलदार पौधों को भी जगह मिल सकती है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : अगर आपके पास कम जमीन है लेकिन यह जमीन एक साथ है तो आप एकीकृत खेती (इंटीग्रेटेड फार्मिंग) कर नियमित आमदनी बना सकते हैं। पांच छह कनाल भूमि में एकीकृत खेती का बेहतर माडल पेश कर सकते हैं। अनेकों किसान ऐसा ही कम रहे हैं और अच्छी आमदनी भी पा रहे हैं।

बस आपको सही दिशा में योजना बनानी होगी। सबसे पहले एकीकृत खेती का मतलब बता दें। एकीकृत कृषि प्रणाली में खेती के साथ साथ आपको इससे जुडे दूसरे कामकाज को भी जगह देनी है। यानि आपको एक फार्म हाऊस कायम करना है जिसमें साग सब्जी व दूसरी फसलें तो लगेंगी ही, वहीं साथ ही साथ मछली पालन, मुर्गी पालन, मशरूम की खेती, जैविक खाद बनाना, डेयरी फार्म भी साथ ही साथ चलाया जा सकता है। बस आपको तय यह करना है कि आपकी खेती के साथ साथ इससे जुड़े दूसरे कौन कौन से काम आपको करने हैं। इसमें आपकी योजना सटीक होनी चाहिए।

कैसे बनाए एकीकृत खेती की योजना : अगर आपके पास सात-आठ कनाल भूमि एक साथ है तो आप दो तीन कनाल भूमि पर धान, गेहूं, मक्की या सब्जियों की खेती कर सकते हैं। ऐसे में कुछ हद तक हरा पशुचारा व सूखा चारा आपकी खेती से पनप आएगा। कुछ पशुचारा का बंदोबस्त किया जा सकता है। अगर ऐसा हो सके तो आप तीन चार मवेशियों की डेयरी खोल सकते हैं। इसलिए अपने फार्म में मवेशी घर भी बना सकते हैं, डेयरी भी साथ साथ चल पड़ेगी। डेयरी चलने से गोबर की व्यवस्था हो जाएगी और इससे आप 30 x 8 फुट साइज का पिट बनाकर केंचुआ खाद का यूनिट भी लगा सकते हैं।

यह यूनिट डेयरी यूनिट से मिलने वाले गोबर से चलेगा। अब आप खाद बेच भी सकते हैं नही तो इसी खाद को अपनी खेती में इस्तेमाल कर सकते हैं। छोटा सा पांड बनाकर मछली पालन का काम शुरू किया जा सकता है और यह बचा खुचा गोबर ही मछलियों की खुराक भी बनेगा। फार्म हाऊस के एक कोने पर 300 लिफाफों का मशरूम यूनिट लगाने के लिए छोटा सा शेड बनाने की जरूरत रहेगी। अगर फूलों की खेती हो रही है और सरसों को भी जगह दी गई है तो मधुमक्खी पालन इससे जुड़ता काम है। अगर जमीन का सही प्रबंधन किया जाए या और जमीन हो तो मुर्गी पालन को भी जगह दी जा सकती है। हाईब्रीड फलदार पौधों को भी जगह मिल सकती है।

एकीकृत खेती से फायदे: एकीकृत खेती से सबसे बड़ा फायदा यह रहेगा कि उत्पाद का लागत मूल्य घट जाएगा। चूंकि सभी काम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक काम से दूसरे काम का कच्चा माल निकल आता है। इसलिए लागत मूल्य अपने आप नीचे चला जाता है। दूसरी बात यह कि विभिन्न काम एक ही फार्म पर होने से आमदनी का सिलसिला लगातार रहता है। किसानों को चार छह माह के इंतजार करने की जरूरत नही। जैसे साग सब्जी, गेहूं, मक्की को अपने समय पर तैयार होगी। लेकिन डेयरी से मिलने वाला दूध तो नित्य ही बिकेगा। वहीं केंचुआ खाद बिकने के लिए 12 माह उपलब्ध रहेगी। सर्दियों में मशरूम का कारोबार कर सकते हैं। वहीं सीजन पर फसल, साग सब्जी भी बेच सकते हैं। अगर खेती में कुछ करने की ललक हो तो थोड़ी सी खेती से भी आमदनी बनाई जा सकती है। आज के दौर में अधिकांश किसान एक सी ही खेती करते हैं, उनको कुछ बदलाव लाना चाहिए। खेती से जुड़े काम को भी साथ साथ जगह देंगे तो उनकी खेती बाकी किसानों से अलग सी हो जाएगी। एकीकृत खेती में बहुत कुछ नया जोड़ा जा सकता है। किसान अपने तरीके से सोच कर भी बेहतर तरीके से एकीकृत खेती कर सकता है। -राधे श्याम, किसान चट्ठा गुजरा,मढ़ तालाब तिल्लो में इंप्रूवड वेजीटेवल फार्म एकीकृत खेती का बेहतर माडल है। यहां पर सब्जियों के अलावा औषधीय पौधे, फूलों की खेती, जैविक खेती की जाती ही है। वहीं और साथ ही नियंत्रित तापमान में पीनीरी तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराई जाती है। वहीं बीज भी तैयार किया जाता है। किसान इसी तरह का माडल अपने खेतों में भी बना सकता है। कृषि विभाग आने वाले किसानों को भरपूर जानकारी उपलब्ध कराता है। -जेसी रैना, एग्रोनामिस्ट, इंचार्ज वेजीटेबल इम्प्रूवमेंट स्कीमस, कृषि विभाग

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