Jammu Kashmir: औद्योगिक क्रांति की ओर जम्मू-कश्मीर, एक साल में आ चुके हैं 22 हजार करोड़ के प्रस्ताव

जम्मू-कश्मीर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक शिखर निवेशक सम्मेलन कोरोना के चलते अगले साल तक के लिए टाल दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 10:10 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 10:10 AM (IST)
Jammu Kashmir: औद्योगिक क्रांति की ओर जम्मू-कश्मीर, एक साल में आ चुके हैं 22 हजार करोड़ के प्रस्ताव
Jammu Kashmir: औद्योगिक क्रांति की ओर जम्मू-कश्मीर, एक साल में आ चुके हैं 22 हजार करोड़ के प्रस्ताव

जम्मू, ललित कुमार : अनुच्छेद-370 से मुक्ति का असर अब जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक क्षेत्र पर भी नजर आने लगा है। देश-विदेश के निवेशकों में एक साल पहले जो असुरक्षा की भावना थी वह दूर हो चुकी है। अब जिस जमीन पर उपक्रम स्थापित होगा वह उनकी ही होगी। वहीं, पट्टे पर भी जमीन आसानी से उपलब्ध होगी। निवेश के नए क्षेत्रों के दोहन पर जोर दिया जा रहा। निवेशकों के लिए विभिन्न क्षेत्र चिह्नित किए हैं। स्थानीय हितों को भी ध्यान में रखा गया है। देश-विदेश से निवेश करने वालों के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कुशल-अकुशल मानव संसाधन को प्राथमिकता देनी होगी। जम्मू-कश्मीर के विकास और रोजगार की दिशा में औद्योगिक क्रांति एक कदम माना जा रहा है। 

नया जम्मू-कश्मीर : प्रदेश में दो आइटी सिटी की स्थापना पर काम शुरू हो चुका है। इनमें एक जम्मू के नगरोटा में तैयार होगी और दूसरी श्रीनगर के पास। कश्मीर को बेंगलुरु की तर्ज पर सिलिकॉन वैली के रूप में विकसित करने की योजना है। पनबिजली, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश के लिए विभिन्न विकल्प तैयार किए हैं। पर्यटन के लिहाज से हास्पिटैलिटी इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जा रहा है। तीन बड़ी होटल चेन कश्मीर में होटल स्थापित करेंगी। फूलों का अर्क व तेल बनाने वाली कंपनियां कश्मीर में सयंत्र लगाना चाहती हैं। केसर को जीआइ मार्क मिलने और अंतरराष्ट्रीय स्तर का मसाला पार्क स्थापित करने के बाद आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली दो नामी कपंनियां निवेश का प्रस्ताव दे चुकी हैं। कश्मीर में इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री विकसित होगी। एक फिल्म सिटी बनाने की भी योजना है। जम्मू और श्रीनगर में बंद सिल्क और वूलेन मिल को क्रियाशील बनाया है। सीमेंट उद्योग को गति दी जा रही है। फूड प्रोसेसिंग के तीन कारखाने लगेंगे। दुबई की लुलू ग्रुप कश्मीरी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आगे आई है।

370 था बड़ा रोड़ा : अनुच्छेद-370 के चलते जम्मू-कश्मीर में कोई बाहरी निवेश नहीं आता था। क्योंकि आतंकवाद और विशेष राज्य होने के कारण उद्योग लगाने में कई बाधाएं थीं। एक साल में देश की कई बड़ी कंपनियों ने निवेश की इच्छा जताई है। अभी तक सरकार के पास 22 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आ चुका है। संभावना है कि अगले साल होने वाले वैश्विक शिखर निवेशक सम्मेलन मेें निवेश 50 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगा। जम्मू-कश्मीर में 70 औद्योगिक क्षेत्र हैं। 24 जुलाई को प्रदेश प्रशासन ने 37 नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए 9654 कनाल एक मरला जमीन हस्तांतरित की है। सरकार ने बाहरी निवेशकों के लिए प्रदेश में 15 हजार कनाल जमीन चिह्नित की है। जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की जिम्मेदारी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) और जेएंडके स्माल स्केल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सीकॉप) पर है। सिडको बड़ी औद्योगिक इकाइयों के लिए मूलभूत ढांचा उपलब्ध करवाता है। लिहाजा जम्मू-कश्मीर के सभी बड़े औद्योगिक क्षेत्र इसके अधीन हैं।

शिखर निवेशक सम्मेलन से मिलेगी उड़ान : जम्मू-कश्मीर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक शिखर निवेशक सम्मेलन कोरोना के चलते अगले साल तक के लिए टाल दिया है। इस साल के शुरू में प्रदेश प्रशासन ने केंद्र के साथ मिलकर देश के विभिन्न हिस्सों में कर्टन रेजर कार्यक्रम किए। इसी दौरान 22 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आ गया। इन क्षेत्रों में प्राथमिकता : निवेशकों के लिए सरकार ने 14 मुख्य क्षेत्रों, जिनमें पर्यटन, फिल्म पर्यटन, बागवानी, फसल कटाई के बाद का प्रबंधन, कृषि, फूड प्रोसेसिंग, रेशम, स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, उत्पादन, आइटी, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचा व रियल एस्टेट, हथकरघा व हस्तकला और शिक्षा चिह्नित किए हैं।

देश की कई बड़ी कंपनियां निवेश की इच्छा जता चुकी हैं। जब वैश्विक निवशेक सम्मेलन को लेकर कर्टन रेजर शो किया था तो 62 नामी कंपनियों ने 13 हजार करोड़ के निवेश की हामी भरी। दूसरे कर्टन रेजर मेें 66 कंपनियों ने 9 हजार करोड़ के निवेश को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। फिलहाल कोविड-19 के चलते सारी प्रक्रिया रुकी हुई है। -अनू मल्होत्रा, निदेशक उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, जम्मू 
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