वन्यजीवों की फोटोग्राफी का शौक है तो चलें आएं लद्दाख, पर्यटन विभाग ने किए हैं खास इंतजाम

लेह जिले के दूरदराज पोलोनगोंगका-ला इलाके में सोकर झील की ओर जाने वाले पर्यटकों को इस समय तिब्बतन भेड़िया दिखना आम है। गर्मियों के महीनों में ये भेड़िया तिब्बत की ओर निकल जाते हैं। ऐसे इलाकों में लोगों को इन दिनों हिमालयी भूरा भालु भी दिख रहा है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 01:05 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 01:05 PM (IST)
वन्यजीवों की फोटोग्राफी का शौक है तो चलें आएं लद्दाख, पर्यटन विभाग ने किए हैं खास इंतजाम
शून्य से नीचे के तापमान में जीने वाले अधिकतर इन वन्यजीवों पर फर की दो परतें होती हैं।

जम्मू, विवेक सिंह । सर्दियों में बर्फ की सफेद चार ओढ़ने वाले केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दूरदराज इलाकों में दिखाई दे रहे वन्यजीव क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों का हौंसला बढ़ा रहा है। लद्दाख का पर्यटन विभाग भी देश, विदेश के फोटोग्राफरों को वन्यजीवों की फोटोग्राफी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

गर्मियों के महीनों में लद्दाख के उपरी इलाकों में सीमित रहने वाले वन्यजीव ठंड बढ़ने के बाद इस समय निचले इलाकों में आ रहे हैं। बर्फ की चादर पर इन वन्यजीवों को दूर से देख पाना भी संभव हो रहा है।

लेह जिले के दूरदराज पोलोनगोंगका-ला इलाके में सोकर झील की ओर जाने वाले पर्यटकों को इस समय तिब्बतन भेड़िया दिखना आम है। गर्मियों के महीनों में ये भेड़िया तिब्बत की ओर निकल जाते हैं। ऐसे इलाकों में लोगों को इन दिनों हिमालयी भूरा भालु भी दिख रहा है। अगर दूरदरज इलाकों में ट्रैकिंग करने वाले पर्यटन खुशकिस्मत रहें तो उन्हें स्नो लेपर्ड के दर्शन भी हो सकते हैं। शून्य से नीचे के तापमान में जीने वाले अधिकतर इन वन्यजीवों पर फर की दो परतें होती हैं। पहली उन्हें गर्म रखती है तो दूसरी परत बर्फ, पानी को उनके शरीर तक नही पहुंचने देती है।

बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों से नीचे ढलने पर आ जाने वाले वन्यजीवों में लाल लोमड़ी, नीली भेड़, लद्दाखी उरियाल, तिब्बतन एंटीलोप, तिब्बतन अरगाली, तिब्बतन गिजेल, तिब्ब्ती जंगली गधा, हिमालयी मरमट, लद्दाख पिका व तिब्बतन खरगोश मुख्य हैं। लद्दाख के पर्यावरण विद्ध सोनम छोलडन का कहना है कि इस समय लद्दाख में विन्यजीवों को आसानी से देखा सकता है। उनका कहना है कि अकसर खाने की तलाश में वन्यजीव उपरी इलाकों से नीचे आ जाते हैं। लद्दाख में वन्यजीवों को विचरण करने के लिए खुली जगह है। यही कारण है कि यहां पर पशु मानव टकराव के मामले बहुत कम हैं। लद्दाख वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित अभ्यारण्य है।

इसी बीच इस समय लेह में इस समय पहुंचाने पर देश के विभिन्न हिस्सों से पयर्टकों में से अधिकतर वन्यजीव प्रेमी ही हैं। कोरोना संक्रमण से उपजे हालात में इस समय विदेश पर्यटक लद्दाख में नही आ रहे हैं। क्षेत्र में दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े से ट्रैकिंग का सीजन शुरू हो जाता है। इस दौरान लद्दाख पर्यटन विभाग की ओर से भी कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ऐसे हालात में लेह के साथ कारगिल के द्रास में बर्फीले इलाकों में ट्रैकिंग करने वाले पर्यवरण लद्दाख पहुंचकर दूरदराज इलाकों की खूबसूरती को अकसर अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं।

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