Agriculture New : वैज्ञानिक तरीके से खीरे की खेती कर बढ़ाई आमदनी
आरएसपुरा के सीमावर्ती गांव कतेयाल के किसान सरदार भूपेंद्र सिंह ने कृषि विभाग के सहयोग से वैज्ञानिक ढंग से खीरे की खेती शुरू की है। इससे उनको आमदनी बढ़ाने का एक सशक्त जरिया मिला है। किसान भूपेंद्र सिंह ने बताया कि खीरे की खेती में आधुनिक बीज का इस्तेमाल किया
आरएसपुरा, संवाद सहयोगी : धान तथा गेहूं की फसल के साथ-साथ अब आरएसपुरा के सीमावर्ती किसानों ने आधुनिक ढंग से नकदी फसलों की खेती भी शुरू कर दी है। आरएसपुरा के सीमावर्ती गांव कतेयाल के किसान सरदार भूपेंद्र सिंह ने कृषि विभाग के सहयोग से वैज्ञानिक ढंग से खीरे की खेती शुरू की है। इससे उनको आमदनी बढ़ाने का एक सशक्त जरिया मिला है। किसान भूपेंद्र सिंह ने बताया कि खीरे की खेती में आधुनिक बीज का इस्तेमाल किया है। इस खीरे की लगातार मांग भी बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि पाली हाउस में इस फसल की खेती की गई है। कृषि विभाग द्वारा उनकी पूरी मदद की जा रही है। उनका कहना है कि पालीहाउस बनाने में भी कृषि विभाग द्वारा उन्हें सब्सिडी प्रदान की गई है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे उनकी फसल बाजार में लोगों के बीच पहुंच रही है वैसे वैसे इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है और कुछ लोग तो सीधा खेतों में खीरे लेने के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वह भी इस तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं। उन्होंने बताया कि इसमें कई प्रकार के तत्व भी मौजूद हैं और इसके सेवन से इंसान की शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है।
खीरे में नहीं होते बीच, कड़वापन भी नहीं : कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस खीरे के लिए बाजार मुहैया करवाया जा रहा है। इसके साथ ही इसके गुण भी लोगों को बताए जा रहे हैं। क्षेत्र के कुछ अन्य किसानों ने भी इसकी खेती की हुई है, जो कृषि विभाग के सहयोग से मुनाफा कमा रहे हैं। उम्मीद है कि क्षेत्र के अन्य किसान भी जल्द इसकी तरफ अपनी रुचि बढ़ाएंगे। खीरे की यह खेती पूरी तरह से आर्गेनिक है। इस खीरे की खेती में किसी भी दवा का छिड़काव नहीं किया गया है। इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसका बीज पड़ोसी राज्य पंजाब से मंगवाया गया था। खीरा अलग प्रकार का है, जिसमें बीज नहीं होता और कड़वापन भी नहीं है।