Independence Day 2020: 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के सपने को साकार करने में जम्मू-कश्मीर का भी होगा महत्वपूर्ण योगदान: मनोज सिन्हा

उपराज्यपाल ने जम्मू कश्मीर के विकास के लिए पांंच सूत्रों का जिक्र करने के साथ ही युवा शक्ति को भी प्रदेश को एक समृद्ध खुशहाल और सुरक्षित प्रदेश बनाने में सहयोग का आह्वान किया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 12:56 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 01:16 PM (IST)
Independence Day 2020: 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के सपने को साकार करने में जम्मू-कश्मीर का भी होगा महत्वपूर्ण योगदान: मनोज सिन्हा
Independence Day 2020: 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के सपने को साकार करने में जम्मू-कश्मीर का भी होगा महत्वपूर्ण योगदान: मनोज सिन्हा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में शनिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 74वां स्वतंत्रता दिवस समारोह , कोविड-19 की पाबंदियों के बावजूद पूरे जोश के साथ मनाया गया। सड़कों और समारोह स्थलों पर भीड़ बेशक कम रही, लेकिन चौराहों पर जगह-जगह लगे राष्ट्र ध्वज अलगाववाद और आतंकवाद से आजादी के जोश को बयान कर रहे थे। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में राष्ट्र ध्वज फहराया। परेड की सलामी ली। रंगांरग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुए समारोह में उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले सेनानियों को याद करते हुए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें देश की एकता, अखंडता और स्वतंत्रता को बनाए रखने व गरीबी, अशिक्षा, महामारी और बुराइयों से मुक्त एक सशक्त समाज की स्थापना के लिए प्रेरित करता है।

उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए पांंच सूत्रों का जिक्र करने के साथ ही युवा शक्ति काे भी जम्मू-कश्मीर को एक समृद्ध, खुशहाल और सुरक्षित प्रदेश बनाने में सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में संवैधानिक बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में 50 बड़े फैसले लिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में सुशासन, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र का सशक्तिकरण, जनकल्याण, द्रुत विकास और रोजगार सृजन मेरी प्राथमिकताओं में शामिल है। मेरा विश्वास है कि जम्मू और कश्मीर 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के हमारे सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

युवाओं ही परिवर्तन की सबसे बड़ी ताकत: उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं के पास ही परिवर्तन की सबसे बड़ी ताकत होती है। अपने छात्र जीवन का जिक्र करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि मैं भी छात्र राजनीति में शामिल रहा हूं। क्रियाशीलता जरुरी है। लेकिन यह क्रियाशीलता राष्ट्र निर्माण और विकास के लिए होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर के नौजवान बहुत ही प्रतिभाशाली हैं और मुझे उम्मीद है कि वे इस प्रदेश को ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने में आगे आकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे।

जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत के अस्तित्व का अभिन्न अंग रहा है: उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के प्राचीन इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि कल्हण की राजतरंगनी से लेकर शंकराचार्य के अद्वैत तक, सूफी इस्लाम से लेकर महायान के बौद्ध दर्शन तक, कश्मीर की बहुलबादी और सांप्रदायिक सौहार्द की परंपरा की पूरी झलक मिलती है। सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक तौर पर जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत के अस्तित्व का अभिन्न अंग रहा है। देश के विभाजन के जिम्मेदार लोगों ने इस भूमि पर भी धर्म के आधार पर एक लकीर खींचने की कोशिश की, जिसे स्थानीय लोगों ने हमेशा नाकाम बनाया। दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता के बाद लिए गए कुछ फैसलों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों और दिल्ली के बीच दरार बढ़ाई। जहां आजाद भारत में लोगों के लिए नये दरवाजे खुलने चाहिये थे, वहीं न जाने कितने दरवाजे बंद हुए। दूरियां बढ़ीं। लेकिन हम इसे बदलना चाहते हैं, हम विकास, शांति, प्रगति और सामाजिक सद्भाव को जम्मू-कश्मीर का प्रतीक बनाना चाहते हैं।

बहुलवादी संस्कृति को संप्रदायिकता की आग ने नुकसान पहुंचाया: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत पर जोर दिया था। कश्मीर में दशकों तक इंसानियत, आतंकवाद से हारती रही। जम्हूरियत निहित स्वार्थ में सिमट गई। कश्मीरियत इससे उपजी नफरत की भेंट चढ़ गई। यह बहुत दु:ख की बात है कि बहुलवादी संस्कृति को संप्रदायिकता की आग ने नुकसान पहुंचाया। महावीर चक्र से सम्मानित शहीद ब्रिगेडयिर राजेंद्र सिंह का जिक्र करते हुए मनोह सिन्हा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कैसे 1947 में जब उड़ी क्षेत्र में घुसपैठियों ने हमला किया तो ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह एक चट्टान की तरह दुश्मनों के रास्ते में खड़े हो गए। उन्होंने अंतिम सांस तक दुश्मनों से जम्मू-कश्मीर की धरती को बचाया। उन्हें कई गोलियां लगी, लेकिन वे चट्टान की तरह दुश्मन के सामने डटे रहे। अंत में दुश्मन को उल्टे पांव लौटने पर मजबूर होना पड़ा। ब्रिगेडियर उस्मान को भी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि उनके अंतिम शब्द थे ''मैं तो जा रहा हूं परंतु जिस जमीन के लिए हम लड़ रहे हैं, उसे दुश्मन के हाथों में कभी नहीं जाने देना।

शहीद जवानों के साथ शहीद अजय पंडित और वसीम बारी का भी किया याद: आज का दिन देश की एकता अखंडता के लिए शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों के बलिदान को याद करने और देश की एकता अखंडता को बनाए रखने के संकल्प को दोहराने का अवसर भी है। उन्होंने हुए कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सुरक्षाबल और सेना के वीर जवानों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूं जो कि देश की एकता अखंडता और नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर आतंकी हमले में शहीद हुए अजय पंडित और वसीम बारी का भी याद किया। कहा कि इन लागों ने भारत के लिए अपनी जान दी है।

जम्मू-कश्मीर का होगा चहुमुखी विकास: जम्मू-कश्मीर के त्वरित और चहुमुखी विकास का यकीन दिलाते हुए बीते एक साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरदार पटेल का सपना था कि संपूर्ण भारत एक राष्ट्र की तरह सिर्फ राजनैतिक मानचित्र पर न रहे बल्कि एक साथ आगे बढ़े और विकास और प्रगति के नए आयाम प्राप्त करें। इसी भावना का सम्मान करते हुए 31 अक्टूबर 2015 को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने "एक भारत श्रेष्ठ भारत" योजना की घोषणा की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के विभिन्न भागों में सांस्कृतिक सम्बंधों को बढ़ावा देना और वहां रहने वाले लोगों के बीच परस्पर संवाद को बढ़ाना और प्रेरित करना था।

इस पहल के तहत जम्मू-कश्मीर को तमिलनाडु के साथ जोड़ा गया है। मैं चाहता हूं कि सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की यह पहल एक विशेष स्थान तक सीमित न हो बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोग प्रत्येक राज्य के लोगों के साथ मजबूत संबंध बनाए।

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