जम्मू-कश्मीर प्रदेश में पहली बार अनुवाद कोर्स होगा शुरू, अधिसूचना जारी

जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम-2020 पारित होने के बाद इन भाषाओं का प्रशासन उद्योग इत्यादि क्षेत्रों में उपयोग और महत्व बढ़ेगा। लेकिन अभी तक जम्मू-कश्मीर में कहीं भी इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए अनुवाद कोर्स संचालित नहीं होता है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 09:02 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 09:02 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर प्रदेश में पहली बार अनुवाद कोर्स होगा शुरू, अधिसूचना जारी
छात्र अपनी मर्जी से सर्टिफिकेट या डिप्लोमा दोनों में से कोई एक कर सकते हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा. रवि कुमार ने शैक्षणिक सत्र 2021 से हिंदी अंग्रेजी अनुवाद में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्रोग्राम शुरू करने की अधिसूचना जारी की है।

सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्रोग्राम के लिए कुल 50 सीटें रखी गई हैं। भारत सरकार के नियमानुसार छात्रों को आरक्षण भी दिया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू केंद्रीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा, सीयूसीईटी एंट्रेंस का आयोजन करेगा। उसी के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी।

कोर्स में छात्रों की सहूलियत के लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा दोनों का प्रावधान किया गया है। सर्टिफिकेट कोर्स छह माह का होगा और इसकी फीस 5000 रुपये होगी। डिप्लोमा एक साल का होगा और इसकी फीस 8000 रुपये होगी। छात्र अपनी मर्जी से सर्टिफिकेट या डिप्लोमा दोनों में से कोई एक कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय के डीन स्टूडेंट वेलफेयर और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रसाल सिंह ने बताया कि वैश्विक संचार और सांस्कृतिक एकीकरण की प्रक्रिया के बीच भाषाओं की भूमिका पहले से ज्यादा बढ़ गई है। भाषाओं की भूमिका अब पहले से ज्यादा बढ़ती दिखाई दे रही है। इसी वजह से भाषाएं संवेदनशील प्रशासन और वैश्वीकरण का आधार सेतु भी बन गई हैं।

प्रो. सिंह ने बताया कि मौजूदा दौर में हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद कार्यक्रम का महत्व अधिक बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों हिंदी डोगरी और कश्मीरी भाषा को भी उर्दू और अंग्रेजी की तरह आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला है।

जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा अधिनियम-2020 पारित होने के बाद इन भाषाओं का प्रशासन, उद्योग इत्यादि क्षेत्रों में उपयोग और महत्व बढ़ेगा। लेकिन अभी तक जम्मू कश्मीर में कहीं भी इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए अनुवाद कोर्स संचालित नहीं होता है। इसी के मद्देनजर केविवि के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग ने अनुवाद में कोर्स शुरू करने की पहल की है। विभाग का उद्देश्य सिर्फ भाषा का प्रसार ही नहीं, बल्कि उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार भी मुहैया करवाना भी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू करने पर विशेष जोर है।

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