Kashmir Saffron : अब केसर के किसानों की आमदनी दोगुना, किसान केंद्रित नीतियों से मिला फायदा

केसर के उत्पादन में 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टयर से 5.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है। केसर को जियो टैग मिल चुका है। यह आप एक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सशक्त ब्रांड बन गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 09:39 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:39 AM (IST)
Kashmir Saffron : अब केसर के किसानों की आमदनी दोगुना, किसान केंद्रित नीतियों से मिला फायदा
नई तकनीक का इस्तेमाल करके किसानों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा रहा है और इंसेंटिव किए जा रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की मौजूदगी में जश्न-ए-जाफरान का ई- उद्घाटन किया। उपराज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार की किसान केंद्रित नीतियों के कारण जम्मू कश्मीर में केसर के किसानों की आय इस साल दो गुना हो गई है। वह भी निर्धारित लक्षय से एक साल पहले ही। उन्होंने कहा कि नेशनल स्टैटिसटिकल सर्विस के हाल ही में जारी डाटा से पता चलता है कि मेघालय, पंजाब, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश के बाद जम्मू कश्मीर के किसानों की राष्ट्रीय औसत से मासिक आमदनी अधिक रही है।

जम्मू कश्मीर के किसानों की मासिक आमदनी 18918 प्रति माह रही है। राष्ट्रीय औसत 10218 रुपये हैं। उपराज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया जिसमें किसानों को उत्पादन से लेकर रिटेल मार्केट, ब्रांडिंग तक फायदे दिए। किसानों के जीवन में सुधार लाया। उपराज्यपाल ने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री ने कृषि और बागवानी के क्रांतिकारी बदलाव किया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से जम्मू-कश्मीर के किसानों पूरे देश में पांचवें स्थान पर रहे हैं और राष्ट्रीय औसत से 46 फीसद अधिक हैं। उन्होंने कहा कि 98 फीसद किसान विभिन्न संस्थानों, कृषि विभाग से तकनीकी सहयोग ले रहे हैं। इससे कृषि क्षेत्र में सुधार आ रहा है। केसर के प्रगतिशील किसान अब्दुल मजीद वानी का प्रधानमंत्री की तरफ से जिक्र किए जाने पर उपराज्यपाल ने कहा कि नई तकनीक का इस्तेमाल करके किसानों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा रहा है और इंसेंटिव किए जा रहे हैं।

केसर के उत्पादन में 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टयर से 5.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है। केसर को जियो टैग मिल चुका है। यह आप एक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सशक्त ब्रांड बन गया है। जम्मू कश्मीर का केसर दुबई में पिछले साल लांच किया था कि जियो र्टैंगग के बाद और इसके प्रोत्साहन वाले परिणाम आए हैं। इससे सिर्फ निर्यात ही नहीं बढ़ेगा बल्कि पंपोर ट्र्रेंडग सेंटर सैफरन किसानों की राह को आसान बना रहा है ताकि वह देश के अन्य भागों में केसर की बिक्री हो सके। नैफेड केंद्र शासित प्रदेश में उच्च क्षमता वाले पौधों के लिए काम कर रहा है, वह भी जम्मू-कश्मीर से बाहर केसर की बिक्री करेगा। पुलवामा, बड़गाम और किश्तवाड़ के किसानों को इससे काफी राहत मिली है और उनकी आय दुगनी हो गई है।

उपराज्यपाल ने कहा कि केसर की खेती जम्मू कश्मीर की नारी शक्ति के बिना संभव नहीं थी हमारी माताओं और बहनों ने इसमें अहम भूमिका निभाई हैं। उपराज्यपाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। नीति निर्धारकों ने कृषि शास्त्र में बदलाव लाया है और आज के किसान को फायदा मिल रहा है पढ़े-लिखे लोग डॉक्टर इंजीनियर भी कृषि को अपना वैकल्पिक पेशा बना रहे हैं।

मानवता के लिए काला दिवस है 22 अक्टूबर :  पराज्यपाल मनोज सिन्हा ने साल 1947 में पश्तून कबाइलियों के भेष में पाक सेना द्वारा किए आतंकी हमले में शहीद सैनिकों व नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस हमले के घाव आज भी हरे हैं। 22 अक्टूबर न सिर्फ जम्मू कश्मीर के नागरिकों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए काला दिवस है। शुक्रवार को वह शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हळ्ए सेमिनार- मेमोरी आफ 22 अक्टूबर, 1947 को संबोधित कर रहे थे।सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर की जनता पर जो जुल्म किए हैं, वह अब दुनिया के सामने आ रहे हैं। हमारी युवा पीढ़ी को ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह, मकबूल शेरवानी, कांता वजीर व अन्य गुमनाम नायकों की वीरता और बलिदान की कहानियों के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए। युवा पीढ़ी को पता होना चाहिए कि कैसे ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने चंद सिपाहियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला किया। हमारे युवाओं को बारामुला के मकबूल शेरवानी के बारे में पता होना चाहिए। 

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