India-China Border: LAC के पार तिब्बत में चीन-पाक सेना का युद्धाभ्यास जारी, भारतीय सेना ने भी सतर्कता बढ़ाई

India China Border Issue सामान्य परिस्थितियों में जब काेई मुल्क युद्धाभ्यास करता है तो उसकी वायुसेना के लड़ाकू विमान ऐसे इलाके में उड़ान नहीं भरते जहां किसी दूसरे मुल्क के साथ सैैन्य तनाव जैसी स्थिति हो। तिब्बत में जारी यह संयुक्त सैन्याभ्यास 15 जून तक जारी रहेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 11:38 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 11:59 AM (IST)
India-China Border: LAC के पार तिब्बत में चीन-पाक सेना का युद्धाभ्यास जारी, भारतीय सेना ने भी सतर्कता बढ़ाई
शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक 22 मई को शुरु हुआ यह युद्धाभ्यास 15 दिन के लिए था।

श्रीनगर, नवीन नवाज। चीन और पाकिस्तान ने भारत के साथ सरहदी इलाकों में स्थिति सामान्य बनाने की आड़ में एक बार फिर अपनी जंगी तैयारियां शुरु कर दी हैं। चीन और पाकिस्तान की वायुसेना इन दिनों पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के पार तिब्बत में संयुक्त युद्धाभ्यास कर रही हैं। इस अभ्यास में दोनों मुल्कों की सेना हवा से हवा में, जमीन से हवा पर, समुद्र से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, यूएवी और ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, भारतीय सेना ने भी इस संयुक्त युद्धाभ्यास का नोटिस लेते हुए जम्मू-कश्मीर मेें पाकिस्तान के साथ सटी नियंत्रण रेखा और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सतर्कता बढ़ा दी है। 

संबधित सूत्रों ने बताया कि दो दिन पहले पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास देखे गए चीनी सेना के लड़ाकू विमान इसी युद्धाभ्यास में शामिल थे। उन्होंने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में जब काेई मुल्क युद्धाभ्यास करता है तो उसकी वायुसेना के लड़ाकू विमान ऐसे इलाके में उड़ान नहीं भरते, जहां किसी दूसरे मुल्क के साथ सैैन्य तनाव जैसी स्थिति हो। तिब्बत में जारी यह संयुक्त सैन्याभ्यास 15 जून तक जारी रहेगा। शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक 22 मई को शुरु हुआ यह युद्धाभ्यास 15 दिन के लिए था, बाद में इसकी अवधि बढ़ाई गई।

सामान्य नहीं है यह शुद्धभ्यास: यह संयुक्त युद्धभ्यास इसलिए भी सामान्य नहीं कहा जाएगा, क्योंकि इस युद्धाभ्यास से पूर्व चीन की वायु सेना जिसे पीपुल्स लिबरेशन वायुसेना कहते हैं, के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने पाकिस्तानी वायु सेना के अधिकारियों को पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण प्रदान किया है। यह प्रशिक्षण इसी साल की शुरुआत में दिया गया था। इससे पूर्व बीते साल अक्तूबर में भी चीनी वायुसेना ने गुलाम कश्मीर में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के नियंत्रण कक्ष को स्थापित किया था। गुलाम कश्मीर में इस तरह के तीन केंद्र अथवा कक्ष हटियां बाला, चिनारी और चकोटी में बनाए हैं। इसके अलावा चीनी सेना ने पहली बार वायु प्रतिरक्षा प्रणाली से लैस अपनी विभिन्न यूनिटों को अपनी वायुसेना के साथ एकीकृत कर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया है।

पाकिस्तान के एयरबेस पर जेएफ-17 फाइटर जेट है तैनात: युद्धाभ्यास से पूर्व बीते साल पाकिस्तानी सेना ने स्कर्दु में एयरबेस पर जेएफ-17 फाइटर जेट को तैनात किया है। लद्दाख के बेहद नजदीक इस एयरबेस का उपयोग पाकिस्तान के साथ चीनी वायुसेना भी करती है। यहां से उड़ान भरने के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मुश्किल से 5 मिनट में भारतीय वायुसीमा में प्रवेश कर सकते हैं। इस एयरपोर्ट पर अंडरग्राउंड फ्यूल स्टेशन और हथियार डिपो का भी निर्माण किया गया है। चीन की वायुसेना के अधिकारी अक्सर इस एयरबेस पर आते रहते हैं।

तिब्बत को सामरिक महत्व-भौगोलिक परिस्थितियों के लिए चुना गया: तिब्बत को चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए चुने जाने पर मेजर जनरल सेवानिवृत्त दिलावर सिंह ने कहा कि तिब्बत को उसके सामरिक महत्व और उसकी भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर चुना गया है। यह पूर्वी लद्दाख के साथ सटा हुआ है, जहां बीते एक साल से चीन और भारत के बीच सेन्य तैनाव है। इसके अलावा यह इलाका पाकिस्तान के भी नजदीक है। यह दोनों मुल्क इस युद्धाभ्यास से जहां इस पूरे क्षेत्र में अपने सैनिकों को भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल बना रहे हैं, वहीं वे इसके जरिए भारत पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। तिब्बत में कई झीलें और दरिया हैं, जहां वह अभ्यास के लिए कई जहाज के ढांचे बनाकर उन्हें तबाह कर सकता है। इस युद्धाभ्यास का समय भी कई सवाल पैदा करता है।

लो-टू-मीडियम अल्टीट्यूड एयर डिफेंस सिस्टम का भी इस्तेमाल कर रहा चीन: चीन इस युद्धाभ्यास में अपने लो-टू-मीडियम अल्टीट्यूड एयर डिफेंस सिस्टम का भी इस्तेमाल कर रहा है। यह मध्यम दूरी का जमीन की तरह से हवा में मार करने वाली वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली है, जिसकी मारक क्षमता करीब 150 किलोमीटर है। यह हवा में काफी नीचे मध्यम ऊंचाई पर उड़ रहे किसी भी वस्तु काे उड़ाने में समर्थन है। इसके अलावा वह अपनी ईगल एंटी शिप क्रूज मिसाइल, जिसकी मारक क्षकता 120 से 150 किलामीटर तक है, का भी इस्तेमाल कर रहा है। इस मिसाइल को हवा में उड़ रहे लड़ाकू विमान से भी छोड़ा जा सकता है।

भारतीय सेना की है पूरी नजर: रक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि तिब्बत में पाकिस्तानी और चीन की वायुसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास पर पूरी नजर रखी जा रही है। पूर्वी लद्दाख मेें भारतीय वायु सेना ने भी लद्दाख में सुखोई-30 और मिग-29 सहित अपने अन्य लड़ाकू विमानों की टुकड़ियों की नियमित रूप से तैनाती कर रखी है। इसके अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों ने भी लद्दाख की वायुसीमा में उड़ान भरी है। चंद दिन पहले ही वायुसेना प्रमुख ने लद्दाख का दौरा कर हालात का जायजा लिया है।

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