Kot Bhalwal Jail: पैसा फेंको बैरकों में मौज पाओ; बेहतर सहुलियत पाने के लिए जेल अधिकारियों की सांठगांठ से होती है नीलामी

Kot Bhalwal Jail Jammu जेल में कैदियों से जब्त मोबाइल से इस संदर्भ में कई सुराग भी लगे हैं। इन मोबाइल में मिली कुछ तस्वीरें पूरे खेल को उजागर करती हैं। सूत्रों के अनुसार जेल मेें खूंखार आतंक गैंगस्टर और कई हाई प्रोफाइल कैदी भी हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:16 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 07:31 AM (IST)
Kot Bhalwal Jail: पैसा फेंको बैरकों में मौज पाओ; बेहतर सहुलियत पाने के लिए जेल अधिकारियों की सांठगांठ से होती है नीलामी
जेल में सीसीटीवी कैमरे तक काम नही कर रहे है।

जम्मू, अवधेश चौहान: देश की अति संवेदनशील जेल में शुमार कोट भलवाल जेल कैदियों के लिए ऐश परस्ती का अड्डा बन चुकी है। पैसा फेंको और बैरकों में मौज मनाओ। इस खेल का पर्दाफाश कर चुकी पुलिस की खुफिया विंग बैरकों में बाहर से पहुंच रहे मोबाइल फोन से लेकर पसंदीदा व्यंजन और नशीले पदार्थों को लेकर सकते में है।

करीब दो महीने के भीतर जेल में एक दर्जन फोन, सिम, चार्जर, तेजधार हथियार बरामद होने से जेल प्रबंधन पर सवाल उठ गए हैं। मई में भी कैदियों तक मोबाइल और अन्य सामान पहुंचाने के आरोप में जेल अधीक्षक के निजी सुरक्षा कर्मी और चालक के खिलाफ अभी जांच चल ही रही है। फिलहाल वह मामला फाइलों में ही दफन है। आरोप है कि जेल में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से बेहतर सहुलियत देने के एवज में कैदियों से मोटी रकम वसूली की जाती है।

जेल में कैदियों से जब्त मोबाइल से इस संदर्भ में कई सुराग भी लगे हैं। इन मोबाइल में मिली कुछ तस्वीरें पूरे खेल को उजागर करती हैं। सूत्रों के अनुसार जेल मेें खूंखार आतंक, गैंगस्टर और कई हाई प्रोफाइल कैदी भी हैं। ऐसे लोगों से सुविधाओं के बदले मोटा पैसा वसूला जाता है। एक बार पैसा फेंकने के बाद इन कैदियों से दामादों जैसा व्यवहार होता है।

जांच में ऐसा सामने आया है कि कुछ कैदियों को पार्टियां करने से लेकर मोबाइल फोन के इस्तेमाल और मनपसंद खाने तक की भी छूट रहती थी। मोबाइल के माध्यम से गैंगस्टर और अन्य कुख्यात आतंकी बाहर के लोगों से संपर्क में थे और अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने में जुटे हुए थे। मुलाकात के दौरान भी किसी चीज की जांच नहीं होती कि जेल के अंदर उनसे मिलने गया व्यक्ति क्या लाया है। टोपियों, जूतों और शरीर में बांध कर सभी साजों सामान जेल में पहुंचता है।

290 बैरकों में 900 कैदी : जेल प्रबंधन और कैदियों की मिलीभगत से यह सबकुछ संभव है। कोट भलवाल जेल में सीआरपीएफ की दो कंपनियां और जेल का स्टाफ मिलाकर यहां 350 जवान तैनात हैं। यहां कैदियों के लिए 290 बैरक हैं। कोट भलवाल जेल 290 कनाल भूमि में फैली है। करीब 900 अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता अपराधी और आतंकी इस जेल में हैं।

अब तक चले नहीं जैमर : जेेल में वर्ष 2013 में तत्कालीन डीजी जेल के राजेंद्रा ने जेल में जैमर लगावाने का काम शुरू करवाया। आठ साल बाद भी जेल में जैमर नहीं हैं। इससे कैदी आसानी से मोबाइल से बातचीत कर सकते हैं। जेल में सीसीटीवी तक काम नहीं कर रहे हैं।

क्या कहना है डीआइजी जेल सुल्तान लोन का

जम्मू कश्मीर में डीआइजी जेल सुलतान लोन का कहना है कि 15 जुलाई को बैरकों में बरामद मोबाइल फोन व अन्य सामान कहां से आया, अभी यह जांच का विषय है। इस संबंध में घरोटा क्षेत्र के कुछ लोगों को पकड़ा गया है। जेल में मर्जी का खाना पकाने के सवाल को उन्होंंने नकार दिया जबकि बैरकों से चूल्हे बरामद किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अंदर सामान कैसे पहुंचता रहा है इसकी पुलिस की खुफिया विंग पड़ताल कर रही है। अधिकारियों को पूरी सहयोग दिया जा रहा है। कोरोना काल में गर्म पानी के लिए कुछ कैदी चूल्हों और हीटर का इस्तेमाल करते रहे हैं।

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