Sonam Wangchuk का सुझाव, लेह एयरपोट को कार्बन रहित बनाने के लिए बदलें इसका डिजाइन

वांगचुक ने स्पष्ट किया कि वह लेह एयरपोर्ट के पुराने डिजाइन के लिए किसी को दोष नही देते हैं। इसे उस समय डिजाइन किया गया था जब लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाना कोई मुद्दा नही था। इसे वैसे बनाया गया था जैसे देश के अन्य हिस्सों में एयरपोर्ट बनते हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 07:53 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 08:21 PM (IST)
Sonam Wangchuk का सुझाव, लेह एयरपोट को कार्बन रहित बनाने के लिए बदलें इसका डिजाइन
हिमालियन इंस्टीटयृट आफ अल्टरनेटिव्स के निदेशक वांगचुक

जम्मू, राज्य ब्यूरो । विज्ञान के इस्तेमाल से लद्दाखियों के जीवन को सरल बनाने में सहयोग दे रहे युवा अविष्कारक सोनम वांगचुक ने कहा है कि लेह एयरपोर्ट की डिजाइन की खामियों को दूर कर इसे कार्बन न्यूट्रल बनाया जा सकता है। वांगुचक ने कहा कि डिजाइन में कुछ बदलाव कर एयरपोर्ट में सौर्य उर्जा उत्पादन से एयरपोर्ट को गर्म करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वालने डीजल जेनरेटेर व डीजल बायलर हटाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट में लगे शीशों के एंगल में जरूरी बदलाव कर इस सूरज की रोशनी सोखने के लिए इस्तेमाल किया जाए, तो पैदा होनी सौर्य उर्जा से लेह एयरपोर्ट में सालाना दस करोड़ की बचत के साथ हर दिन होने वाले दस टन कार्बन उत्सर्जन से भी निजात मिलेगी।

बुधवार को लेह में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमालियन इंस्टीटयृट आफ अल्टरनेटिव्स के निदेशक वांगचुक ने उनके इस सुझाव को गंभीरता से लेने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया, नागरिक उड्डयन मंत्रालय व लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य तय करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया।वांगचुक ने कहा कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय की त्वरित कार्रवाई से प्रभावित हैं। उप सचिव मंगेश गिलडियाल की अध्यक्षता में आई टीम ने लेह एयरपोर्ट व लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाने की दिशा में हो रही कार्रवाई का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि लेह एयरपोर्ट में कुछ बदलाव कर इसे कार्बन रहित बनाने की उनकी मांग तीन साल पुरानी है। स्थानीय स्तर पर इसके बारे में एयरपोर्ट प्रबंधन से उनकी छह बैठकें हो चुकी हैं। केंद्र सरकार की ओर से इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

वांगचुक ने स्पष्ट किया कि वह लेह एयरपोर्ट के पुराने डिजाइन के लिए किसी को दोष नही देते हैं। इसे उस समय डिजाइन किया गया था जब लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाना कोई मुद्दा नही था। इसे वैसे बनाया गया था जैसे देश के अन्य हिस्सों में एयरपोर्ट बनते हैं। इस दौरान डिजाइन में एयर कंडीशनिंग को अधिक महत्व दिया गया था। अब बदले हालात में हम सब की यही कोशिश होनी चाहिए कि लेह एयरपोर्ट कार्बन न्यूट्रल बनकर विश्व के लिए मिसाल बने।

डिजाइन की खामियों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट की एयर कंडीशनिंग के चाहिए 700 किलोवाट बिजली डीजल जेनरेटरों से पैदा की जाती है। इसके साथ डीजल बायलरों के लिए 3.5 मैगावाट बिजली की जरूरत होती है। उन्हाेंने बताया कि अगर कुछ बदलाव के साथ दक्षिण की ओर से सौर्य उर्जा ग्रहण कर प्रतिदिन 4 मैगावाट प्रति घंटा बिना खर्च के हासिल हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक तो एयरपोर्ट मे लगे शीशे कम सौर्य उर्जा ग्रहण करते हैं तो वहीं इनका एंगल भी सही नही है। इनका एंगिल गर्म इलाकों जैसा है यहां पर कोशिश रहती है कि सूरज की रोशनी से भवन अधिक गर्म न हो जाए।

chat bot
आपका साथी