Jammu Kashmir : पूर्व मंत्री रूहुल्ला मेहदी ने उठाया सवाल, जब जुमे की नमाज की इजाजत नहीं तो मुहर्रम जुलूस कैसे
अबी गुजर से लाल चौक तक मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने के प्रशासन के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व कैबिनेट मंत्री और तीन बार के विधायक रह चुके रूहुल्लाह मेहदी ने सवाल उठाया है। रूहुल्ला इस फैसले को किसी साजिश का हिस्सा मान रहे हैं।
श्रीनगर, जेएनएन : अबी गुजर से लाल चौक तक मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने के प्रशासन के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व कैबिनेट मंत्री और तीन बार के विधायक रह चुके रूहुल्लाह मेहदी ने सवाल उठाया है। रूहुल्ला इस फैसले को किसी साजिश का हिस्सा मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पर प्रशासन को स्पष्टीकरण देना चाहिए। जब सौ शुक्रवार से जुमे की नमाज की इजाजत मस्जिदों में नहीं है तो तो फिर मुहर्रम जुलूस कैसे? लोगों को इस किसी झांसे में नहीं आना चाहिए।
पूर्व मंत्री रूहुल्ला मेहदी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अमरनाथ यात्रा की अनुमति नहीं दी गई। ईद की नमाज़ और प्रमुख मस्जिदों और तीर्थस्थलों को बंद रखा गया। ऐसे में अचानक से अबी गुजर से लाल चौक तक मुहर्रम जुलूस की अनुमति देने से सवाल उठना लाजिमी है। इस संबंध में रूहुल्लाह मेहदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर ट्वीट भी किया है। If the Friday prayers and other major religious functions (across all religions) continue to be banned and this particular procession suddenly encouraged in isolation. In that case, I see nefarious designs behind it.The people should not fall for this bait and into this trap. 6/7
कुछ दिन पहले ही आइजीपी ने लोगों से कहा था कि वे अपने घरों में ईद मनाएं और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं मिली है। इस पर अभी तक प्रतिबंध है। अन्य सभी प्रमुख धार्मिक समारोहों (किसी विशेष धर्म को छोड़कर) पर प्रतिबंध जारी है। इन सब के बीच अबीगुजर से लाल चौक तक 10वें मोहर्रम के जुलूस के लिए अचानक से इजाजत दे देना सवाल उठाता है। पूर्व मंत्री रूहुल्ला मेहदी के मुताबिक इस फैसले के पीछे कोई नापाक मंशा नहीं है। पहले तो जुमे की नमाज की इजाजत मिलनी चाहिए।