Jammu Kashmir : शिक्षा विभाग में नहीं हुई 10 सालों से नई नियुक्ति, 6466 शिक्षकों की है जरूरत

Jammu Kashmir Education Department सरकार ने समय 40000 सर्व शिक्षा अभियान अध्यापकों को स्थाई कर दिया था। तय नियमों के अनुसार पहले से रहबर-ए-तालीम योजना के तहत नियुक्त अध्यापकों को पांच साल के बाद स्थायी किया जा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 09:45 AM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 09:45 AM (IST)
Jammu Kashmir : शिक्षा विभाग में नहीं हुई 10 सालों से नई नियुक्ति, 6466 शिक्षकों की है जरूरत
अगर अध्यापकों का समायोजन किया जाए तो काफी हद तक अध्यापकों की कमी को दूर किया जा सकता है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में अध्यापकों के छह हजार से अधिक व में नान टीचिंग कर्मियों के चार हजार के करीब पद रिक्त पड़े हुए है। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 6466 और नान टीचिंग के 3596 पद रिक्त है। इससे दूरदराज व ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई पर असर तो पड़ ही रहा है साथ ही शिक्षा विभाग में नौकरी के इच्छुक युवाओं को इसलिए भी झटका है क्योंकि आने वाले दस साल के लिए विभाग में पद भरना संभव नहीं है।

अगर अध्यापकों का समायोजन किया जाए तो काफी हद तक अध्यापकों की कमी को दूर किया जा सकता है। शहरों में अनेक स्कूल है जिनमें अध्यापकों की संख्या अधिक है मगर दूरदराज के इलाकों में स्कूलों में अध्यापकों की कमी है। पूर्व जम्मू कश्मीर में राज्य प्रशासनिक काउंसिल ने अहम फैसला लेते हुए सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त अध्यापकों को टीचरों के ग्रेड सेकेंड व ग्रेड तीन में लाते हुए उनकी सेवाओं को स्थाई कर दिया था।

इसे सितंबर 2018 से लागू किया गया था। जनरल लाइन अध्यापकों के 28363 पदों को सृजित करके ग्रेड सेकेंड व तीसरे में अध्यापकों में डालने के आदेश दिए गए। प्रशासनिक काउंसिल ने उस समय नान टीचिंग कोटा के 4522 पदों को भी ग्रेड सेकेंड कैडर में ला दिया था। सितंबर 2019 में सात हजार पदों को ग्रेड सेकेंड व तीन में डाला गया था। ग्रेड सेकेंड में ग्रेजुएशन व उससे ऊपर व ग्रेड तीन में अंडर ग्रेजुएट को डाला गया। ये छूट एक ही बार के लिए थी।

सरकार के इस फैसले से आने वाले 10 सालों में अध्यापकों के पदों को निकालने की संभावनाएं खत्म हो गई थी। अब चूंकि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और विभिन्न विभागों में पदों को भरने के लिए जम्मू कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड को रेफर किए गए लेकिन शिक्षा विभाग में कोई पद नहीं निकाला गया है। उस समय यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त अध्यापकों को स्थाई किया जाए।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत अध्यापकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा था और वह काफी समय से स्थायी किए जाने की मांग कर रहे थे। उस समय सरकार ने रहबर-ए-तालीम योजना को बंद कर दिया था। सरकार ने समय 40,000 सर्व शिक्षा अभियान अध्यापकों को स्थाई कर दिया था। तय नियमों के अनुसार पहले से रहबर-ए-तालीम योजना के तहत नियुक्त अध्यापकों को पांच साल के बाद स्थायी किया जा रहा है।

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