Kashmir : कश्मीर में लोकतंत्र को जिंदा रखने वाले नेताओं के नाम पर चौक-सड़कें
New Kashmir श्रीनगर में लालबाजार स्थित बोटाशाह चौक अब शहीद पीर मोहम्मद शफी स्मारक चौक कहलाएगा। इसके अलावा डल झील के भीतरी हिस्सों को जोड़ने वाली सड़क चौधरी बाग से मीर बहरी क्षेत्र तक सैयद महेदी के नाम पर होगी।
श्रीनगर, नवीन नवाज : कश्मीरियोें के दिलो दिमाग में कल तक आतंकवाद का जो खौफ था, वह धीरे-धीरे गायब हो रहा है। आतंकवाद और अलगाववाद के गढ़ रहे श्रीनगर के डाउन-टाउन व साथ सटे इलाके की एक सड़क व चौक लोकतंत्र को जिंदा रखने वाले व आतंकी हमलों में मारे गए दो राजनीतिक नेताओं पीर मोहम्मद शफी और सैयद महेदी को समर्पित की गई हैं। कश्मीर में बड़े बदलाव का यह फैसला सोमवार को श्रीनगर नगर निगम ने बिना किसी विरोध के एक बैठक में पारित किया।
इससे पहले कश्मीर में सेना और जम्मू कश्मीर प्रशासन ही आतंकियों के साथ मुकाबला करते शहीद हुए सैन्य और पुलिस कर्मियोें के नाम पर स्कूल व कालेजोें का नामकरण कर रहा है। बीते सप्ताह शोपियां में एक कालेज का नाम शहीद सैन्यकर्मी के नाम पर रखा गया था।
श्रीनगर में लालबाजार स्थित बोटाशाह चौक अब शहीद पीर मोहम्मद शफी स्मारक चौक कहलाएगा। इसके अलावा डल झील के भीतरी हिस्सों को जोड़ने वाली सड़क चौधरी बाग से मीर बहरी क्षेत्र तक सैयद महेदी के नाम पर होगी। निगम की जनरल काउंसिल की बैठक में संबंधित प्रस्ताव बिना विरोध के सर्वसम्मति से पारित हुए हैंं। आगा सैयद मेहदी के नाम पर सड़क का प्रस्ताव श्रीनगर के महापौर जुनैद अजीम मट्टु ने और बोटा शाह चौक का नाम का प्रस्ताव काउंसिलर दानिश बट ने रखा।
आतंकवाद और अलगाववाद के बादल छंटे : राजनीतिक कार्यकर्ता सलीम ने कहा कि मैं आज दावे के साथ कह सकता हूं कि कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के बादल छंट गए हैं। हमने वह दौर भी देखा है जब आतंकियों के हाथों मारे गए किसी मुख्यधारा के राजनीतिक नेता के जनाजे में शामिल होने से पहले लोग दस बार सोचते थे। उनके नाम पर किसी सड़क, अस्पताल या स्कूल का नाम रखने का प्रस्ताव कोई सार्वजनिक तौर पर नहीं रखता था बल्कि किसी दूसरे के मुंह से कहलवाने का प्रयास करता था। यह कश्मीर में एक बड़ा सुखद बदलाव है।
पूर्व विधायक पीर मोहम्मद शफी
कौन थे सैयद मेहदी और पीर मोहम्मद शफी : दिवंगत सैयद मेहदी तीन नवंबर 2000 को आतंकियों द्वारा किए गए आइईडी हमले में शहीद हुए थे। वह कश्मीर में शिया समुदाय के प्रमुख धर्मगुरुओं में एक थे। उनके पुत्र आगा सैयद रुहैला तीन बार बड़गाम के विधायक रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं। वह जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के मुखर विरोधी हैं। अलबत्ता, उन्होंने कभी अपने पिता की मौत पर खुलकर आतंकियों की निंदा नहीं की और न उनके नाम पर सरकारी स्तर पर किसी अस्पताल, स्कूल, सड़क या मार्ग या किसी संस्थान को समर्पित करने का प्रयास किया।
पूर्व विधायक पीर मोहम्मद शफी नेशनल कांफ्रेंस के पुराने और दिग्गज नेताओें में एक थे। आतंकियों ने अगस्त 1991 में उनके घर में दाखिल होकर उनकी हत्या कर दी थी। उनके पुत्र पीर आफाक भी विधानसभा के विधायक रह चुके हैं। वह भी नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख नेताओें में गिने जाते हैं। जिस इलाके में चौक का नाम उनके पिता को समर्पित किया गया है, वह खुद उस क्षेत्र का दो बार बतौर विधायक प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं, पीर अफाक ने ट्वीट कर श्रीनगर के महापौर और जडीबल के काउंसलर का चौक का नाम उनके पिता के रखने पर आभार जताया है।