Jammu Kashmir: ...यहां जामुन के पेड़ के तने में विराजमान मां शारदा की प्रतिमा दिन में कई बार बदलती है रंग और भाव

पुजारी अखिल शर्मा के मुताबिक 44 वर्ष पहले जखैनी निवासी गोपाल सढोत्रा को 15 वर्ष की उम्र में मां शारदा ने सपने में आकर इस स्थान का बोध कराया। मगर शुरु में इसे सपना मान लिया। मगर बार बार सपने आने के चलते उ्नहोंने इस स्थान की खोज शुरु की।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 01:05 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 01:09 PM (IST)
Jammu Kashmir: ...यहां जामुन के पेड़ के तने में विराजमान मां शारदा की प्रतिमा दिन में कई बार बदलती है रंग और भाव
इस मंदिर में मां शारदा की काले रंग की भाव और रंग बदलने वाली प्रतिमा है।

ऊधमपुर, अमित माही: जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर ऊधमपुर शहर से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित गंगेडा की पहाड़ी पर मां शारदा माता का भव्य मंदिर है। इस मंदिर के प्रति लोगों की असीम आस्था व गहरी श्रद्धा है। इस मंदिर की विशेषता जामुन के पेड़ के तने में मां शारदा की श्याम वर्ण प्रतिमा है। प्रतिमा के भाव दिन में अनेकों बार बदलते हैं, और प्रतिमा का रंग भी पेड पर लगने वाले जामुन की फल की तरह बदलता रहता है।

गंगेडा पहाड़ी पर जिस जगह मां का मंदिर बना है, प्राचीन काल में वह घाटी जाने के लिए मुख्य मार्ग होता था। प्रचलित दंतकथा के अनुसार एक बार एक राजा मां शारदा की प्रतिमा को कश्मीर में स्थापित करने के अपने साथ ले जा रहा था। लाव लश्कर के साथ मां शारदा की प्रतिमा लेकर घाटी की और बढ़ रहे राजा ने रात होने पर गंगेड़ा में डेरा डाला। राजा ने रात्रि विश्राम से वहां पर जामुन के पेड़ के खोखले तने में बनी जगह में वस्त्र और फूलों का आसन बना कर मां की प्रतिमा को वहां पर रखा। इसके बाद राजा विश्राम करने लगा। सुबह आगे की यात्रा शुरु करने के लिए राजा ने जामुन के पेड़ के तने में रखी मां शारदा की काले रंग की प्रतिमा को वहां से उठाना चाहा तो सारा बल लगाने और तमाम प्रयत्नों के बावजूद प्रतिमा अपने स्थान से टस से मस नहीं हुई। राजा जान गया कि मां शारदा इसी जगह पर वास करना चाहती है। इसलिए वह मां की प्रतिमा को कर राजा प्रतिमा वहीं छोड़ घाटी की तरफ बढ़ गया।

मंदिर के पुजारी अखिल शर्मा के मुताबिक 44 वर्ष पहले जखैनी निवासी गोपाल सढोत्रा को 15 वर्ष की उम्र में मां शारदा ने सपने में आकर इस स्थान का बोध कराया। मगर शुरु में इसे सपना मान लिया। मगर बार बार सपने आने के चलते उ्नहोंने इस स्थान की खोज शुरु की। जिसके बाद गंगेडा में जामुन के पेड़ तक पहुंच गए, जहां पर मां शारदा का वास है। मूर्ति आज भी जामुन के पेड में खोखले तन में ही विराजमान है। अब मां का भव्य मंदिर जामुन के पेड़े के उस खोखले तने के आसपास बना है। जिसमें प्रतिमा रखी गई थी।

मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर की विशेषता इस मंदिर में मां शारदा की काले रंग की भाव और रंग बदलने वाली प्रतिमा है। पुजारी ने बताया कि मां शारदा जिस जामुन के पेड़ में निवास कर रही है, वह कभी नहीं सूखता और सालके 12 महीने हराभरा रहता है। इस पेड़ पर दो साल में एक बार फल आते हैं। सामान्य दिनों में प्रतिदिन दिन मां की प्रतिमा दो से अधिक भाव और रंग बदलती है। मगर नवरात्र में रंग और भाव कई बार बदलते हैं। इसके अलावा जब जामुन के पेड़ पर फल आते हैं। तो जैसा फल का रंग होता है, मां की प्रतिमा का रंग भी फल के रंग जैसा होता है। हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रों में यहां पर पूजन, हवन और कीर्तन होता है। बड़ी संख्या में भक्त दर्शनों के लिए मंदिर पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर तक: यह मंदिर जम्मू से तकरीबन 64 किलोमीटर और ऊधमपुर से चार किलोमीटर दूर स्थित है। जम्मू या कहीं से भी बस या रेल मार्ग से ऊधमपुर पहुंचा जा सकता है। ऊधमपुर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मेटाडोर और ऑटो से जखैनी पार्क या करीब आधा किलोमीटर आगे शारदा माता मंदिर मोड़ तक पहुंचा जा सकता है। जखैनी पार्क के सामने से और शारदा माता मंदिर मोड़ से एक किलोमीटर की पैदल यात्रा करना पड़ती है। जखैनी पार्क वाला मार्ग थोड़ा लंबा है मगर चढ़ाई कम है। वहीं शारदा माता मंदिर मोड़ वाले रास्ते पर चढ़ाई अधिक है, मगर यहां से जल्दी पहुंचा जा सकता है।

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