ISJK In Kashmir: पकड़े जाने पर मोबाइल फोन किसी के हाथ नहीं लगे, ISJK ने अपने कैडर को दे रखी हैं खास हिदायतें
ISJK in Kashmir उमर ने पूछताछ में बताया कि आइएसआइएस की प्रोपेगंडा मैगजीन स्वात अल हिंद जिसे वायस आफ हिंद भी कहते हैं पाकिस्तान में बैठे आइएसआइएस के आतंकी नियमित तौर पर इंटरनेट पर प्रकाशित करते हैं और वह इसे आगे प्रसारित करता है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : इस्लामिक स्टेट आफ जम्मू कश्मीर (आइएसजेके) ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर अपने कैडर को खास हिदायत दी है। उनको कहा गया है कि अगर कभी पकड़े भी जाओ तो कोशिश करो कि आपका मोबाइल फोन किसी भी सुरक्षा एजेंसी के हाथ नहीं लगना चाहिए। गत दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंंसी (एनआइए) के हत्थे चढ़े आइएसजेके के स्वयंभू चीफ कमांडर उमर निसार बट उर्फ कासिम खुरासानी ने गहन पूछताछ में जानकारी दी।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने 11 और 12 जुलाई को दक्षिण कश्मीर से लेकर उत्तरी कश्मीर तक 10 जगहों पर छापेमारी करते हुए एक महिला समेत 12 लोगों को तथाकथित तौर पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। पकड़े गए लोगों के पास से आइएसआइएस से जुड़ी सामग्री, हथियार व गोला बारूद बरामद हुआ था। एनआइए ने बाद में सिर्फ तीन लोगों उमर निसार बट, तनवीर अहमद बट और रमीज अहमद की गिरफ्तारी की पुष्टि की। तीनों अच्छाबल, अनंतनाग के रहने वाले हैं।
दैनिक जागरण ने शुरू में ही बता दिया था कि उमर ही आइएसआइएस की कश्मीर इकाई आइएसजेके का कमांडर है और वही कासिम खुरासानी के कोड नाम से आइएसआइएस की प्रोपेगंडा मैगजीन वायस आफ हिंद अथवा स्वात अल हिंद का प्रचार प्रसार कर रहा है। उमर ने पूछताछ में बताया है कि वह वर्ष 2016 से आइएसआइएस के साथ जुड़कर आइएसजेके की गतिविधियों को जम्मू कश्मीर में बढ़ा रहा था। वह न सिर्फ जम्मू कश्मीर मे बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी आईएसजेके के लिए कैडर तैयार करने में लगा हुआ था।
वह बांग्लादेश और मालदीव में आइएसआइएस के स्थानीय संगठनों के चीफ कमांडरों के साथ संपर्क में था। वह इंटरनेट मीडिया के ऐप टेलीग्राम का ज्यादातर इस्तेमाल करता था। उमर ने पूछताछ में संबंधित अधिकारियों का बताया कि आइएसआइएस की प्रोपेगंडा मैगजीन स्वात अल हिंद जिसे वायस आफ हिंद भी कहते हैं, पाकिस्तान में बैठे आइएसआइएस के आतंकी नियमित तौर पर इंटरनेट पर प्रकाशित करते हैं और वह इसे आगे प्रसारित करता है। यह मैगजीन पहली बार फरवरी 2020 में प्रकाशित हुई थी और अब तक इसके 17 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। उसने टेलीग्राम पर आइएसजेके के कैडर के लिए मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने के संदर्भ में हिदायतेें जारी कर रखी थी।
उन्हेंं कहा है कि कोई भी आपस में मोबाइल फोन पर या इंटरनेट मीडिया में बातचीत के दौरान आइएसएचपी, आइएसजेके या कश्मीर का नाम नहीं लेगा। सिर्फ विलायत अल हिंद का नाम ले। कोई भी सिमकार्ड के साथ फोन का इस्तेमाल न करे। हमेशा वीपीएन का इस्तेमाल करें, वाईफाई का उपयोग करें। जिहादी गतिविधियों या जिहादी साहित्य से जुड़ी कोई भी सामग्री फोन में नहीं होनी चाहिए। अगर कभी पकड़े जाओ तो फोन किसी भी सूरत में सुरक्षा एजेंसियों के हाथ नहीं लगना चाहिए। उसके मुताबिक, आइएसआइएस के कैडर को दो गुटों में बांटा जाए। एक गुट आन ग्राउंड सक्रिय रहे और हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे।