Jammu Kashmir : सरकारी बंगले खाली नहीं कर रहे पूर्व मंत्री-नौकरशाह, हर माह खर्च हो रहे 1.40 करोड़ रुपये
पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता के गांधीनगर स्थित स्पेशल बंगले आदि का महीने का खर्च 484698 रुपये आता है जबकि पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह के गांधीनगर स्थित स्पेशल बंगले पर चौकीदार सुरक्षा और बागवानी पर सरकार 525045 रुपये प्रति माह खर्च करती है।
जम्मू, अवधेश चौहान : निवेश जुटाकर अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रही जम्मू कश्मीर सरकार अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व उपमुख्यमंत्रियों, पूर्व विधायकों, नेताओं और पूर्व नौकरशाहों के सरकारी बंगलों, उनकी सुरक्षा, नौकर-माली आदि का खर्च उठा रही है। सरकार की ओर से बार-बार नोटिस देने के बावजूद ये लोग सरकारी बंगलों, क्वार्टरों, व फ्लैट में डटे हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई अब इस दुनिया में भी नहीं हैं, बावजूद इसके उनके रिश्तेदार सभी सरकारी सुख-सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। अब मामला हाईकोर्ट में है। कोर्ट ने भी सरकार से ऐसे लोगों पर आने वाले खर्च का ब्योरा मांगा है।
21 नवंबर, 2018 को भंग हो चुकी जम्मू कश्मीर विधानसभा के बाद भी इन पूर्व नेताओं ने जम्मू के गांधीनगर, वाजारता रोड, रिहाड़ी, कंपनी बाग, तालाब तिल्लो और कुछ ने श्रीनगर के तुलसी बाग, जवाहर नगर आदि में सरकारी बंगलों, क्वार्टरों में डेरा डाला हुआ है। इनमें से कई नेता बंगलों का किराया तो जमा करवा रहे हैं, लेकिन अन्य खर्च सरकारी खजाने से जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकारी बंगलों का अभी भी 15,48,000 रुपये बकाया है।
एस्टेट विभाग के सूत्रों के अनुसार, इन सरकारी मेहमानों की सूची का आकलन किया जाए तो इनकी सुरक्षा, बंगलों, नौकर, माली और सुपरवाइजरों के खर्च आदि पर हर माह 1,39,89264 (लगभग 1.40 करोड़) रुपये खर्च हो रहे हैं।
विशेष बंगले में रह रहे पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार : सूची में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद शाह का भी नाम है। वह दो जुलाई 1984 से 12 मार्च 1986 तक मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2009 में उनके निधन के बाद भी उनके नाम पर जम्मू के गांधीनगर इलाके में स्थित विशेष बंगले में अभी तक उनके रिश्तेदार रह रहे हैं। उनके रिश्तेदारों की सुरक्षा, माली और चौकीदार का एक माह का खर्चा 2,39363 रुपये है।
पाश इलाके गांधीनगर में हैं इनके आवास : पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता के गांधीनगर स्थित स्पेशल बंगले आदि का महीने का खर्च 4,84,698 रुपये आता है, जबकि पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह के गांधीनगर स्थित स्पेशल बंगले पर चौकीदार, सुरक्षा और बागवानी पर सरकार 5,25,045 रुपये प्रति माह खर्च करती है। पूर्व विधायक रविंद्र रैना की गांधी नगर कोठी पर हर महीने 3,86,986 रुपये खर्च होते हैं।
अन्य पूर्व मंत्रियों व नेताओं पर खर्च : माकपा नेता गुलाम मोहम्मद शेख, पूर्व एमएलसी नासिर खान पर प्रति माह 7177 रुपये खर्च आता है, एजाज अहमद मीर पर 2,43,262 रुपये, पूर्व एमएलसी अली मोहम्मद डार, पूर्व विधायक बशीर अहमद डार पर 1,0,3926 रुपये, पूर्व विधायक अल्ताफ तांत्रे, पूर्व एमएलसी बशीर अहमद वीरी, पूर्व एमएलसी सैयद रफीक शाह, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ भट, पूर्व विधायक मोहम्मद शफी उड़ी पर 73,937 रुपये, पूर्व विधायक जीएम सरूरी पर 3,86,986 रुपये खर्च आता है। पूर्व एमएलसी विकार रसूल वानी, पूर्व एमएलसी दिलीप सिंह, पूर्व एमएलसी शेख इश्फाक जब्बर, पूर्व मंत्री बाली भगत, पूर्व एमएलसी हाजी अब्दुल रशीद, पूर्व एमएलसी मोहम्मद अमीन भट, पूर्व एमएलसी प्रदीप शर्मा, शिल्पी वर्मा, मनोहर लाल, केबी अग्रवाल, पूर्व एमएलसी सैयद फारूक अंद्राबी पर 6951 रुपये, पूर्व डिप्टी स्पीकर नाजिर अहमद खान पर 2,52,706 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री एमएस पंडित, पूर्व वाइस चैयरमेन निजाम दीन भट, पूर्व एमएलसी अब्दुल गनी मलिक, पूर्व एमएलसी रंजीत सिंह पठानिया, पूर्व विधायक राजेश गुप्ता, पूर्व एमएलसी प्रो. भीम सिंह, पूर्व एमएलसी विनोद गुप्ता आदि भी सूची में शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट में जारी है सुनवाई : जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट ने भी सरकार से कहा है कि अवैध रूप से सरकारी बंगलों में रह रहे वीवीआइपी लोगों, नेताओं और पूर्व मंत्रियों और विधायकों के बंगलों के रखरखाव, पानी बिजली, माली और चौकीदारी, सुरक्षा पर आने वाले खर्च का ब्योरा पेश किया जाए, जिससे की सरकारी संपत्ति को संरक्षित किया जा सके। हाइकोर्ट में इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. एसके भल्ला ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने सरकार से सरकारी बंगलों को खाली करवाने की गुहार लगाई है। उनके वकील शेख शकील मामले की पैरवी कर रहे हैं।