Jammu Kashmir: पुलिस कैडर के अधिकारियों के भरोसे चल रहीं प्रदेश की जेलें, सात सालों से नहीं हुई भर्ती

Jammu Kashmir Jails जम्मू-कश्मीर में कुल 14 जेल हैं जिनमें दो केंद्रीय जेल 10 जिला जेल और दो सब जेल हैं। गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार जम्मू कश्मीर की जेलों में अद्र्धसुरक्षा बलों बीएसएफ और सीआरपीएफ से भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्त हो सकती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 07:46 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 01:00 PM (IST)
Jammu Kashmir: पुलिस कैडर के अधिकारियों के भरोसे चल रहीं प्रदेश की जेलें, सात सालों से नहीं हुई भर्ती
पंजाब में जेलों में वार्डन की भूमिका बीएसएफ व सीआरपीएफ के डिप्टी असिस्टेंट कमांडेंट स्तर के अधिकारी निभा रहे हैं।

जम्मू, अवधेश चौहान: आपको हैरानी होगी कि जम्मू कश्मीर की जेलों को जेल कैडर नहीं, बल्कि पुलिस कैडर के अधिकारी चला रहे हैं। दोनों कैडर के अधिकारियों का प्रशिक्षण और काम की प्रवृत्ति अलग-अलग होती है। प्रदेश की सबसे संवेदनशील श्रीनगर की केंद्रीय जेल समेत प्रदेश की सात जिला जेलों में पुलिस कैडर के अधिकारियों से ही काम चलाया जा रहा है।

यहां तक कि दक्षिण कश्मीर की पुलवामा और अनंतनाग, जम्मू संभाग की किश्तवाड़, रियासी, हीरानगर जेलों में भी पुलिस विभाग का इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी जेलर के रूप में काम कर रहा है। अगले एक वर्ष में जम्मू की कोट भलवाल जेल के जेलर दिनेश शर्मा और डीआइजी जेल सुल्तान मोहम्मद लोन समेत आधे से अधिक जेलर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद तो सभी जेलों का संचालन पुलिस कैडर के अधिकारियों के हाथ में चला जाएगा। यह सब जेल कैडर के अधिकारियों की गत सात वर्ष से कोई नियुक्ति नहीं होने के चलते हो रहा है।

जम्मू-कश्मीर में कुल 14 जेल हैं, जिनमें दो केंद्रीय जेल, 10 जिला जेल और दो सब जेल हैं। गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार जम्मू कश्मीर की जेलों में अद्र्धसुरक्षा बलों बीएसएफ और सीआरपीएफ से भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्त हो सकती है। जम्मू कश्मीर जेलों को बीते सात वर्ष से लोक सेवा आयोग (पीएससी) की ओर से जेल कैडर का कोई भी अधिकारी नहीं मिला है। यहां तक कि श्रीनगर केंद्रीय जेल में पाकिस्तानी आतंकी नवीद जट के फरार हो जाने के बाद से यहां पुलिस कैडर के इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी ही जेलर की भूमिका निभा रहा है, जबकि जेल सुपरिंटेंडेंट का रैंक एसपी रैंक का होता है। दोनों अधिकारियों की ट्रेनिंग अलग-अलग तरीके से होती है। जेलर की नियुक्त के बाद उसकी छह माह की ट्रेनिंग लखनऊ, बेंगलुरु, हिसार आदि जगह होती है।

पुलिस कैडर और जेलर के काम की प्रवृत्ति अलग-अलग: जेल के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस कैडर के अधिकारियों का काम आपराधिक मामलों की छानबीन करना होता है, जबकि जेलर का काम कारावास में कैदियों में सुधार लाना। दोनों की ड्यूटी की प्रवृत्ति अलग-अलग है। पंजाब में तो जेलों में वार्डन की भूमिका बीएसएफ व सीआरपीएफ के डिप्टी असिस्टेंट कमांडेंट स्तर के अधिकारी निभा रहे हैं।

आयोग को पद ही नहीं भेजे तो कैसे होगी नियुक्ति: जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2014 में दो जेल अधिकारियों के पदों की भरपाई की थी, जिनमें एक महिला अधिकारी को बारामुला जिला जेल में नियुक्त किया गया। इसके बाद से आयोग ने सात वर्ष से कोई नियुक्त नहीं की। यहां तक कि जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने जेल के गजटेड कैडर अधिकारियों के पदों को लोक सेवा आयोग को भरपाई के लिए सौंपा। इतना ही नहीं, डीआइजी जेल सुल्तान मोहम्मद लोन भी इसी वर्ष दिसंबर माह में सेवानिवृत हो रहे हैं। राज्य की जेलों में आने वाले दिनों में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। जो पद खाली पड़े हैं, उनकी भरपाई के लिए उन्हें पब्लिक सर्विस आयोग को भेजा गया है। अर्द्धसुरक्षा बलों से भी जेल अधिकारियों की नियुक्त संभव हो सकती है। - सुल्तान मोहम्मद लोन, डीआइजी (जेल), जम्मू कश्मीर

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