Jammu: अस्पतालों में धूल फांक रहीं मशीनें, बेरोजगार घूम रहे टेक्नीशियन, 4 वर्ष में 100 टेक्नीशियन कर चुके डिप्लोमा
Health facilities in Jammu डीआरडीओ के जम्मू स्थित अस्पताल में एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के 47 पद सृजित हुए थे। इनमें से एक पर भी अभी नियुक्ति नहीं हुई है। इन पदों के लिए अभी भर्ती प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है।
जम्मू, रोहित जंडियाल: स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास प्रशिक्षित टेक्नीशियन की जबरदस्त कमी है। हालात यह हैं कि वेंटीलेटर व अन्य मशीनें धूल खा रही हैं और प्रशिक्षित टेक्नीशियन बेरोजगार घूम रहे हैं। हैरानी है कि प्रदेश में प्रशिक्षित टेक्नीशियन की कोई कमी नहीं है। गत चार वर्ष में तकरीबन सौ टेक्नीशियन सरकार के एएमटी स्कूलों से डिप्लोमा ले चुके हैं, लेकिन ये बेरोजगार बैठे हैं। अगर किसी को रोजगार मिला भी है तो वह भी ठेके पर। इन टेक्नीशियन की उपेक्षा का अनुमान इससे भी लगराया जा सकता है कि डीआरडीओ के अस्पताल में इनके लिए सृजित पदों पर भी कोई नियुक्ति नहीं हो पाई है।
जम्मू कश्मीर में वर्ष 2014 में आइसीयू में एनेस्थीसिया टेक्नीशियन की कमी को दूर करने के लिए सभी एएमटी स्कूलों में दो वर्ष का डिप्लोमा कोर्स शुरू हुआ था। पहला बैच वर्ष 2017 में पास आउट हुआ था। इसके बाद अभी तक तीन बैच निकल चुके हैं। इनमें सौ से अधिक युवाओं ने एनेस्थीसिया टेक्नीशियन का प्रशिक्षण लिया। मगर अब तक इनमें से बहुत कम हैं, जिन्हें सरकार ने स्थायी रोजगार दिया। कुछ को जीएमसी जम्मू सहित विभिन्न मेडिकल कालेजों में एक-एक साल के ठेके पर लगाया गया है। कुछ को नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मात्र 12 हजार रुपये महीने पर लगाया गया है।
हालत यह है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में एनेस्थीसिया टेक्नीशियन की कमी बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के पास न के बराबर टेक्नीशियन हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास भी इनकी कमी है। यही कारण है कि डीआरडीओ के जम्मू स्थित अस्पताल में भी वेंटीलेटर चलाने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है। फिलहाल, बीएससी नर्सिंग करके आए स्टाफ और कुछ फार्मासिस्ट को मेडिकल कालेज में वेंटीलेटर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
डीआरडीओ के जम्मू स्थित अस्पताल में एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के 47 पद सृजित हुए थे। इनमें से एक पर भी अभी नियुक्ति नहीं हुई है। इन पदों के लिए अभी भर्ती प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार मरीजों की जिंदगी को लेकर कितनी गंभीर है। वहीं, श्रीनगर में डीआरडीओ का अस्पताल जम्मू के बाद में खुला, लेकिन वहां पर सभी नियुक्तियां कर दी गई हैं।
...तो इस वजह से डीआरडीओ अस्पताल में नहीं हो रही भर्ती: जीएमसी प्रशासन को यह डर सता रहा है कि अगर वह डीआरडीओ के अस्पताल में एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के 47 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करती है तो जीएमसी में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत जो टेक्निशयन काम कर रहे हैं, वे भी नौकरी छोड़कर डीआरडीओ के अस्पताल में जा सकते हैं। इसका कारण वेतन में भारी अंतर होना है। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत नियुक्त टेक्नीशियन को मात्र 12 हजार रुपये प्रति माह मिल रहे हैं जबकि डीआरडीओ के अस्पताल में नौकरी करने पर 35 हजार रुपये वेतन मिलेगा।