Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर आबकारी विभाग ने मौखिक आदेश पर करवाई 258 बॉर बंद
बॉर के लिए हर साल लाइसेंस रिन्यू करवाना होता है लेकिन पिछले साल कोविड-19 के चलते लाइसेंस रिन्यू नहीं हो पाए और इस साल विभाग ने कुछ नई एनओसी शामिल करते हुए सभी बॉर संचालकों को 31 जुलाई तक लाइसेंस रिन्यू करवाने का निर्देश दिया गया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता : आबकारी विभाग जम्मू-कश्मीर की ओर से बुधवार को मौखिक आदेश पर प्रदेश में चलने वाली सभी बाॅर को अचानक बंद करवा दिया गया। बुधवार दोपहर बाद विभगीय टीमों ने अचानक इन बॉर में दौरा किया और सभी बॉर प्रबंधन को अगले आदेश तक बॉर बंद रखने का निर्देश जारी कर दिया। यह बॉर क्यों बंद करनी है, इसके लिए किसी बॉर लाइसेंस धारक को काेई लिखित नोटिस या आदेश जारी नहीं किया गया। विभाग के इस आदेश से बुधवार शाम को हर ओर खलबली मच गई और हर कोई विभाग के इस फरमान को लेकर असमंजस में रहा कि आखिर किन कारणों से इन बॉर को बंद करवाया गया।
आबकारी विभाग ने इस साल नई आबकारी नीति के तहत सभी पुराने लाइसेंस रद करके नए सिरे से शराब की दुकानों के लाइसेंसों की नीलामी करके नए सिरे से एक साल के लिए लाइसेंस जारी किए है। ऐसे में शहर में यह चर्चा है कि सरकार की ओर से शराब की दुकानें बंद करवाने के बाद अब बॉर को भी बंद करवाया गया है ताकि इनके लाइसेंस की भी नीलामी करके नए लोगों को लाया जा सके। इस बीच जम्मू में बॉर चलाने वालों ने विभाग की इस कार्रवाई के विरोध में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
जम्मू संभाग में ही है बॉर: -शराब का कारोबार मुख्य रूप से जम्मू संभाग में ही है। दुकानों के अलावा बॉर भी जम्मू में ही है और आबकारी विभाग के इस मौखिक आदेश का जम्मू में ही प्रभाव पड़ने वाला है।
जम्मू संभाग में कुल 258 बॉर है:
एनओसी लाने का दिया मौखिक आदेश: जम्मू में बॉर चलाने वाले लोगों की माने तो उन्हें विभाग की ओर से कोई नोटिस या आर्डर नहीं दिया गया। उन्हें सिर्फ इतना कहा गया है कि वह अपने संबंधित नगरनिगम कारपोरेशन-कमेटी तथा कोर्ट से एनओसी लेकर आए। इन संचालकों का कहना है कि अगर ये एनओसी चाहिए थी कि विभाग उन्हें समय रहते निर्देश दे सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और बुधवार को अचानक उन्हें बॉर बंद करने का निर्देश दिया गया।
ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की साजिश तो नहीं: आबकारी विभाग की ओर से जिस तरह से जम्मू में बॉर बंद करवाई गई है, उससे विभाग की मंशा पर संदेह पैदा हो रहा है। विभाग के अधिकारिक सूत्रों की माने तो बॉर के लिए हर साल लाइसेंस रिन्यू करवाना होता है लेकिन पिछले साल कोविड-19 के चलते लाइसेंस रिन्यू नहीं हो पाए और इस साल विभाग ने कुछ नई एनओसी शामिल करते हुए सभी बॉर संचालकों को 31 जुलाई तक लाइसेंस रिन्यू करवाने का निर्देश दिया गया था। इन अधिकारिक सूत्रों की माने तो जम्मू के 258 बॉर संचालकों में से किसी ने भी लाइसेंस रिन्यू नहीं करवाया।
इन संचालकों को 31 अगस्त तक का अतिरिक्त समय दिया गया लेकिन जब किसी ने आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करवाए तो बॉर बंद करवाई गई। वहीं दूसरी तरफ अनाधिकारिक सूत्रों का यह भी कहना है कि नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के ठेके लेने वालों को लाभ पहुंचाने वालों को यह सारा खेल रचा गया है। सूत्रों की माने तो दुकानों के ठेके काफी ऊंचे दामों पर गए थे और बिक्री कम होने के कारण ठेके लेने वाले इन लोगों के पैसे पूरे नहीं हो रहे थे। ऐसे में इन लोगों के दबाव में आकर विभाग ने बॉर बंद करवाई है ताकि दुकानों की बिक्री कुछ बढ़ सके। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि विभाग ने यह मन बना लिया है कि कम से कम तीन-चार महीनों तक इन बॉर वालों की फाइलों को घुमाया जाएगा ताकि ये खुल न सके।
कमिश्नर हुए व्यस्त: आबकारी विभाग की ओर से बुधवार को की गई इस कार्रवाई को लेकर विभागीय अधिकारी पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। इस पूरे मामले की अधिकारिक जानकारी हासिल करने के लिए दैनिक जागरण ने आबकारी विभाग के कमिश्नर राहुल शर्मा को दर्जन बार मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस बाबत संदेश भेजे जाने पर भी कमिश्नर साहब ने जवाब देना उचित नहीं समझा।