Coronavirus In Jammu: कोविड अस्पताल बन सकता था चार साल से बंद पड़ा चोपड़ा नर्सिंग होम
पिछले साल कोरोना के मामले आने के बाद यह उम्मीद जाहिर की जाने लगी कि इसकी मरम्मत करके इसे फिर से मरीजों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके लिए पांच करोड़ रुपये भी पिछले वित्तिय वर्ष में मजूर किए गए थे। लेकिन किसी ने कोई काम नहीं किया।
जम्मू, रोहित जंडियाल: कोरोना के लगातार बढ़ रहे मरीजों के बीच जीएमसी जम्मू सहित कुछ अन्य सरकारी और निजी अस्पताल लगभग मरीजों से भर चुके हैं। सरकार कई और सरस्वती धाम, यात्री निवास जैसी इमारतों को कोविड केयर सेंटरों में बदल रही है लेकिन जीएमसी के साथ बने सबसे बड़े सरकारी नर्सिंग होम को खोलने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। यह नर्सिंग होम पिछले चार साल से बंद हैं। लाखों रुपये खर्च करने और कई योजनाएं बनाने के बाद भी मरीजों की उम्मीदें इस नर्सिंग होम को बंद देखकर दम तोड़ देती हें। हैरानगी कि बात यह है कि कोविड के संकट में भी सरकार की यह प्राथमिकता नहीं है।
मेडिकल कालेज के प्रागंण में ही बने एक मात्र सरकारी सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम की इमारत में अगस्त 2017 में तकनीकी खामी आ गई थी। नसि्रंग होम में पानी भर गया और इसमें करंट आ गई। पहली दो मंजिलों को सिर्फ इसीलिए बंद कर दिया कि जीएमसी प्रशासन और चिकित्सा शिक्षा विभाग यह फैसला ही नहीं कर पाया कि इसे शुरू करना है या नहीं। इसके बाद इसे अगस्त 2017 से मरीजों के लिए बंद कर दिया। इसके बाद इसमें तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए डीपीआर पर डीपीआर बनी, मगर कोई लाभ नहीं हुआ। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी पिछले चार साल में कई बार इसके जल्द खुलने के दावे कर चुके हैं। लेकिन कोई असर नहीं।
पिछले साल कोरोना के मामले आने के बाद यह उम्मीद जाहिर की जाने लगी कि इसकी मरम्मत करके इसे फिर से मरीजों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके लिए पांच करोड़ रुपये भी पिछले वित्तिय वर्ष में मजूर किए गए थे। लेकिन किसी ने कोई काम नहीं किया। कारण कोविड में व्यस्तता बता दिया। जब कोविड में यह नर्सिंग होम इलाज के लिए एक विकल्प हो सकता था, तब उसी कोविड का बहाना बनाकर यह कह दिया गया कि पिछले साल इसकी मरम्मत कर दी जाएगी। इस साल फिर से पांच करोड़ रुपये मंजूर किए गए हें लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। जीएमसी की प्रिंसिपल डा. शशि सूदन की अध्यक्षता में हुई बैठक में पिछले दिनों इसका काम जल्दी शुरू करने का फैसला हुआ था मगर लगता है कि इस बार भी कोविड का बहाना बनाकर इसे शुरू नहीं किया जाएगा।
जम्मू के पहले वैज्ञानिक के नाम पर है नर्सिंग होम: जम्मू के पहले वैज्ञानिक और फादर आफ इंडियन फार्माकालोजी के नाम से विख्यात सर कर्नल आरएन चोपड़ा के नाम पर बना सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम उन मरीजों की पहली पसंद था जो कि कम कीमत पर नर्सिंग होम में सर्जरी करवाना चाहते थे। इस नसि्रंग होम में टेस्ट लैब भी थी। सरकारी द्वारा उपलब्ध करवाई गई इस निजी सुविधा से अस्पताल को हर महीने औसतन चार से पांच लाख रुपये की कमारई होती थी। यहां एसी, नॉन एसी स्तर के कमरे किराये पर मरीजों को उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था है।इस समय इस नर्सिंग होम के पहले दो फ्लोर बंद हैं। तीसरी मंजिल पर कैंसर से पीडि़त मरीज भर्त है। वहीं चौथी और पांचवीं मंजिल पर डॉक्टरों के कार्यालय बनाए गए हैं,।
बार-बार बनी डीपीआर पर कोई नतीजा नहीं: यह नर्सिंग होम साल 2017 में तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए इंजीनियरिंग विंग ने 25 लाख रुपयों की डीपीआर बनाई, पर खराबी का पता नहीं चल पाया। इसके बाद पूरी इमारत की मरम्मत करने का फैसला किया गया। इंजीनियरिंग विंग ने इसके लिए 17 करोड़ रुपयों की डीपीआर बनाई। एमसी की पूर्व प्रिंसिपल डॉ. सुनंदा रैना के समय पर यह डीपीआर बनी पर यह प्रोजेक्ट नहीं बना। इसके इसकी दूसरी और तीसरी मंजिल पर स्पाइन इंजूरी सेंटर बनाने का प्रस्ताव बना। इसके लिए बकायदा तौर पर डॉक्टरों को नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया था लेकिन यह प्रोजेक्ट कागजों तक में ही सीमित होकर रह गया। इसके बाद पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बाली भगत ने इसे जीएमसी जम्मू की इमरजेंसी के साथ जोड़ने का काम शुरू हुआ। इमरजेंसी से मिलाने के लिए इसकी पीछे वाली दीवार को तोड़ भी दिया, लेकिन यह प्रोजेक्ट भी बाद में बंद हो गया।
32 साल पहले बना था: सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम का उद्घाटन 21 दिसंबर 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने किया था। इसका मकसद निजी स्तर पर इलाज करवाने वाले लोगों को सस्ती दरों में सर्जरी और अन्य लैब टेस्ट उपलब्ध करवाना था। इसके लिए अलग से स्टाफ नियुक्त किया गया था। अब इस स्टाफ को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही अटैच कर दिया गया है।
जम्मू और कश्मीर में हैं दो ही सरकारी नर्सिंग होम: जम्मू में सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम और श्रीनगर में कश्मीर नर्सिंग होम। श्रीनगर में तो कश्मीर नर्सिंग होम को इस समय कोविड के मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन जम्मू के इस नर्सिंग होम की मरम्मत के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा। इसे देखकर सरकार के वह सभी दावे भी यूठे लगते हें जिसमें यह कहा जाता है कि एक साल में कोरोना से बहुत सबक लिया गया। अगर सबक लिया गया होता तो इस नर्सिंग होम की मरम्मत कर इसे मरीजों के लिए खोल दिया गया होता।