Jammu Kashmir: वह बेजुबान था..नहीं जानता था इंसानी बस्ती के कानून; गले में फंदा डाल पेड़ से लटका दिया
कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि हो सकता है अपनी फसल को बंदरों के आतंक से बचाने के लिए किसी ने ऐसा किया हो लेकिन जिस पेड़ के पास यह घटना हुई वहां आसपास कोई फसल नहीं लगी है।
पौनी, जुगल मंगोत्रा : वह बेजुबान था...। इंसानों की बस्ती के कायदे-कानून से ना-वाकिफ था। धोखे से उसे पकड़ा, गले में फंदा डाला और लटका दिया पेड़ पर। दो दिन तक उसका मृत शरीर पेड़ की टहनी पर लटकता रहा। आते-जाते सभी ने देखा, लेकिन-इस भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी बेजुबान के लिए समय किसके पास था जनाब...।
रियासी जिले की पौनी तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर भारख चंडी मोड़ में दरगाह से पहले शीशम के एक पेड़ पर बंदर को फांसी पर लटकाया गया था। मंजर, रोंगटे खड़े कर देने वाला था। फांसी पर झूलते बेजुबान बंदर को मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालक व दरगाह पर आने-जाने वाले लोग देखकर दुख तो जता रहे थे, लेकिन कारण जानने या पुलिस या वन्य जीव विभाग को सूचित करने की किसी ने जहमत नहीं उठाई।
दैनिक जागरण की टीम वहां से गुजरी तो पड़ताल शुरू की। आसपास से गुजर रहे लोगों से कारण पूछा तो सभी ने अनभिज्ञता जताई। पेड़ के निकट ग्रेफ में काम करने वाले कुछ मजदूर सड़क किनारे नाली बना रहे थे। मजदूरों से पूछा तो जवाब मिला, 'पता नहीं साहब, यह बंदर तो पिछले दो दिन से पेड़ के साथ लटका हुआ है।'
जागरण ने पड़ताल जारी रखी और दरगाह पर लगे मेले में पहुंचकर कुछ लोगों से इसके बारे में बात की। कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि हो सकता है, अपनी फसल को बंदरों के आतंक से बचाने के लिए किसी ने ऐसा किया हो, लेकिन जिस पेड़ के पास यह घटना हुई, वहां आसपास कोई फसल नहीं लगी है। वहां जंगल है और बंदरों का आतंक भी नहीं। तहसील में इस तरह की यह पहली घटना है।
इसके बाद जागरण टीम ने डीसी रियासी इंदू कंवल चिब के अलावा पुलिस स्टेशन पौनी के एसएचओ राजेश गौतम को भी इस बारे में सूचित किया। इस पर अमल करते हुए पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर बंदर को पेड़ से उतारकर बिना पोस्टमार्टम ही उसे दफना दिया।
क्या कहता है कानून : यदि कोई इस तरह किसी जानवर को मारता है तो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत उसे तीन साल तक की सजा या 25 हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा जानवरों पर अत्याचार या क्रूरता का भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
क्या है शव दफनाने की प्रक्रिया : वन्य जीव संरक्षण विभाग को सूचित किए बिना पशु का मृत शरीर पेड़ से उतारकर दफनाया नहीं जा सकता है। पुलिस की मौजूदगी में फोटोग्राफी के बाद मृत शरीर को वन्य जीव संरक्षण विभाग को सौंपा जाता है। पशु का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसे दफनाया जाता है। यदि कोई ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। 'हमने टीम सहित बंदर को फंदे से निकालकर दफना दिया है। छानबीन करने पर इस घटना को अंजाम देने वाले के बारे में कुछ सुराग हाथ लगे हैं। जल्द आरोपित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और ऐसा करने का कारण भी पूछा जाएगा।' -राजेश गौतम, एसएचओ पौनी 'जंगली जानवरों को मारने का किसी को अधिकार नहीं है। मामले की पूरी छानबीन करेंगे और आरोपित के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण के नियमों के मुताबिक मामला दर्ज करवाया जाएगा।' -वरिंदर सिंह मन्हास, फारेस्ट रेंज ऑफिसर पौनी