Samba-Mansar Road: सांबा-मानसर मार्ग के किनारे सफेदे के पुराने पेड़ दे रहे हादसों को न्योता
Samba Mansar Road दुकान के मालिक भगवान दास ने कहा कि उनके लिए तो हर समय खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आज यह जिस तरह से यह टूटा है अगर किसी के ऊपर गिरता तो उससे किसी की जान भी जा सकती थी।
संवाद सहयोगी, सांबा : सांबा-मानसर सड़क के किनारे लगभग तीस वर्ष पहले सफेदे के पेड़ लगे थे। अब ये पेड़ काफी बड़े हो गए हैं। ऐसे में अक्सर आंधी आने पर पेड़ों की डालियां टूट कर नीचे गिर जाती हैं, जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है।
इस सड़क मार्ग पर गांव बलोड में लगभग 50 फुट लंबे सफेदे से बड़ा हिस्सा बिना आंधी व तूफान के टूट गया। हालांकि इस सफेदे के पेड़ के नीचे ही दुकान है और उस समय दुकान में कुछ ग्राहक थे। इतना ही नहीं दुकान के आगे कुछ गाड़ियां भी खड़ी थीं। इस हादसे के बाद पेड़ के कुछ हिस्से ऊपर ही अटक गए। पेड़ के पास ही बिजली की तारें भी हैं।
इस अवसर पर दुकान के मालिक भगवान दास ने कहा कि उनके लिए तो हर समय खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आज यह जिस तरह से यह टूटा है अगर किसी के ऊपर गिरता तो उससे किसी की जान भी जा सकती थी। बलोड निवासी मिटठू ने बताया कि उनका घर भी इन्ही पेड़ों के पास है और दिनरात उन्हें इनकी चिंता लगी रहती है कि कहीं यह गिर न जाएं।
पुरषोत्तम सिंह, संजू ने कहा कि वह इन पुराने हो चुके सफेदे के पेड़ों की कटाई को लेकर मांग कर चुके हैं परंतु आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। आए दिन इन पेड़ों की टहनियां बिजली की तारों पर गिरती रहती हैं जिससे कई बार खंबे टूटे हैं और तारें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। इस अवसर पर स्थानीय सरपंच सुनील ने कहा कि कई बार इस बाबत वन विभाग को भी सूचित किया गया है कि अब यह पुराने पेड़ हादसों का कारण बन सकते हैं इसलिए इनका कोई हल निकाला जाना चाहिए।
वहीं जब हम बाबत वन विभाग के डी एफ ओ सोम दत्त खजुरिया से पूछा तो उन्होंने कहा कि वह उच्च अधिकारियों को इस बारे में लिखित भेजेंगे कि इन पेड़ों से खतरा बना हुआ है ताकि इनके काटने व नीलामी की अनुमति मिल सके।