विरासत बचाने को मजबूत हो जम्मू दूरदर्शन

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू संभाग की भौगोलिक, सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए जरूरी है कि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 07:00 AM (IST)
विरासत बचाने को मजबूत हो जम्मू दूरदर्शन
विरासत बचाने को मजबूत हो जम्मू दूरदर्शन

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू संभाग की भौगोलिक, सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए जरूरी है कि क्षेत्रीय प्रसारण मजबूत किया जाए। जम्मू दूरदर्शन का बजट बढ़ाते हुए अच्छा प्रसारण होना चाहिए। इसके अलावा काशीर चैनल की तरह ही डुग्गर चैनल शुरू किया जाना चाहिए। सीमांत क्षेत्रों में लोगों को निशुल्क डिश वितरित किए जा रहे हैं लेकिन जम्मू दूरदर्शन डिश पर नहीं दिखता। जरूरी है कि जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण पहले डिश पर हो। दूरदर्शन की गुणवत्ता बढ़ाना एवं बेहतर से बेहतर प्रसारण कैसे हो, यह सोचा जाना चाहिए। प्रसारण का समय कम करना या ऐसा सोचना भी जम्मू के दर्शकों, कलाकारों, निर्माता, निर्देशकों के साथ न्याय नहीं होगा। ऐसे विचार मंगलवार को दैनिक जागरण संवाद में साहित्य, दूरदर्शन से जुड़े निर्माता, निर्देशकों एवं कलाकारों ने रखे।

जम्मू दूरदर्शन के प्रसारण की गुणवत्ता में अगर सुधार नहीं हुआ तो इसकी जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों है। प्रसारण की गुणवत्ता बढ़ाना दूरदर्शन का काम है। इसी की क्वालिटी अगर ठीक नहीं है, तो यह ¨चता का विषय है। सुधार कैसे हो सकता है, इस पर गंभीरता से ¨चतन की जरूरत है। कलाकारों की परेशानी को सुलझाना भी दूरदर्शन का काम है। पिछले दिनों प्रसारण समय कम करने की बात होती रही है। प्रसारण समय कम करने की नहीं बढ़ाने की जरूरत है। तभी सभी क्षेत्रीय भाषाओं के साथ न्याय संभव है।

-साहित्यकार डा. निर्मल विनोद

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भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए जम्मू दूरदर्शन को मजबूत किए जाने की जरूरत है। जिस तरह रेडियो कश्मीर जम्मू से हर कार्यक्रम की अनाउंसमेंट डोगरी में होती है, उसी तरह जम्मू दूरदर्शन से भी ऐसा होना चाहिए। जम्मू के लोगों की लंबे समय से डुग्गर चैनल की मांग है। उसे भी पूरा करने का समय आ चुका है। इसी से डुग्गर संस्कृति को मजबूती मिलेगी। इससे पाकिस्तान से जारी भारत विरोधी दुष्प्रचार का जवाब संभव है। युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए जरूरी है कि लोक संस्कृति को मजबूत किया जाए।

-कमल शर्मा, पूर्व डीएसपी एवं वरिष्ठ कलाकार दूरदर्शन के अधिकारी अक्सर यह बात कहते सुने जाते हैं कि पैसे की कोई कमी नहीं है। लेकिन पिछले पांच छह वर्ष से अधिकतर कार्यक्रम रिपीट टेलीकास्ट हो रहे हैं। जम्मू दूरदर्शन के अधिकारियों की यही सोच है कि अधिकतर कार्यक्रम स्टूडियो के अंदर ही हो जाने चाहिए। इससे प्रसारण की गुणवत्ता में कभी सुधार संभव नहीं है। जम्मू दूरदर्शन से सैकड़ों कलाकार, निर्माता, निर्देशक, तकनीकी विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं लेकिन उन्हें पांच वर्ष से कोई काम ही नहीं मिल रहा। हमें तो डर है कि कहीं रेडियो कश्मीर जम्मू की युवावाणी सर्विस की तरह जम्मू दूरदर्शन भी बंद न हो जाए।

-सुदेश वर्मा, निर्माता

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जम्मू दूरदर्शन विस्थापन के बाद शुरू हुआ। जब कश्मीर से समाचार चलाना भी मुश्किल था तो जम्मू से दूरदर्शन पीजीएफ शुरू किया गया। लंबे संघर्ष के बाद समय अवधि बढ़ी। कुछ अच्छे कार्यक्रम भी प्रसारित हुए। हां अगर, दूसरे चैनलों के साथ दूरदर्शन प्रतिस्पर्धा नहीं कर सका, तो इस पर ¨चतन करने की जरूरत है। जम्मू की लोक संस्कृति, पर्व त्योहारों तक को तरीके से प्रसारित नहीं किया जा सका। जिन क्षेत्रों में जम्मू दूरदर्शन ही एक मात्र मनोरंजन का साधन था, वहां से एलपीटी स्टेशन हटा कर लोगों को डिश लगाने के लिए दिए जा रहे हैं। इससे जम्मू के कलाकारों को कोई लाभ नहीं होगा।

-विजय अत्री, पूर्व असिस्टेंट डीन कल्चरल अफेयर्स, जम्मू यूनिवर्सिटी

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जम्मू दूरदर्शन अक्सर उपेक्षा का शिकार रहा है। युवाओं, लेखकों, कलाकारों को पिछले पांच वर्ष से अधिक समय से जम्मू दूरदर्शन से कोई काम करने का मौका नहीं मिला है। जो लोग पूरी तरह से जम्मू दूरदर्शन पर निर्भर थे, आज उनके पास कोई काम नहीं है। प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन जब प्रतिभागियों को मौका ही नहीं मिलेगा तो कैसे चलेगा। अगर कुछ दूरदर्शी सोच के अधिकारी हों तो ही जम्मू दूरदर्शन का भला संभव है। जब तक डुग्गर चैनल नहीं मिल जाता, जम्मू संभाग के साथ न्याय संभव नहीं है। इस समय सबसे पहले जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय बढ़ाने एवं जम्मू दूरदर्शन को डिश पर दर्शाने की अति आवश्यकता है।

-डॉ. बलजीत रैना, निर्देशक एवं साहित्यकार

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जम्मू दूरदर्शन के प्रसारण में समाचार कक्ष का सराहनीय योगदान रहा है। डोगरी समाचार प्रसारण का आज भी लोग इंतजार करते हैं। दूसरे कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत हमेशा बनी रहती है। लेकिन किसी भी स्टेशन का बजट बढ़ाने के बजाए कम करना उचित नहीं है। प्रतिभा के निखार के लिए अधिक से अधिक कार्यक्रमों की जरूरत होती है। जम्मू दूरदर्शन से किसानों के प्रसारित कार्यक्रम लोकप्रिय कार्यक्रमों में रहा है लेकिन न जाने इसे क्यों बंद कर दिया गया। किसानों के लिए तो अधिक से अधिक कार्यक्रम प्रसारित करने की जरूरत है।

-राजकुमार बहरुपिया, रंगकर्मी समाचार वाचक एवं अनांउसर

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पिछले करीब 18 वर्ष से रंगमंच से जुड़ा हुआ हूं। वर्ष 2011 से उर्दू, ¨हदी, डोगरी का दूरदर्शन का मान्यता प्राप्त कलाकार हूं। इतने वर्षो के बावजूद दूरदर्शन ने उन्हें कभी कोई मौका नहीं दिया। कलाकार का भी अपना स्वाभिमान होता है लेकिन जम्मू दूरदर्शन से तो उन्हीं लोगों को कार्यक्रम मिलते रहे हैं, जो दूरदर्शन में दुआ सलाम के लिए अक्सर वहां हाजिर रहते थे। जम्मू दूरदर्शन का कभी सिस्टम ही नहीं बन पाया। भ्रष्टाचार के चलते कभी कार्यक्रमों की गुणवत्ता की ओर से ध्यान ही नहीं दिया गया।

-विजय गोस्वामी, युवा कलाकार, रंगकर्मी

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जम्मू दूरदर्शन अब पुन: प्रसारण केंद्र बन चुका है। दूसरे राज्यों में तो क्षेत्रीय दूरदर्शन केंद्र मजबूत हुए हैं लेकिन जम्मू दूरदर्शन केंद्र बंद होने की कगार पर है। समाचार प्रसारण में भी क्षेत्रीय मेलों, पर्व त्योहारों को जिस तरह की कवरेज मिलनी चाहिए नहीं मिलती। प्रसारण के लिए बजट न होने का ही परिणाम है कि आज कलाकार ही नहीं तकनीकी जानकार भी बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं। मुझे लगता है जम्मू दूरदर्शन का महत्व केंद्र सरकार को समझ नहीं आ रहा है।

-हीरामणि ¨सह, कैमरा मैन

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