जम्मू-कश्मीर से निर्यात की नई राह खोलेगा इनलैंड कंटेनर डिपो, जिला सांबा में है बनाया जा रहा

Inland Container In Jammu जम्मू-कश्मीर में पहला इनलैंड कंटेनर डिपो सांबा में बनने जा रहा है। एसोसिएटेड कंटेनर टर्मिनल लिमिटेड(एसीटीएल) की ओर से यह डिपो स्थापित किया जा रहा है। आरआर जोशी ने 1997 में एसीटीएल की स्थापना की थी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 09:11 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 09:11 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर से निर्यात की नई राह खोलेगा इनलैंड कंटेनर डिपो, जिला सांबा में है बनाया जा रहा
एसोसिएटेड कंटेनर टर्मिनल लिमिटेड(एसीटीएल) की ओर से यह डिपो स्थापित किया जा रहा है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : केंद्र सरकार की जम्मू-कश्मीर के लिए बनाई गई नई उद्योग नीति के तहत 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश की ओर बढ़ रहे प्रदेश में इनलैंड कंटेनर डिपो भी स्थापित होने जा रहा है। जम्मू संभाग के सांबा जिले में बनने जा रहे इस इनलैंड कंटेनर डिपो के बनने से आयात के साथ-साथ निर्यात के नए रास्ते खुलेंगे।

आयात व निर्यात सस्ता होने के कारण प्रदेश में औद्योगिक रफ्तार को तेजी मिलेगी और जम्मू-कश्मीर को देश का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाने का मोदी सरकार का लक्ष्य पूरा करने में सहयोग मिलेगा। आज तक जम्मू-कश्मीर में उद्योग चला रहे उद्योगपतियों को सड़क मार्ग से आयात व निर्यात करना पड़ता था जोकि काफी महंगा रहता था। अब इस डिपो से माल सीधा रेल मार्ग व उससे आगे समुंद्री मार्ग से देश-विदेश पहुंच पाएगा और इसी तरह आयात भी हो पाएगा। इससे जम्मू-कश्मीर में आयात व निर्यात को नई दिशा मिलेगी और ट्रांसपोर्ट खर्च कम होने से प्रदेश के उद्योगपति वैश्विक बाजार में भी उतर पाएंगे।

एसीटीएल स्थापित कर रही सांबा में पहला डिपो: जम्मू-कश्मीर में पहला इनलैंड कंटेनर डिपो सांबा में बनने जा रहा है। एसोसिएटेड कंटेनर टर्मिनल लिमिटेड(एसीटीएल) की ओर से यह डिपो स्थापित किया जा रहा है। आरआर जोशी ने 1997 में एसीटीएल की स्थापना की थी। निजी क्षेत्र में यह भारत की पहली कंपनी है जो ड्राईपोर्ट स्थापित करती र्है और काफी कम समय में यह कंपनी उत्तर भारत में ड्राईपोर्ट स्थापित करने वाली सबसे अनुभवी कंपनी बन चुकी है। कंपनी के दिल्ली-मुंबई समेत उत्तर भारत के कई शहरों में ड्राईपोर्ट है।

क्या होता है इनलैंड कंटेनर डिपो : इनलैंड कंटेनर डिपो या ड्राई-पोर्ट एक सूखा बंदरगाह होता है जो आमतौर पर रेल लाइन के निकट स्थापित किया जाता है ताकि सड़क मार्ग से सामान भेजने के भारी खर्च से बचा जा सके। इससे पैसा भी बचता है और समय भी। आमतौर पर ड्राई-पोर्ट बनने से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। इसमें उत्पाद विदेश भेजने में आसानी होती है। डिलीवरी टाइम कम लगता है। कस्टम और निर्यात संबंधी कागजात भी यहीं तैयार होते हैं। ड्राई पोर्ट बनने से हजारों नौकरियों के अवसर मिलते है। लोडिंग, पैकिंग, हैंडलिंग स्टोरेज जैसे छोटी यूनिटें खेलती है और लॉजिस्टिक हब और कई छोटे-छोटे कारोबार विकसित होने की उम्मीद बंधती है।

2017 में शुरू हुई थी प्रक्रिया : जम्मू-कश्मीर में ड्राई पोर्ट बनाने की शुरूआत वर्ष 2017 में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू ने दुबई में दुबई पोर्ट ग्रुप के चेयरमैन व सीईओ सुल्तान अहमद बिल सुलेयम के साथ 11 फरवरी 2018 को समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। 18 से 24 महीनों के भीतर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए तत्कालीन सरकार ने सांबा में और कश्मीर में बड़गाम के ओमपोरा में जगह चिन्हित की थी। सांबा में में 100 एकड़ जमीन चिन्हित की और सरकार को 400 एकड़ जगह और देनी थी। चिन्हित जगह की समीक्षा करने के लिए दुबई पोर्ट का प्रतिनिधिमंडल दुबई से जम्मू भी आया लेकिन इन विशेषज्ञों ने सांबा में चिन्हित जगह पर असंतोष प्रकट करते हुए दूसरा स्थान चिन्हित करने को कहा। इसके बाद पूर्ववर्ती सरकार की लचर कार्यप्रणाली के तहत महत्वपूर्ण परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने नए सिरे से इस योजना पर काम शुरू किया और इस बार स्वदेशी कंपनी को यह जिम्मेदारी सौंपी। 

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