आइजीपी कश्मीर विजय कुमार बोले- राजनेताओं का काम ही है उल्टा पुल्टा बोलना

कश्मीर में हालात सामान्य होने के पुलिस के दावों और हाल ही की मुठभेड़ों को लेकर उठाए राजनेताओं के सवाल पर आइजीपी विजय ने कहा कि राजनीतिकों का काम ही बयानबाजी है। वह कुछ भी बोलते रहते हैं। हमें हमारा काम आता है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:30 AM (IST)
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार बोले- राजनेताओं का काम ही है उल्टा पुल्टा बोलना
एक डाक्टर को पता है कि उपचार कैसे करना है, वैसे हमें भी पता है हालात से कैसे निपटना है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) कश्मीर विजय कुमार ने सुरक्षा व्यवस्था में चूक पर उठ रहे सवाल पर राजनीतिकों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिकों का काम ही उल्टा-पुल्टा बोलना है। पुलिस अपना काम बखूबी जानती है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह आतंकियों के लिए आसान निशाना क्यों न हो, सुरक्षा देना संभव नहीं है। यह पहला मौका नहीं है जब आइजीपी कश्मीर ने कोई विवादास्पद बयान दिया हो। इससे पूर्व मई 2020 में उन्होंने सुरक्षा बैठक में सीआरपीएफ की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि सीआरपीएफ अधिकारी सिर्फ श्रेय लेने की बात करते हैं, काम नहीं करते।

राजनीतिकों का काम ही बयानबाजी है, वह कुछ भी बोलते रहते हैं 

लाल चौक में शनिवार को बहुुमंजिला पार्किंग सुविधा के उद्घाटन समारोह के बाद आइजीपी विजय कुमार पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कश्मीर में हालात सामान्य होने के पुलिस के दावों और हाल ही की मुठभेड़ों को लेकर उठाए राजनेताओं के सवाल पर आइजीपी विजय ने कहा कि राजनीतिकों का काम ही बयानबाजी है। वह कुछ भी बोलते रहते हैं। हमें हमारा काम आता है। जिस तरह एक डाक्टर को पता है कि उपचार कैसे करना है, वैसे हमें भी पता है कि हालात से कैसे निपटना है। बीते दिनों जब कश्मीरी पंडित मक्खन लाल बिंदरु, बिहार के नागरिक और दो अध्यापकों की हत्या हुई थी तो मैंने कहा था कि आतंकी जल्द ही मारे जाएंगे।

कुछ दिनों में नौ मुठभेड़ों में 13 आतंकी मारे गए हैं

कुछ दिनों में नौ मुठभेड़ों में 13 आतंकी मारे गए हैं और इनमें वह भी शामिल हैं जिन्होंने नागरिक हत्याओं को अंजाम दिया था। गौरतलब है कि कश्मीर में अक्टूबर में अब तक आतंकवादियों ने नौ आम नागरिकों की हत्या कर दी है जिससे घाटी में लोगों में डर पैदा हो गया। राजनीतिक दलों ने सुरक्षा तंत्र की आलोचना की। 

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